Ganesh Chaturthi 2023: क्या आप जानते हैं अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन ही गणपति विसर्जन (Ganpati Visarjan) क्यों किया जाता है?

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2023), जिसे विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार अगस्त या सितंबर महीने में आता है. इस दस दिवसीय उत्सव के दौरान भक्त गणपति मूर्तियों की पूजा करते हैं, जिन्हें बाधाओं को दूर करने वाले और नई शुरुआत के देवता के रूप में भी जाना जाता है.

19 सितंबर 2023 को शुरु हुआ 10 दिवसीय गणेशोत्सव 28 सितंबर 2023 गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan 2023) के साथ समाप्त हो जाएगा, जिसे अनंत चतुर्दशी भी कहा जाता है.

अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2023) और गणपति विसर्जन का त्योहार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति विसर्जन क्यों किया जाता है?

भक्तगण अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को इस वादे के साथ विदा करते हैं कि वह अगले साल फिर आएंगे. साल 2023 में 28 सितंबर को गणेश विसर्जन का पर्व मनाया जाएगा.

अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन 2023 की परंपरा के पीछे की कहानी (Why Ganpati Visarjan Happens On Anant Chaturdashi?)

Why Ganpati Visarjan Happens On Anant Chaturdashi? / UnsplashWhy Ganpati Visarjan Happens On Anant Chaturdashi? / Unsplash

गणेश विसर्जन चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, इसलिए इसे अनंत चतुर्दर्शी या अनंत चौदस के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, अनंत चतुर्दशी का त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि या 14वें दिन मनाया जाता है.

पौराणिक कथानुसार, जब महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी को महाभारत लिखने के लिए मना लिया तो बप्पा ने शर्त रखी कि मैं जब लिखना शुरू करूंगा तो कलम नहीं रोकूंगा, अगर कलम रुक गई तो मैं लिखना बंद कर दूंगा. वेदव्यास जी मान गए और गणेश जी ने लिखना शुरू कर दिया. महाभारत लेखन का कार्य भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन शुरू हुआ था. वेदव्यास जी ने आंखें बंद करके गजानन को कहानी सुनानी शुरू की और 10 दिनों तक कहानी सुनाते रहे और गणपति लगातार लिखते रहे, लगातार 10 दिन तक लिखने के बाद अनंत चौदस के दिन लेखन कार्य पूरा हुआ. जब 10 दिन बाद वेदव्यास ने आंखें खोली तो गणेश जी के शरीर का तापमान काफी बढ़ चुका था. तब वेदव्यास ने गजानन को देखा तो पानी में नहलाया ताकि उनके शरीर का तापमान कम हो सके. तब से गणेश विसर्जन की परंपरा शुरू हुई थी.

गणेश विसर्जन की परंपरा (Rituals Of Ganesh Visarjan)

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गणेश विसर्जन, जिसे गणपति विसर्जन के रूप में भी जाना जाता है. साथ ही इसको गणेश चतुर्थी उत्सव के समापन के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो आम तौर पर 10 दिनों तक चलता है. यह त्योहार घरों और सार्वजनिक स्थानों पर भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियों की स्थापना के साथ शुरू होता है. भक्त प्रसाद, प्रार्थना और विभिन्न अनुष्ठानों के साथ भगवान गणेश की मूर्ति की पूजा करते हैं.

गणेश चतुर्थी त्योहार के अंत में, विसर्जन की तैयारी शुरू हो जाती है. भक्त मूर्ति को विसर्जन के लिए जलाशय तक ले जाने के लिए ढोल-नगाड़ों के साथ जुलूस निकालते हैं. गणपति विसर्जन के दौरान, भगवान गणेश के भक्त बप्पा को हार्दिक विदाई देते हुए कहते हैं, “तुझको फिर से जलवा दिखाना ही होगा, अगले जन्म आना है, आना ही होगा.”

