शनि देव और लक्ष्मी जी के बीच कौन श्रेष्ठ है? दोनों भगवान विष्णु की शरण में गए। शनि ने भगवान से पूछा कि कौन अच्छा है? भगवान उसको युक्ति बताई। उन्होंने कहा कि वे दोनों को प्रिय हैं। शनि और लक्ष्मी दोनों प्रसन्न हुए। शनि को दुख को विदा करने के लिए और लक्ष्मी को घर लाने के लिए उपाय करें।
अगर लक्ष्मी को श्रेष्ठ कहते हैं तो शनि महराज कुपित (नाराज) होकर अपना करिश्मा दिखाएंगे और अगर शनि को अच्छा कहते हैं तो लक्ष्मी रूठ कर चली जाएंगीं। भगवान विष्णु असमंजस मे पड़ गए, तभी शनिदेव ने अपना प्रश्न पुनः दोहराया। तब भगवान श्रीहरि विष्णु ने कटु सत्य कहने की एक युक्ति निकाली ताकि दोनों को प्रसन्न व संतुष्ट कर सकें। वे बोले – ‘हे शनि देव! आप लक्ष्मीजी के साथ उस सामने वाले वृक्ष तक जाओ और उसको स्पर्श कर प्रमाण स्वरूप एक पत्ता लेकर पुनः मेरे पास आओ तो मैं बताऊंगा।’
लक्ष्मीजी भगवान विष्णु के इस विचित्र प्रश्न को सुनकर चकित हो गईं लेकिन भगवान का आदेश पालन करने के लिए वह शनि के साथ डरते हुए चल पड़ीं। भगवान विष्णु दोनों को अपलक देखते रहे। थोड़ी देर बाद दोनों वृक्ष का स्पर्श कर प्रमाण स्वरूप एक-एक पत्ता लेकर वापस आए। तब शनिदेव उत्सुकता से भगवान विष्णु को अपने प्रश्न का उत्तर देने के लिए निहारने लगे। भगवान श्रीहरि विष्णु प्रेम से बोले, ‘हे सूर्य पुत्र शनि! तुम मुझे जाते हुए अच्छे लग रहे थे, हे धन की देवी लक्ष्मी! तुम आती हुई अच्छी लग रहीं थी।’
भगवान विष्णु के इस सरल एवं स्पष्ट उत्तर से शनि एवं लक्ष्मी दोनों प्रसन्न हो गए, सच भी है कि शनि जाता (उतरता) हुआ अच्छा और शुभ होता है तथा धन की देवी लक्ष्मी आती हुई ही अच्छी लगती हैं, ठीक उसी प्रकार सुख आते हुए और दुःख जाते हुए अच्छे लगते हैं। शनि रूपी दुख को विदा करने के लिए और लक्ष्मी को घर लाने के लिए निम्नलिखित उपाय श्रद्धा-भक्ति सहित समर्पित भाव से करना चाहिए-
शनिवार को गरीब मजदूरों की सहायता करें एवं तेल से बनी चीजें खिलाएं।
सात प्रकार का अनाज लेकर उसमें सरसों का तेल लगाकर आठ शनिवार कौओं को डालें, ऐसा करने से शनि रूपी दुख आपके घर-परिवार से सदा के लिए विदा हो जाएगा।
शनिवार के दिन मदिरा या मांस का सेवन न करें, यदि संभव हो तो इन दोनों का हमेश परित्याग करें।
धर्म स्थल पर जाकर भगवान के समक्ष कष्टों से मुक्ति एवं घर में सुख-सुविधा, लक्ष्मी प्राप्ति की प्रार्थना कर गृह लक्ष्मी अर्थात् पत्नी अथवा किसी भी स्त्री अथवा कन्या के लिए श्रृंगार की कोई सामग्री खरीदकर भेंट अवश्य करें। कभी-कभी छोटे-छोटे उपाय एवं आशीर्वाद भाग्योदय कर देता है, इसमें दो राय नहीं है।