ज़िन्दगी में कोई साथ दे या न दे, घूमते-फिरते नेगेटिव थॉट्स (Negative Thoughts) साथ आ ही जाते हैं. खासकर आज के दौर में लगभग हर इंसान इससे जूझ रहा है. नेगेटिव थॉट्स या नकारात्मक सोच को अगर समय से सुलझाया नहीं गया तो ये समस्या काफ़ी बड़ी बन कर उभर सकती है. हमारे मेंटल हेल्थ को पर नेगेटिव थॉट्स का बहुत बुरा दुष्प्रभाव पड़ता था. हमारी प्रोडक्टिविटी से लेकर पर्सनल लाइफ़ तक पर इसका असर हो सकता है.
नकारत्मक सोच दिमाग में ज़्यादा दिन तक रहे तो इसकी वजह से चिंता और अवसाद जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं. कुछ साइकोलॉजिकल टिप्स की मदद से नेगेटिव थॉट्स से लड़ सकते हैं. चाहे आप रोज़ाना नकारात्मक विचारों से जूझते हों या अपने दिमाग को सकारात्मक रखने के लिए बस थोड़ी प्रेरणा की ज़रूरत हो, ये लेख आपके लिए है.
नेगेटिव थॉट्स को रोकने के लिए आज़माएं ये साइकोलॉजिकल टिप्स (Psychology Tips to Stop Negative Thinking)
1. नेगेटिव सोचने का टाइम बना लें
साइकोलॉजिस्ट्स के अनुसार, ये नेगेटिव थिंकिंग को कंट्रोल करने की पैराडोक्सिकल स्ट्रैटजी है. दिन के 24 घंटे में 10 मिनट नेगेटिव थिंकिंग को दें. ध्यान रहे नेगेटिव थॉट टाइम (Negative Thought Time) दिन में सिर्फ़ 10 मिनट के लिए हो सकता है. अगर आपके दिन में किसी और समय नेगेटिव थॉट्स आए, तो उसे लिख कर रख लें. अपने आप से कहें कि आप नेगेटिव थॉट टाइम पर ही उस बारे में सोचेंगे. तय समय पर ही उस बारे में सोचें. धीरे-धीरे आपकी नेगेटिव थिंकिंग कम हो जाएगी और आप अपने थॉट्स पर कंट्रोल करना सीख जाएंगे.
2. नेगेटिव थॉट्स को रिप्लेस करें
नकारात्मक सोच को रिप्लेस करना आसान नहीं है. नेगेटिव थॉट पैटर्न को बंद करना असंभव है लेकिन उसे बदला जा सकता है. ये करने के चार आसान से स्टेप्स हैं:
– नोटिस: जब आपको नेगेटिव थॉट पैटर्न आएं, तब उसे नोटिस करें.
– एक्नोलेज: जिस पैटर्न को आप बदलना चाहते हैं उसे एक्नोलेज करें.
– आर्टिकुलेट: आप क्या बदलना चाहते हैं इसे आर्टिकुलेट यानि स्पष्ट करें.
– चूज़ करें एक अलग बिहेवियर: जो आपके गोल्स को पाने में मदद करे, ऐसा बिहेवियर चुनें.
3. खुद को अपना Best Friend बनाएं
हम में से बहुत से लोग दुनियाभर से दोस्ती करते हुए घूमते हैं लेकिन अपने सबसे करीबी दोस्त यान सेल्फ़ को ही भूल जाते हैं. साइकोलॉजिस्ट्स की मानें तो ज़्यादातर इंसान 90% सेल्फ़-टॉक नेगेटिव ही करते हैं. बहुत ज़रूरी है कि आप खुद से दोस्ती करें और धीरे-धीरे इस दोस्ती को पक्की दोस्ती में बदलें. खुद को वही एडवाइस दें जो आप अपने बेस्ट फ़्रेंड को देंगे. आप अगर अपने बेस्ट फ़्रेंड को बुरा-भला नहीं कहेंगे तो खुद को भी बार-बार नेगेटिव बातें कहना बंद करें.
4. सोचना छोड़कर, लिखना शुरू करिए
दिमाग में नेगेटिव थॉट्स घूम रहे हैं तो कागज़ और कलम निकालकर बैठें. लिखने से नेगेटिव थॉट्स को बाहर निकालने में यानि रिलीज़ करने में मदद मिलती है. जब आप अपने दिमाग में घूम रही बातों को शक्ल देते हैं, या अपने सामने देखते हैं तो चीज़ें बेहतर ढंग से समझ आती हैं. साइकोलॉजिस्ट्स इस टिप को बहुत कारगर मानते हैं.
