कुत्ते हम इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं. इंसानों के दोस्त होने के साथ ही कुत्ते हमारे सुरक्षा बलों का भी अहम हिस्सा हैं. पुलिस, सेना, एयरपोर्ट सिक्योरिटी, मेट्रो सिक्योरिटी, बम निरोधक दस्ता, कुत्तों की बहादुरी की कोई सीमा नहीं होती. सेना के ऑपरेशन्स का भी अहम हिस्सा होते हैं डॉग्स. ये बेज़ुबान अपनी जान खतरे में डालकर इंसानों की सुरक्षा करते हैं. मुंबई के बम निरोधक दस्ते का ही एक सदस्य था शान. शान की प्राकृतिक कारणों से मौत हो गई और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उसे अंतिम विदाई दी गई.
नहीं रहा बम निरोधक दस्ते का सिपाही ‘शान’
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के अमरावती में एक कुत्ते को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. अमरावती पुलिस कमिश्नरेट के बम खोजी एवं निष्क्रिय दस्ते का सदस्य था शान. बीते सात सालों से वो बम खोजी एवं निष्क्रिय दस्ते के साथ था. एक साल बाद शान रिटायर होने वाला था.
गौरतलब है कि उसकी तबीयत खराब हो गई. कई दिनों तक बीमार रहने के बाद शान ने बीते मंगलवार को आखिरी सांस ली. शान को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई.
शान ने कई ऑपरेशन्स में वीरता दिखाई
शान एक लैब्राडोर नस्ल का कुत्ता था जिसकी उम्र 7 साल 6 महीने थी. बीते सात सालों से वो BDDS का सदस्य था. वो कई खतरनाक ऑपरेशन्स का हिस्सा था. पशु चिकित्सक डॉ. ठोसरे ने जानकारी दी कि शान की तबीयत खराब थी. बीते मंगलवार सुबह उसे इलाज के लिए नागपुर ले जाया जा रहा था. रास्ते में ही उसकी सांसें रुक गईं.
बम निरोधक दस्ते के शान को अंतिम विदाई
बीते बुधवार को बम निरोधक दस्ते की ‘शान’ को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. इस मौके पर पुलिस दल के कई अधिकारी मौजूद थे. आज तक के रिपोर्ट के अनुसार, अंतिम संस्कार में पुलिस कमिश्नर नवीनचंद्र रेड्डी, पुलिस उपायुक्त सागर पाटिल भी शामिल हुए. हर किसी ने नम आंखों से शान को अलविदा कहा. बम खोजी एवं निरोधक दस्ते की टीम ने अपने साथी को नम आंखों से विदाई दी.
शान के हैंडलर पुलिसकर्मी संजय गांवडे उसे आखिरी अलविदा कहते हुए काफ़ी दुखी नज़र आए. काफ़ी समय तक उन्होंने शान का ध्यान रखा.