अरबाज खान ने किया शूरा खान से निकाह, प्यार की कोई उम्र नहीं पर लेट शादी बन सकती है परेशानी, जानें क्यों

हाल ही में हुई अरबाज खान और शूरा खान की शादी खूब सुर्खियां बटोर रही है। जिंदगी में दोबारा प्यार पाना और उसे शादी जैसे रिश्ते तक पहुंचाना आम बात नहीं। लेकिन एक उम्र के बाद इसे निभाना जरूर दिक्कतों से भरा हो सकता है। इस लेख में आप लेट शादी से जुड़े इसी चीज के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।

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अरबाज खान ने किया शूरा खान से निकाह, प्यार की कोई उम्र नहीं पर लेट शादी बन सकती है परेशानी, जानें क्यों
अरबाज खान ने मलाइका अरोड़ा से अलग होने के छह साल बाद दोबारा अपना घर बसाया है। अरबाज खान ने बीते रविवार को मेकअप आर्टिस्ट शूरा खान से निकाह किया है। दोनों की ही यह दूसरी शादी है। बता दें कि अरबाज खान और शूरा खान में 15 साल का अंतर है। अरबाज खान की उम्र 56 साल और गर्लफ्रेंड से पत्नी बनी शूरा खान की उम्र 41 है।

इसमें कोई दोराय नहीं कि प्यार की कोई उम्र नहीं होती है। किसी भी व्यक्ति को प्यार किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन जब इस प्यार को शादी जैसे रिश्ते में बांधने की बात आती है, तो बात ज्यादा गंभीर हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादा उम्र में शादी करके किसी के साथ नया जीवन शुरू करना आसान नहीं होता है। इसमें कई सारी मुश्किलें आती हैं। इसे आप यहां बताए गए कुछ उदाहरणों से समझ सकते हैं।

एडजस्टमेंट करना नहीं आसान

एडजस्टमेंट करना नहीं आसान

माना जाता है कि कम उम्र में एडजस्टमेंट करना आसान होता है। ऐसे में यदि आप लेट शादी कर रहे हैं, तो आपके लिए अपने पार्टनर के साथ तालमेल बैठाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लंबे समय तक अकेले रहने पर व्यक्ति अपने तौर-तरीके और रहन-सहन को एक पक्का स्वरूप दे चुका होता है।

इमोशनल कम प्रैक्टिकल ज्यादा

इमोशनल कम प्रैक्टिकल ज्यादा

रिश्ते में इमोशन से ज्यादा प्रैक्टिकल नजरिया अपनाया जाने लगे तो इसमें ज्यादा दिनों तक प्यार और गर्माहट नहीं रह जाती है। ऐसे में व्यक्ति को अपना रिलेशनशिप बोरिंग लगने लगता है और वह बाहर किसी दूसरे से अपनी जरूरतों को पूरा करने का रास्ता अपना लेना है।

ऐसा आमतौर पर ज्यादा उम्र में होने वाली शादियों में अधिक होता है। क्योंकि जीवन की चुनौतियों को लंबे समय तक अकेले झेलने के कारण कभी-कभी व्यक्ति इतना पत्थर हो जाता है कि उसके अंदर के इमोशन लगभग खत्म से हो जाते हैं।

बात-बात पर मतभेद

बात-बात पर मतभेद

उम्र के साथ समझदारी भी बढ़ती है, लेकिन कई बार यह चीज मतभेद का मुख्य कारण भी बन जाती है। खासतौर पर जब बात पति-पत्नी जैसे रिश्ते की हो जहां दो लोगों को एक साथ मिलकर घर-परिवार चलाने के लिए फैसले लेने होते हैं।

दरअसल, ज्यादा एज के व्यक्ति के साथ यह परेशानी आमतौर पर अधिक होती है क्योंकि वह अपनी एक विचारधारा बना चुका होता है, जिसमें बदलाव की गुंजाइश ना के बराबर होती है। साथ ही वह अपने रूतबे, ईगो को लेकर भी बहुत गंभीर होते हैं।