गणपति बप्पा प्रथम पूज्य देवता हैं और उन्हें परिवार का सदस्य माना जाता है. वह हर साल धरती पर आते हैं और कुछ दिनों तक अपने भक्तों के घर में वास करते हैं. फिर भक्तगण भगवान गणेश की 1.5, 3, 5, 7 या 10 दिन के बाद औपचारिक विदाई करते हैं, जिसे “विसर्जन” कहा जाता है.

गणपति विसर्जन का महत्व (Ganesh Visarjan Significance)

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गणेश विसर्जन एक अनुष्ठान है जिसमें भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति को पानी में विसर्जित किया जाता है. यह भगवान गणेश के अपने घर कैलाश वापस जाने का प्रतीक है, लेकिन विसर्जन क्यों किया जाता है, और अगले साल की पूजा के लिए उसी मूर्ति का पुन: उपयोग करना वर्जित क्यों है?

विसर्जन अनुष्ठान जन्म और मृत्यु के चक्र का प्रतिनिधित्व करता है, जो जीवन के मूलभूत सत्य पर प्रकाश डालता है. इसके अलावा, यह नश्वरता की अवधारणा का प्रतीक है, इस बात पर जोर देते हुए कि परिवर्तन ही एकमात्र नियम है. इसलिए, विसर्जन परंपरा एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करती है कि इस धरती पर पैदा होने वाले प्रत्येक प्राणी का अंततः अंत होना निश्चित है.

इसके अलावा, मूर्तियों को जलाशय में विसर्जित करने का विकल्प गहरा अर्थ रखता है. समुद्र या जलाशय अनंत (ईश्वर) का प्रतीक है, जबकि मूर्ति मोक्ष की तलाश में आत्मा का प्रतिनिधित्व करती है.

अनन्त चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन 2023 का शुभ मुहूर्त (Visarjan 2023 On Anant Chaturdashi)

अनन्त चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन 2023  28 सितंबर 2023, गुरुवार
प्रातः मुहूर्त (शुभ)
 06:12 AM से 07:42 AM
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) 10:42 AM से 03:11 PM
अपराह्न मुहूर्त (शुभ)  04:41 PM से 06:11 PM
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर)
06:11 PM से 09:12 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) 12:12 AM से 01:42 AM, सितम्बर 29
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ सितम्बर 27, 2023 को 10:18 PM बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त सितम्बर 28, 2023 को 06:49 PM बजे

गणेश विसर्जन 2023 के अनुष्ठान (Ganesh Visarjan Puja Vidhi In Hindi)

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– भगवान गणेश विसर्जन के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें और उसके बाद पूजा करें.

– गणपति मूर्ति का हल्दी-कुमकुम से तिलक करें और फूल माला पहनाएं.

– सुबह की आरती करें.

– आरती के बाद भोग प्रसाद चढ़ाएं जिसे बाद में परिवार के सभी सदस्यों में बांट दिया जाए.

– विसर्जन अनुष्ठान उत्तरांग पूजा के साथ शुरू होता है, एक समारोह जिसमें भगवान गणपति को पांच प्रसाद की प्रस्तुति शामिल है: तेल के दीपक (दीप), फूल (पुष्प), धूप (धूप), सुगंध (गंध), और भोजन (नैवेद्य).

– फिर 3-4 लोग भगवान गणेश की मूर्ति को अपने हाथों से उठाते हैं और उसे पानी में विसर्जित कर देते हैं और “गणपति बप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया” का जाप करते हुए.

– गणेश भक्त अपने मन में “तुझको फिर से जलवा दिखाना ही होगा, अगले जन्म आना है, आना ही होगा.”गाने के साथ बप्पा को भावभीनी विदाई देते हैं.

गणेश विसर्जन 2023: मंत्र (Ganesh Visarjan Mantra)

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1. ॐ गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ, स्वस्थाने परमेश्वर। यत्र ब्रह्मादयो देवाः, तत्र गच्छ हुताशन।

2. एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि

3. गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् । उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥

4. ॐ गं गणपतये नमः

5. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा

नोट: तिथियां/समय परिवर्तन के अधीन हो सकते हैं; यहां उल्लिखित विवरण उपलब्ध जानकारी के अनुसार हैं.