उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने हाल में घोषित क्यूएस सस्टेनबिलिटी रैंकिंग में विश्वभर में 22वां स्थान हासिल किया है। इस रैंकिंग में डीयू ने देश की तमाम आइआइटी को भी पीछे छोड़ दिया है। पिछले दो वर्षों में विश्वविद्यालय ने शोध क्षेत्र, गुड गवर्नेंस और ज्ञान के अदान-प्रदान के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं।

73.4 प्रतिशत अंक हासिल कर नया कीर्तिमान गढ़ा है। क्यूएस सस्टेनबिलिटी रैंकिंग का निर्धारत नौ मानकों के आधार पर होता है। इनमें पर्यावरण शिक्षा में डीयू ने 91.8, पर्यावरण सस्टेनबलिटी 66.7, पर्यावरण शोध 64.5, शिक्षा का आदान-प्रदान 90.8, समानता 62.6, रोजगार और इसके परिणाम 55.3, शिक्षा का प्रभाव 55, स्वास्थ्य 57.9 और गवर्नेंस में 100 में से 87.3 अंक हासिल किए हैं।

पर्यावरण शिक्षा में विश्वभर में 16वीं रैंक

डीयू ने पर्यावरण शिक्षा में विश्वभर में 16वीं रैंक हासिल की है। डीयू ने पर्यावरण में स्नातक में सस्टेनबिलिटी रिपोर्टिंग, डेवलपमेंट आफ सस्टेनबल प्लान, पर्यावरणीय अंकेक्षण, पर्यावरण पर्यटन, पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन स्नातकोत्तर में पर्यावरणीय अध्ययन, सस्टेनबल विश्व की ओर जैसे कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं। पर्यावरणीय सस्टेनबिलिटी में डीयू को 66वीं रैंक मिली है। इसके लिए डीयू ने पौधरोपण पर ध्यान दिया है।

हरियाली पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके अलावा ई-कचरा प्रबंधन और गंदगी के निस्तारण के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की योजना पर काम चल रहा है। 2024 तक यह पूरे भी कर लिए जाएंगे। विश्वविद्यालय में ई-कचरा काफी निकलता है, इसके निस्तारण के लिए नीति और दिशानिर्देश तय कर दिए गए हैं। डीयू में पेड़ों की पत्तियों का कचरा काफी होता है। इसके निस्तारण पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

एक साल में दोगुने किए शोध कार्य डीयू में पहले 600 से 700 शोध कार्य एक वर्ष में होते थे। इन्हें 1300 तक बढ़ा दिया गया है। पर्यावरण, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान आदि में शोध कार्य अधिक किए जा रहे हैं। शोध कार्य जल्द हों, इसके लिए डीयू ने टेमिक (हाई रेजोलुशन ट्रांसमिशन) मशीन खरीदी है। इससे काफी समय शोध कार्य में बच रहा है।

पहले इसके लिए बाहर जाना पड़ता था। इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप की भी खरीदारी की गई है। इससे शोध कार्य आसान हुआ है। रिसर्च प्राजेक्ट स्कीम डीयू शिक्षकों के लिए लाया है। अच्छे शोध कार्य करने वालों को पांच लाख का पुरस्कार दिया जा रहा है। अभी तक 22 लोगों को पुरस्कार दिया जा चुका है।