उपायुक्त राहुल कुमार व पुलिस अधिक्षक मयांक चौधरी ने गवर्नर व लेडी गवर्नर का किया स्वागत
एंकर रीड _
हिमाचल प्रदेश के गवर्नर श्री शिव प्रताप शुक्ल तथा लेडी गवर्नर श्रीमती जानकी शुक्ल जी का चीन तथा तिब्बत सीमा से सटे जनजातीय घाटी स्पीति के समदो व जनजातीय जिला किन्नौर में पहला दौरा है। उन्होंने 13000 फीट की ऊंचाई पर स्थित जनजातीय घाटी स्पीति के समदो सैन्य शिविर, भारत-तिब्बत सीमा बल की फारवर्ड पोस्ट लेपचा तथा सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया। गवर्नर शिव प्रताप शुक्ल लेपचा पोस्ट गए और यह पहला मौका है जब किसी वशिष्ट व्यक्ति ने इस पोस्ट का दौरा किया। नियंत्रण रेखा पर बनी इस पोस्ट से तिब्बत के तीन गांव चुरुप, शकटोट और घुमुर नजऱ आते हैं। राज्यपाल को सैन्य अधिकारियों ने विस्तृत जानकारी दी तथा बताया कि सेना के जवान किस तरह विपरीत परिस्थितियों में दिन-रात यहां सीमाओं की चौकसी करते हैं। बहरहाल एक तरफ हिमाचल के गवर्नर शिव प्रताप शुक्ल का जनजातीय क्षेत्रों का यह पहला दौरा है ऐसे में दूसरे तरफ चीन सीमा से सटे जनजातीय घाटी स्पीति में लोक निर्माण विभाग व बीआरओ 108आरसीसी के सेंकड़ों मजदूरों का मस्टररोल बंद होने से इन गरीब मजदूरों का रोज़ी रोटी का संकट पड़ा हुआ है। लोक निर्माण विभाग द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के मौखिक रूप से आदेश देकर स्पीति के सभी लोक निर्माण विभाग के देनिक वेतन भोगी मजदूरों का मस्टररोल बंद कर दिया गया था। अभी तक हिमाचल प्रदेश में किसी सरकार व विभाग के अधिकारी ने पीडब्ल्यूडी विभाग के देनिक वेतन भोगी मजदूरों को नहीं निकाला था। ऐसी परिस्थिति में स्पीति लोक निर्माण विभाग काजा डिवीजन के देनिक वेतन भोगी मजदूरों के बेरोजगार होने से आने वाली परेशानियों के कारण स्पीति के सभी देनिक वेतन भोगी मजदूरों पर मानसिक दवाब लगातार बढ़ रहा है और मजदूरों को परिवार का भरण पोषण करना व बच्चों को शिक्षा देना काफी मुश्किल हो गया है, क्योंकि ये सभी मज़दूर पूरी तरह विभाग पर निर्भर हैं। गोरतलब रहे कि जनजातीय घाटी स्पीति में लोक निर्माण विभाग काजा डिवीजन के अंतर्गत तैनात स्पीति के विभिन्न गांवों से लगभग 120 देनिक वेतन भोगी मजदूर पिछले दस बारह वर्षों से सेवाएं देते आ रहे थे। लोक निर्माण विभाग में तैनात120 देनिक वेतन भोगी मजदूरों के आजीविका का साधन सिर्फ विभाग पर निर्भर हैं। चीन व तिब्बत सीमा से सटे शुष्क जलवायु वाला स्पीती घाटी अत्यंत पिछड़ा व दुर्गम घाटी है। यहां पर रोजगार के साधन काफी सीमित हैं। यहाँ की भौगोलिक परिस्थितियां जीवन यापन करने के लिए काफी कठिन हैं। साल में गर्मियों के तीन चार महीने ही मौसम अनुकूल रहता है। सर्दियों के सात आठ महीने बर्फ़ से लकदक माइनस तीस डिग्री सेल्सियस शुष्क मौसम में शेष दुनिया से संपर्क कटा रहता है।