Pitru Paksha कब से शुरू हो रहे हैं, क्या है इसका महत्व, इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं?

श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाने जाने वाले पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से हो जाती है जो 16 दिनों तक आश्विन अमावस्या के दिन तक चलती है. इस बार (Pitru Paksha Starting Date) की 29 सितंबर, शुक्रवार से शुरू होने जा रहे हैं. इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा.

क्या है पितृ पक्ष का महत्व?

Pitru Paksha File Photo

वैसे तो पितृ पक्ष अक्सर सितंबर महीने में समाप्त हो जाता है, लेकिन इस साल वह अक्टूबर महीने में समाप्त होगा. पहले सालों के तुलना में इस वर्ष पितृ पक्ष में 15 दिन की देरी हुई है क्योंकि अधिक मास के कारण सावन माह दो महीने का था. पितृ पक्ष की अवधि में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पितर जहां भी रहते प्रसन्न रहते हैं और उन्हें शांति मिलती है.

पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना महत्वपूर्ण है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, हमारी पिछली तीन पीढ़ियों की आत्माएं स्वर्ग और पृथ्वी के बीच स्थित ‘पितृ लोक’ में रहती हैं. पितृलोक में अंतिम तीन पीढ़ियों को ही श्राद्ध किया जाता है. इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंश को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं. माना जाता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध न करने से पितृदोष लगता है.

क्या है इसकी विधि?

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शास्त्रों में बताया गया है कि श्राद्ध के लिए बिहार का गया शहर सबसे विशेष है. इस दौरान पितरों को तृप्त करने के लिए पिंडदान और ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है. गया जैसे पवित्र स्थल पर यह अधिक प्रमुखता से किया जाता है. हालांकि, घर में श्राद्ध करने की भी प्रक्रिया है. पहली श्राद्ध तिथि से सूर्योदय से पहले स्नान करके, साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद श्राद्ध करें और फिर यथासंभव दान करना करें. इस दिन गाय, कौआ, कुत्ता और चींटी को भी खाना खिलाना चाहिए, शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से शुभ फल प्राप्त होता है.

किन चीजों का करना चाहिए परहेज?

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माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान, तर्पण या श्राद्ध कर्म करने के साथ साथ कुछ चीजों का परहेज भी करना चाहिए. जैसे कि इस दौरान लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए. मांसाहारी भोजन से भी पूरी तरह दूरी बनानी चाहिए. शाकाहारी भोजन में भी खीरा, जीरा और सरसों के साग के सेवन से बचना चाहिए. साथ ही साथ पितृ पक्ष में कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए. नवरात्रि की शुरूआत के बाद ही सारे मांगलिक कार्य शुरू करने चाहिए.