5. अपनी पसंद की चीज़ों की खोज जारी रखें
नेगेटिव थॉट्स से लड़ना आसान नहीं है, बहुत बार ऐसा होता है कि आप कोशिश करने के बावजूद अपने आप से ही ये लड़ाई हार जाते हैं. साइकोलॉजिस्ट्स की राय है कि नेगेटिव थॉट्स से लड़ने के बजाए बेटर फ़ीलींग थॉट्स की तरफ़ बढ़ने की कोशिश करें. इसका एक तरीका ये हो सकता है – जो चीज़ें आपको पसंद हैं, प्यारी लगती हैं, अप्रीशिएट करते हैं उनके बारे में ज़ोर-ज़ोर से बात करें. उदाहरण- आज क्या बढ़िया चाय बनाई थी!
6. खुद से वो सवाल करें, जिनसे आप भाग रहे हैं
खुद से ऐसे सवाल पूछें जिनके जवाब आसान नहीं होते. जैसे- 1. मुझे नेगेटिव थॉट पैटर्न से क्या मिलता है? क्या इससे मुझे कोई रिवॉर्ड मिलेगा?
2. नेगेटिव थॉट्स से मेरा क्या नुकसान है? क्या कीमत चुकानी पड़ रही है?
3. पॉज़िटिव थॉट्स से क्या फ़ायदा है?
साइकोलॉजिस्ट्स के अनुसार, इस तरह के सवाल खुद से पूछने से, इनका जवाब खोजने से बहुत मदद मिलती है.
7. New Habits बनाएं
नेगेटिव थॉट पैटर्न्स भी आपकी ज़िन्दगी का हिस्सा हैं. इन्हें ओवरकम करने या इनसे लड़कर जीतने की थॉट प्रोसेस से फायदा मिले ऐसा ज़रूरी नहीं है. आप नेगेटिव थॉट्स को ओवरकम करने के बजाए ये सोचें कि आप न्यू हैबिट्स बना रहे हैं. आप अपना ध्यान दूसरी चीज़ों पर लगाएं. कुछ नया शुरू करें. जैसे- पेट रखना, बाहर जाना.
8. Affirmations का इस्तेमाल करें
सुबह उठकर आंखें खोलने के बाद सबसे पहले ये सोचें कि आपने सूरज देखा है, और इसके लिए ग्रैटिट्यूड फ़ील करें. डेली अफ़र्मेशन्स को कागज़ पर लिखें. जैसे- ‘मैं अपने हिसाब का काम कर रहा हूं.’ या फिर ‘मैं पॉज़िटिव थॉट्स से प्रेरित होता हूं.’ अगर कोई नेगेटिव थॉट आए तो आप अपनी पुरानी सफ़लताएं याद करें. साइकोलॉजिस्टि्स के अनुसार, पॉज़िटिव थिंकिंग एक मुश्किल काम है, लेकिन ये वर्थ है.
9. आभार व्यक्त करना न भूलें
आभार व्यक्त करना लोग भूल जाते हैं. लेकिन एक खुशहाल ज़िन्दगी के लिए ये बहुत ज़रूरी है. ज़िन्दगी आसान नहीं होती लेकिन छोटी-छोटी खुशियों से, ग्रैटिट्यूड से लाइफ़ थोड़ी आसान हो जाती है. एक गुड लिस्ट बनाएं और रोज़ रेफ़र करें. आपको लाइफ़ में क्या चाहिए इस पर फ़ोकस करें. फ़ोकस्ड और पॉज़िटिव माइंड रखने से आपको वो मिल सकता है जो आप चाहते हो.
10. फ़िज़िकल मूवमेंट
अपने दिमाग में बन रहे नेगेटिव थॉट्स को ओवरकम करने के लिए फ़िज़िकल मूवमेंट करना बहुत ज़रूरी है. साइकोलॉजिस्ट्स की मानें तो बॉडी मूवमेंट से थिंकिंग पैटर्न पर असर पड़ता है.
11. अपनी स्ट्रेंथ पर फ़ोकस करें
नेगेटिव पर गौर करना और पॉज़िटिव को भूल जाना, ह्यूमन नैचर है. साइकोलॉजिस्ट्स के अनुसार, नेगेटिव थॉट्स को ओवरकम करने के लिए स्ट्रेंथ पर फ़ोकस करना एक कारगर उपाय है. अगर आपने कुछ गलत कर दिया है तो दिमाग में नेगेटिव थॉट्स आएंगे ही. साइकोलॉजिस्ट्स की राय है कि ऐसे में इंसान को अपने स्ट्रेंथ पर, खूबियों पर फ़ोकस करना चाहिए.
12. प्रोफे़शनल हेल्प
अगर आप नेगेटिव थॉट्स को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं. रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में अगर नेगेटिव थॉट्स की वजह से बुरा असर पड़ रहा है. तो प्रोफ़ेशनल हेल्प ले सकते हो. समय-समय पर थेरेपिस्ट से बात करना ज़रूरी है. आपको ज़रूरत महसूस हो या न हो जिस तरह हम साल में एक बार बॉडी चेकअप करवाते हैं वैसे ही समय-समय पर मेंटल हेल्थ चेक अप भी ज़रूरी है.