कैप्टन शुभम गुप्ता: घर पर चल रही थी शादी की तैयारी, बेटे ने देश के लिए सरहद पर कुर्बान कर दी जान

हमारी सेना के जवान देश के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर देते हैं, वे हमारे लिए सेना के वीर जवान और एक शहीद होते हैं लेकिन वहीं, वे अपने परिवार के लिए एक बेटा, एक भाई, एक दोस्त और ना जाने क्या क्या होते हैं. जब किसी जवान के शहीद होने की खबर जब उनके घर पहुंचती है तो परिवार वाले पूरी तरह से टूट जाते हैं. आगरा के कैप्टन शुभम गुप्ता का परिवार भी कुछ इसी तरह टूट गया.

परिवार वालों को सैनिक बेटे के शव का इंतजार

कैप्टन शुभम गुप्ता जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे. उनकी शहादत की सूचना जब उनके परिवार तक पहुंची तो पूरे घर में मातम छा गया. परिवारवाले अपने शहीद  बेटे शुभम गुप्ता के पार्थिव शरीर के घर आने का इंतजार कर रहे हैं. आगरा में डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट काउंसलर जिला अदालत में काम करने वाले कैप्टन शुभम गुप्ता के पिता बसंत गुप्ता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.

जल्द ही होने वाली थी कैप्टन शुभम शादी

जब भी बसंत गुप्ता अपने बेटे को फौजी की वर्दी में देखते उनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता. अब आगरा के लाल शुभम गुप्ता के राजौरी के बाजीमाल इलाके में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में शहीद होने के बाद जब अपने बेटे को वे आखिरी बार वर्दी में देखेंगे तो उन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा. इससे बड़ा दुख भला क्या ही हो सकता है कि परिवार इस साल जिस बेटे की शादी की तैयारियों में जुटा था, अब उसकी चिता जलती देखेगा.

सेना को लेकर था बचपन से जुनून

शुभम के शहीद होने की खबर जैसे ही सेना की ओर से शुभम के परिजनों को दी गई तो घर में मातम पसर गया. शुभम की मां बेसुध हो गईं. शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के भाई ऋषभ ने बताया कि उनके भाई को सिग्नल कोर में कमीशन मिला था. फिर भी उन्होंने सिग्नल कोर छोड़कर पैरा ज्वाइन की थी. जब भी वे किसी सीक्रेट मिशन पर जाते थे तो उनका फोन बंद रहता था. देश के प्रति उनका जज्बा अदभुत था. शहीद कैप्टन शुभम को शुरू से ही देश और सेना को लेकर एक अलग ही जुनून था. शुभम को बचपन से वर्दी बहुत पसंद थी.

family was preparing for wedding son martyred in rajouri attackTwitter

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजौरी में बुधवार को आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में सेना के दो अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए, जिनमें आगरा के कैप्टन शुभम गुप्ता भी शामिल थे. सेना को जब राजौरी में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली तो सेना द्वारा सर्च ऑपरेशन चलाया गया. बाद में पता चला कि वहां 2 आतंकवादी थे.

सर्च ऑपरेशन के दौरान धर्मसाल के बाजीमल इलाके में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई. सर्च ऑपरेशन में सेना के राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों के साथ पैराट्रूपर्स भी शामिल थे, लेकिन आतंकी घात लगाकर बैठे थे. जैसे ही सेना नजदीक पहुंची, तो आतंकी ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे. जहां गोलीबारी में दो अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए.