बचपन में पिता को खोया, छोटी बहन ने ट्यूशन पढ़ा उठाया पढ़ाई का खर्च, हालातों से लड़ Nikita बनी अफसर

अगर आप पूरी शिद्दत से अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत कर रहे हों तो कोई भी कठिनाई आपको नहीं रोक सकती. तब नियति आपके लिए हर तरह की मुसीबत से निकलने का रास्ता बना देती है. बिहार की एक बेटी ने भी कुछ इसी शिद्दत से मेहनत की और अपनों की मदद से सफलता हासिल कर ली.

बचपन में पिता को खोया

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हमने अक्सर सुना है कि बड़े भाई बहन अपने छोटों को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत करते हैं लेकिन मुजफ्फरपुर के बगहा नगर के नरईपुर की निकिता की मेहनत को उड़ान देने के लिए उनकी छोटी बहन ने मदद की. जिसके बाद निकिता ने अपनी कड़ी मेहनत से एपीओ (सहायक अभियोजन अधिकारी) की परीक्षा पास कर ली. आज निकिता की इस सफलता पर उनका पूरा शहर गर्व कर रहा है.

निकिता के लिए ये सफलता बहुत मायने रखती है क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने ने और उनके परिवार ने बहुत संघर्ष किया है. दरअसल, निकिता के पिता जी अब इस दुनिया में नहीं हैं. जब वह चार साल की थीं तभी उनके पिता इस दुनिया को अलविदा कह गए. इसके बाद उनके परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया. ऐसी कठिन परिस्थिति में उनकी मां अपने परिवार का सहारा बनीं और कड़ी मेहनत कर अपनी सात बच्चियों का पालन पोषण किया.

छोटी बहन ने उठाया पढ़ाई का खर्च

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आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, निकिता अपनी सात बहनों में छठे नंबर पर आती हैं. उन्होंने नरईपुर से ही अपनी शुरुआती पढ़ाई की. इसके बाद निकिता ने मुजफ्फरपुर के एसकेजे लॉ कॉलेज से पांच वर्षीय बीए एलएलबी की पढ़ाई की. अब उन्हें न्यायिक परीक्षा की तैयारी के लिए इलाहाबाद जाना था लेकिन ये उनके लिए आसान नहीं था. ऐसी स्थिति में उनकी छोटी बहन विभा और चचेरे भतीजे दीपक ने उनकी मदद की. बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रही निकिता को आगे बढ़ाने के लिए उनकी छोटी बहन ने पूरा सहयोग किया. जब निकिता इलाहाबाद में तैयारी कर रही थीं तो उनकी छोटी बहन ने ही उनका पूरा खर्च उठाया.

अपनों की मदद से पाई सफलता

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निकिता ने बीपीएससी की ओर से आयोजित एपीओ की परीक्षा पास करने के लिए छह साल तक कड़ी मेहनत की. जिसका फल उन्हें 2023 में मिला. वह तय शेड्यूल बनाकर तैयारी करती रहीं और फिर सफलता पा ली. निकिता अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां, छोटी बहन विभा, चचेरे भतीजे दीपक सहित अपने सभी बहनों एवं बहनोई को देती हैं. वो अपनी छोटी बहन विभा एवं चचेरे भतीजे दीपक की आभारी हैं. उन्होंने कहा कि इन्हीं दोनों के अथक प्रयास से वह सफलता हासिल कर पाई हैं. उनकी छोटी बहन ने ट्यूशन पढ़ा कर उनके पढ़ाई का खर्च उठाया, जिस वजह से वो आज इस मुकाम पर पहुंच पाई हैं.