दिल्ली-NCR में एक बार फिर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मापी गई. भूकंप के झटके दिल्ली एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई इलाकों में महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र नेपाल में 10 किलोमीटर की गहराई में था. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए भूकंप की सूचना दी. ऐसे में सवाल है कि भूकंप आखिर क्यों आते हैं?
क्या होता है भूकंप, कैसे आता है, क्यों आता है?
साइंस के मुताबिक हमारी धरती अलग-अलग परतों वाली प्लेटों से बनने वाली टेक्टोनिक प्लेट्स पर टिकी हुई है. सबसे ऊपरी परत को क्रस्ट, बीच वाली को इनर, और नीचे वाली को आउटर कोर कहते है. क्रस्ट और मैंटल से मिलकर ‘लीथोस्फेयर’, यानी टेक्टोनिक प्लेट्स का निर्माण होता है. जमीन के अंदर ये प्लेट्स लगातार घूमती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं. ऐसी स्थिति में धरती हिलती है और भूकंप आता है.\
भूकंप तीन प्रकार का होता है. पहला ‘इंड्यूस्ड अर्थक्वेक’, ये ऐसे भूकंप होते हैं जो हम इंसानों की गतिविधियों के कारण होते हैं. दूसरा, ‘वॉल्कैनिक अर्थक्वेक’, ये किसी ज्वालामुखी के फटने से पहले, फटते समय या फटने के बाद आते हैं. तीसरा भूकंप का नाम है, ‘कोलैप्स अर्थक्वेक’, इसके लिए जमीन के अंदर की गतिविधियां जिम्मेदार होती हैं. भूकंप कितना बड़ा है यह नापने के लिए रिक्टर पैमाने का यूज किया जाता है.
भारत में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं?
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के डेटा के अनुसार 1 जनवरी 2022 से 18 फरवरी 2022 तक करीब 166 बार भूकंप दर्ज किए गए. भारत उत्तरी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में अक्सर भूकंप का अनुभव करता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत और नेपाल के कुछ हिस्से दो विशाल टेक्टोनिक प्लेटों की सीमा पर स्थित हैं. ऐसे में जब भी दोनों देशों की प्लेटे एक-दूसरे के विपरीत गति करती हैं, तो यह भूकंप का कारण बनता है.
भारत को चार भूकंपीय जोनों में बांटा गया है. इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक जोन 5 है. इस क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 9 तीव्रता का भूकंप आ सकता है. जोन-5 में पूरा पूर्वोत्तर भारत, उत्तराखंड, गुजरात में कच्छ का रन, हिमाचल प्रदेश, उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल है. यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं. जबकि जोन-4 में दिल्ली, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र के इलाके शामिल हैं.
वहीं, जोन-3 को मोडरेट डैमेज रिस्क जोन कहते हैं. इस जोन में केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीपसमूह, उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्से, गुजरात और पश्चिम बंगाल, पंजाब के हिस्से, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं. जबकि, जोन-2 भूकंप की दृष्टि से सबसे कम सक्रिय क्षेत्र है. इसे सबसे कम तबाही के खतरे वाले क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है.
दिल्ली-NCR में बार-बार भूकंप क्यों?
दिल्ली-NCR का इलाका ज़ोन-4 में आता है. इसलिए यहां सीस्मिक गतिविधियां तेज़ रहती हैं, और भूकंप का कारण बनती हैं. एक अन्य कारण यह भी है कि दिल्ली, हिमालय के पास है जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था. ये थोड़ा भी हिलती हैं तो भूकंप आ जाता है. एक्सपर्ट के मुताबिक दिल्ली को सबसे बड़ा खतरा हिमालय रीजन की बेल्ट से ही है. इसलिए अधिक सतर्क रहने की जरूर है.
गौरतलबो हो कि इंडियन टेक्टोनिक प्लेट हिमालय से लेकर अंटार्कटिक तक फैली है. भूगोल के हिसाब से यह हिमालय के दक्षिण में है, और लगातार उत्तर-पूर्व दिशा में यूरेशियन प्लेट की तरफ बढ़ रही है. ऐसे में अगर ये प्लेट टकराती हैं तो भूकंप का केंद्र भारत में होगा, जोकि अपने साथ बड़ी तबाही ला सकता है. भूकंप को रोका नहीं जा सकता, इसलिए जरूरी है कि कुछ सावधानियां बरती जाएं ताकि कोई अनहोनी न हो.
जानकारी के मुताबिक मानव इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप करीब 3800 साल पहले आया था. इस भयानक भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9.5 थी. जिस जगह पर यह आया था, उसे अब उत्तरी चिली के नाम से जाना जाता है. इस भूकंप में 6,000 लोग मारे गए थे. इस भूकंप ने प्रशांत महासागर में कई बार सुनामी को जन्म दिया. सुनामी की 66 फीट लंबी लहरें उठी थीं, जिस कारण खूब नुकसान हुआ था.