हिमाचल प्रदेश में जानलेवा रोग एड्स को लेकर राहत की बात है। आईसीटीसी केंद्र की सेवा, मरीजों की काउंसलिंग व विशेष मार्गदर्शन समय पर दवाई की उपलब्धता के कारण एड्स का प्रकोप कम हुआ है।
प्रदेश भर में अब तक 5461 एचआईवी संक्रमित हैं। इनमें 2873 पुरुष, 2583 महिलाएं और पांच ट्रांस जेंडर शामिल हैं। ये मरीज प्रदेश भर में छह एआरटी केंद्रों की निगरानी में हैं। इसके अलावा 56 आईसीटीसी केंद्र संचालित हैं। प्रदेश सरकार की ओर से एड्स मरीजों को हर महीने 1500 की आर्थिक सहायता भी दी जाती है। एड्स कंट्रोल सोसाइटी के स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर डॉ ललित ठाकुर ने शिमला में आयोजित एक कार्यशाला में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एचआईवी संक्रमितों में 31 से 45 वर्ष की आयु के 51 फीसदी, 16 से 30 वर्ष के 20.5 फीसदी, 46 से 60 वर्ष के 20.9 फ़ीसदी, 0 से 15 वर्ष के 5.4 फीसदी और 60 वर्ष से अधिक आयु के 2.1 फीसदी हैं। उन्होंने बताया कि 2030 तक हिमाचल प्रदेश को एड्स मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
डॉक्टर ललित ठाकुर ने बताया कि देश भर से अगर हिमाचल प्रदेश की तुलना की जाए, तो प्रदेश की स्थिति बेहतर है। प्रदेश में एचआईवी संक्रमण की दर केवल 0.11 फीसदी है। वहीं देशभर में एचआईवी संक्रमण की दर 0.21 है। हिमाचल में एक लाख जनसंख्या पर एड्स मरीजों की मृत्यु दर 0.98 फीसदी है, जबकि राष्ट्रीय दर 3.08 फीसदी है।
डॉक्टर ललित ठाकुर ने बताया कि एचआईवी की चपेट में आने के कई सालों बाद एड्स की बीमारी होती है। प्रदेश में एड्स के अधिकतर मरीज दवाएं खाते हुए सामान्य जीवन जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि एड्स न तो साथ रहने से फैलता है और न ही यह हाथ मिलाने से ही होता है। अस्वस्थ यौन संबंध बनाने, दूसरे व्यक्ति में लगी सिरिंज का इस्तेमाल करने, अनुत्पादक व्यवहार करने आदि से ही एड्स फैलता है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक एचआईवी एक्ट 2017 के उल्लंघन के छह मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि एचआईवी के प्रति किसी भी जानकारी के लिए एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा जारी 1097 टोल फ्री नंबर पर किसी भी समय काल करके हासिल की जा सकती है।
डॉक्टर ललित ठाकुर ने कहा कि एचआईवी संक्रमित मरीजों का इलाज हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के कार्यक्रमों तहत करवाया जाता है। प्रदेश में एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी केंद्र के साथ चार मोबाइल वेन की व्यवस्था है। इन थेरेपी केंद्र में मरीज को मुफ्त इलाज की सुविधा है। इसके अलावा सरकार की ओर से एड्स मरीजों के लिए केंद्रों तक आने-जाने के लिए बसों में मुफ्त सफर की सुविधा भी दी गई है।