शरीर में अगर किसी तरह की अंदरूनी समस्या पनप रही होती है तो इसके संकेत दिखाई देने लगते हैं. कई बार ये कैंसर तक की दिक्कतों का इशारा करते हैं. इन संकेतों को शुरुआती समय में नजरअंदाज कर देना बहुत जोखिम भरा हो सकता है. कैंसर के रुप और उनसे संबंधित जानकारीयों की खूब चर्चा होती है. पर स्तन, लंग्स और ब्लैडर कैंसर की तरह आमतौर पर पेट का कैंसर कम चर्चा में है. पर विशेषज्ञों के मुताबिक पेट का कैंसर बहुत ही खतरनाक होता है. शुरुआती लक्षण दिखते ही इनका तत्काल इलाज करा लेना चाहिए. आइए आज उन संकेतों को समझते हैं जिनका इशारा पेट के कैंसर की तरफ़ होता है.
क्या लाइफस्टाइल के वजह से हो सकता है पेट का कैंसर?
सबसे पहले ये समझने की जरूरत है कि अगर पेट में लंबे समय से दर्द बना हुआ है तो यह खतरनाक है. पेट की परेशानी को सिर्फ अपच या पाचन संबंधी समस्या नहीं समझना चाहिए. अपच, पेट में सूजन, गैस, कब्ज और दस्त जैसी पेट से जुड़ी बीमारियों को इग्नोर करना खतरनाक हो सकता है. इन बीमारियों की दवाओं का प्रभाव अगर बेअसर साबित हो रहा है तो गंभीर हो जाने की आवश्यकता है. ऐसी स्थिति में अच्छे चिकित्सक से सलाह लेने की जरूरत है. दूसरी तरफ इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि ज्यादातर पेट दर्द पाचन से संबंधित होता है. सामान्य पेट दर्द पर पैनिक होने की भूल न करें. फिलहाल ज्यादातर कैंसर लाइफस्टाइल से संबंधित विकार की वजह से भी हो रहा हैं. गर्म और मसालेदार खाने का ज्यादा प्रयोग खतरनाक साबित हो सकता है.
वजन कम होने के साथ-साथ पेट में दर्द का होना कैंसर का संकेत है
ज्यादातर लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं. वजन को कम करने के लिए लोग कई तरह के प्रयास करते हैं. पर अगर बिना किसी प्रयास के अचानक से वजन कम हो रहा है तो यह खतरे का संकेत है. वजन कम होने के साथ-साथ पेट में दर्द भी है तो ये कैंसर का संकेत हो सकता है. ऐसी स्थिति में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
लगातार मतली की शिकायत खतरनाक है
खाना खाने के बाद अगर लगातार मतली और उल्टी की शिकायत आ रही है तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए. कभी कभार मतली आने के पीछे कई वजह हो सकती है पर लगातार मतली आना विशेष रूप से खाना खाने के बाद गंभीर हो सकता है. ऐसी स्थिति में अच्छे चिकित्सक की जरूरत है.
डिस्पैगिया क्या है?
डिस्पैगिया एक खास तरह का लक्षण है. इसमें खाना या तरल पदार्थ निगलने में परेशानी होने लगती है. ये गले या खाने की नली से शुरू होती है. इसकी शिकायत होने पर भोजन निगलने में कठिनाई होती है. ऐसी स्थिति में तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. इस तरह के लक्षण वाले व्यक्ति को अच्छे इलाज की जरुरत है.
लगातार थकान की समस्या को गंभीरता से लें
काम करने के बाद थकान और कमजोरी का अनुभव हर किसी को होता है पर आराम कर लेने के बाद या नींद ले लेने के बाद थकान का एहसास कम हो जाता है. अगर आराम कर लेने के बाद भी थकान कम नहीं हो रही है तो यह गंभीर बीमारी की ओर इशारा है. अगर आपको लगातार थकान की समस्या के साथ अन्य लक्षणों का भी अनुभव हो रहा है तो आपको तत्काल अच्छे चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.
किस उम्र में पेट का कैंसर हो सकता है?
एक रिसर्च के मुताबिक 60 साल से कम उम्र के लोगों में पेट के कैंसर का खतरा ज्यादा है. अमेरिका के डॉक्टर ग्रोट्ज कहते हैं पहले पेट के कैंसर का पता लगभग 70 की उम्र में लगता था पर अब इस मामले में तेजी आई है. अब ये बीमारी 30 से 40 साल की उम्र में भी हो रहा है. किसी भी तरह के कैंसर में शुरुआती स्तर पर इलाज बहुत जरूरी है. इसलिए कैंसर से संबंधित लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. कैंसर से संबंधित किसी भी तरह के लक्षण का एहसास होने पर नियमित स्वास्थ्य जांच बहुत जरूरी हो जाता है.
पेट के कैंसर का बचाव क्या है?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक शरीर का वजन ज्यादा होना, आहार- पोषण में कमी, शारीरिक गतिविधि में कमी, इसके साथ-साथ ज्यादा अल्कोहल पेट के कैंसर का कारण बन सकता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अत्यधिक मोटापा कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है. इसलिए वजन को कंट्रोल करना जरूरी है. साथ ही योग, व्यायाम और शारीरिक गतिविधि करते रहना चाहिए. बात पेट के कैंसर के इलाज की करें तो इसका इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से किया जाता है. शुरुआती स्टेज में पेट के कैंसर का सर्जरी से इलाज हो जाता है.