लाल सागर में मालवाहक जहाजों के लिए एकजुट हुए 20 देश, हूती विद्रोहियों से निपटने के लिए US तैयार
पेंटागन ने गुरुवार को कहा कि यमन के हूथी विद्रोहियों को करारा जवाब देने के लिए 20 से अधिक देश अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गए हैं। पेंटागन के प्रवक्ता मेजर जनरल पैट राइडर ने पत्रकारों को बताया गठबंधन में भाग लेने के लिए अब हमारे पास 20 से अधिक राष्ट्र हैं। हूथी विद्रोहियों के हमले से भारत भी चिंतित है।
HIGHLIGHTS
- हूती विद्रोहियों से लड़ने के लिए अमेरिका सहित नाटो देशों ने कमर कस ली
- पीएम नरेंद्र मोदी ने हूती आतंकियों की तरफ से जहाजों पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता जताई
एएफपी, वॉशिंगटन। Houthi rebels। ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से होकर इजरायल जाने वाले जहाजों को निशाना बनाने की धमकी दी है। पिछले महीने हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में एक मालवाहक जहाज को हाइजैक कर लिया था। हूती विद्रोहियों ने सोमवार को फिर से दो मालवाहक जहाजों पर ड्रोन हमले किए लेकिन उससे हुए नुकसान की जानकारी नहीं मिल सकी है।
इससे पहले पिछले महीने बाब-अल-मनदब खाड़ी से गुजरने वाले जहाजों पर हमले किए हैं। उसका कहना है कि वह इजरायल द्वारा गाजा पट्टी में हमलों का बदला लेने के लिए ऐसा कर रहा है। वहीं, इजरायल का आरोप है कि इस संगठन को ईरान का समर्थन प्राप्त है। हूती विद्रोहियों से लड़ने के लिए अमेरिका सहित नाटो देशों ने कमर कस ली है।
हूती विद्रोहियों के खिलाफ गठबंधन में शामिल हुए 20 देश
अमरीका के प्रतिरक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने गुरुवार को कहा कि यमन के हूथी विद्रोहियों को करारा जवाब देने के लिए 20 से अधिक देश अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गए हैं। पेंटागन के प्रवक्ता मेजर जनरल पैट राइडर ने पत्रकारों को बताया, “गठबंधन में भाग लेने के लिए अब हमारे पास 20 से अधिक राष्ट्र हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हूती विद्रोही दुनिया भर के देशों की आर्थिक भलाई और समृद्धि पर हमला कर रहे हैं।”
इस मामले पर भारत भी चिंतित
लाल सागर में स्थित बाब-अल-मनदब खाड़ी में वाणिज्यिक जहाजों का आवागमन अवरुद्ध होने पर भारत ने भी गंभीर चिंता जताई है। एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हूती आतंकियों की तरफ से जहाजों पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता प्रकट की थी और अब विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि भारत का हित इस क्षेत्र से जुड़ा हुआ है एवं वह इससे चिंतित है।
मामले के समाधान के लिए भारत अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ ही खाड़ी क्षेत्र के अपने मित्र देशों जैसे सऊदी अरब, यूएई व अफ्रीका महाद्वीप के देश इथोपिया व मिस्र के भी संपर्क में है।