हिमाचल प्रदेश में परिवहन विभाग से रिटायर हुए कर्मचारियों की हालत आज भीखारियों की तरह हो गई है। सरकार की बेरूखी के चलते उम्र के इस पड़ाव पर पेंशनधारक दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गया है। यदि ऐसा ही रहा तो एचआरटीसी के पेंशनरों का रोष सरकार के खिलाफ कभी भी फूट सकता है। यह बात हिमाचल प्रदेश एचआरटीसी पेंशनर कल्याण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष केसी चौहान ने मंडी में कही।

मीडिया से अनौपचारिक बातचीत दौरान HRTC पेंशनर्स कल्याण संगठन

मंडी में आयोजित प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के उपरांत उन्होंने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि प्रदेश सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया है, जिसका संगठन स्वागत करता है। लेकिन इसके साथ ही पेंशन धारकों को कई वर्षों से कई प्रकार के देय भत्तों से वंचित रखा गया है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने बताया कि एचआरटीसी के पेंशनर को कई वर्षों से डीए, पे रिवीजन एरियर और 60, 65, 70 और 75 के पेंशन अलाउंस से भी वंचित रखा गया है। सरकार एचआरटीसी पेंशनर्स के हकों के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने सरकार से निवेदन किया है कि उम्र के इस पड़ाव पर पेंशनधारकों की मांगों को शिघ्र पूरा कर सभी विभागों की तर्ज पर उन्हें भी बराबर का लाभ दिया जाए।

वर्तमान में प्रदेश में पेंशनरों की संख्या आठ हजार के करीब है, जिनके रूके हुए पेंशन भत्ते पर मात्र 40 करोड़ सरकार का देय है। वहीं यदि सभी प्रकार के भत्तों को मिलाया जाए तो यह आंकड़ा करीब 500 करोड़ रूपये तक पहुंच जाएगा। संगठन ने सरकार से मांग उठाई है कि तुरंत प्रभाव से पेंशनरों की पीड़ा को देखते हुए समय पर सभी प्रकार के भत्तों और पेंशन की अदायगी की जाए। बैठक में प्रदेश कार्यकारिणी सहित जिला की कार्यकारिणी के सदस्य भी मौजूद रहे।