मंडी जिला में अगस्त महीने में हुई भारी बारिश के कारण जहां लोगों को घरों से बेघर होना पड़ा है। वहीं इस बारिश के कारण बहुत से किसान भी प्रभावित हुए हैं। बल्हघाटी के किसानों के पास तो अब खेती करने के लिए जमीन तक नहीं बची हुई है। ऐसे में किसान सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं।
बल्हघाटी के डडौर और स्योहली गांव के किसान कृष्णानंद, हंस राज, दुर्गा राम, संत राम और आलम राम ने बताया कि 12, 13 और 14 अगस्त को हुई भारी बारिश के कारण सुकेती खड्ड का जलस्तर बढ़ गया। इस खड्ड में बीबीएमबी प्रबंधन द्वारा भारी मात्रा में सिल्ट फैंकी गई थी। जब बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई तो यह सिल्ट और पत्थर भूमि कटाव करते हुए इनके खेतों में जा घुसे।
आज आलम यह है कि हजारों बीघा भूमि का नामो-निशां मिट चुका है, जबकि जो भूमि बची है उसमें भारी मात्रा में सिल्ट और पत्थर भरे पड़े हैं। यह भूमि अब खेती करने योग्य नहीं बची है। इस भूमि पर किसानों ने नकदी फसलें उगा रखी थी और उन्हें बाजार में बेचना था, लेकिन उससे पहले ही सारी फसलें सिल्ट और पत्थरों के नीचे दबकर बर्बाद हो गई हैं।
किसानों का यह भी आरोप है कि सरकार, विधायक और प्रशासन इनकी कोई सुध नहीं ले रहे हैं। इन्होंने अपने नुकसान के लिए बीबीएमबी प्रबंधन को जिम्मेवार ठहराया है, जिनके द्वारा सिल्ट छोड़े जाने के कारण किसानों का यह नुकसान हुआ है। इन्होंने मांग उठाई है कि सुकेती खड्ड का सही ढंग से चैनलाईजेशन किया जाए ताकि भविष्य में इन्हें इस प्रकार की आपदा का सामना न करना पड़े।
बता दें कि मंडी जिला की बल्हघाटी को हिमाचल का मिनी पंजाब कहा जाता है। यहां पर बहुत बड़ी संख्या में किसान नकदी फसलों की खेती करते हैं। यहां पर बड़ी मात्रा में सब्जी उत्पादन होता है और इसकी सप्लाई प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों को भी जाती है। लेकिन इस बार की बरसात से किसानों की हजारों बीघा भूमि तबाह हो गई है जिससे अब आने वाले समय में सब्जी के उत्पादन में कमी देखने को मिल सकती है।