Covid News Update: नए साल से ठीक पहले, कोरोना के मामले फिर बढ़ने लगे हैं। क्या आपको मास्क पहनने की जरूरत है? क्या बूस्टर लेने का समय आ गया है? एक्सपर्ट्स से जानें 5 अहम सवालों के जवाब
हर किसी को सर्दी-जुकाम या बुखार में टेस्ट कराना जरूरी है?
WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि इंफ्लुएंजा A (H1N1 और H3N2), एडेनोवायरस, राइनोवायरस और रेस्पिरेटरी सिंकायटियल वायरस से होने वाले रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से बरसात के मौसम में होने वाली बीमारियां हो सकती हैं, इनके लक्षण कोविड-19 से मिलते-जुलते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह संभव नहीं है कि हर उस व्यक्ति का टेस्ट किया जाए, जिसको जुकाम-बुखार है। सिर्फ उन लोगों का टेस्ट करना जरूरी है जो गंभीर सांस की बीमारी या निमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती हैं।
टेस्टिंग कम हो तो कोरोना को बढ़ने से कैसे रोकें?
अगर कम लोगों का टेस्ट हो रहा है, तो ये जानना मुश्किल हो जाता है कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं या नहीं। लेकिन, एक तरीका है जिससे ये भविष्यवाणी की जा सकती है कि केस बढ़ने वाले हैं या नहीं। वो तरीका है – वेस्ट वाटर टेस्टिंग। डॉ. सुब्रमण्यन स्वामीनाथन, जो ग्लेनइगल्स ग्लोबल हेल्थ सिटी में संक्रामक रोग विशेषज्ञ हैं, बताते हैं कि कई देशों में वेस्ट वाटर के नमूनों का टेस्ट करके ये पता लगाया जाता है कि किस तरह के संक्रमण फैल रहे हैं।
क्या हमें मास्क पहनना चाहिए?
- पूर्व जन स्वास्थ्य निदेशक डॉ. के. कोलंदासामी कहते हैं कि बंद और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना अच्छा विचार है, जैसे शादी के हॉल, ट्रेन और बसें। हालांकि, अभी तक हर किसी के लिए मास्क पहनना अनिवार्य नहीं है।
- बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को जितना हो सके, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। अगर उन्हें जाना ही पड़े, तो मास्क जरूर पहनें।
- जिन लोगों को सांस की बीमारी, जुकाम या खांसी है, उन्हें भी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना चाहिए।
- मास्क पहनना हमें सिर्फ कोविड-19 से ही नहीं बचाता, बल्कि अन्य हवा में फैलने वाले रोगों से भी बचाता है।
क्या अब बूस्टर डोज लगवाना जरूरी है?
कोरोना के टीके गंभीर बीमारी से बचाने में कारगर साबित हुए हैं, लेकिन समय के साथ शरीर में उनका असर कम हो जाता है। ज़्यादातर लोगों को कोरोना हो चुका है या उन्होंने कम से कम 2 टीके लगवाए हैं, फिर भी वे दोबारा संक्रमित हो रहे हैं। इसी वजह से WHO ने JN.1 वेरिएंट को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित किया है, क्योंकि ये तेजी से फैलता है। भारत सहित कई देशों में, वैक्सीन के अपडेटेड वर्ज़न पहले से ही उपलब्ध हैं।
अपोलो हॉस्पिटल्स में संक्रामक रोग विशेषज्ञ, डॉ. एस. रामासुब्रमण्यन कहते हैं, ‘बुजुर्गों, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और जिनको कोई गंभीर बीमारी है, उन्हें बूस्टर डोज लगवाना जरूरी है।‘
सरकार क्या सावधानी बरत रही है?
पब्लिक हेल्थ डायरेक्टोरेट ने सभी अस्पतालों को तैयार रहने को कहा है। पब्लिक हेल्थ डायरेक्टर डॉ. टीएस सेल्वाविनयगम ने बताया कि अस्पतालों को दवाइयों के स्टॉक, ऑक्सीजन की ज़रूरत और आपातकालीन परिस्थितियों में क्या करना है, इसकी जांच के बाद मॉक ड्रिल करने के लिए कहा गया है।