#HP : बुजुर्गों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाया नाम, मास्टर्स एथलेटिक्स में मेडल जीत लौटे वतन

मलेशिया की मलाया यूनिवर्सिटी में 16 व 17 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय मास्टर्स एथलीट प्रतियोगिता में मेडल जीत कर लौटे जिला के तीन एथलीटों का जोरदार स्वागत किया गया। ढोल- नगाड़ों की थाप पर हुए स्वागत के दौरान विजेताओं के परिजनों व अन्य खेल प्रेमियों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद कर खूब मिठाइयां बांटी।

मास्टर्स एथलेटिक्स में मेडल जीत वतन लौटते बुजुर्ग चैंपियन 

इस मौके पर टीम मैनेजर के रूप में खिलाड़ियों के साथ गए एसोसिएशन के चेयरमैन अश्वनी जैतक ने बताया कि 31 सदस्यों के भारतीय एथलीट्स दल ने 27 मेडल भारत की झोली में डाले हैं। जिनमें हिमाचल प्रदेश के चार एथलीट्स सात मेडल जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कि भारतीय एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने युवाओं को भी इन खिलाड़ियों से सीख लेते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

1500 मीटर दौड़ प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतने वाले 74 वर्षीय पूर्व शिक्षक ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि वह 40 वर्ष की आयु में मैदान के साथ जुड़े। यहीं से उन्होंने अपने नियमित अभ्यास के दम पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश के लिए मेडल जीते। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के तमाम लोगों को जीवन जीने की कला सीखाना है, ताकि वह तंदुरुस्त रह सके और युवा वर्ग उनसे प्रेरणा लेते हुए नशों को त्याग कर स्वस्थ जीवन जीने की तरफ कदम बढ़ा सके।

सरकारी प्राइमरी स्कूल में प्राथमिक शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे 54 वर्षीय जरनैल सिंह ने जैवलिन थ्रो में कांस्य पदक जीता। उन्होंने बताया कि वह 40 वर्ष की उम्र के बाद खेल से जुड़े और अथक प्रयास करते हुए कई प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता की। आज अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में देश के नाम कांस्य पदक जीतकर उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि नशे का त्याग कर स्वस्थ जीवन जीने के लिए नियमित रूप से खेल गतिविधियों में प्रतिभागिता करें।

1500 मीटर और 3000 मीटर की दौड़ प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतने वाले 66 वर्षीय सेवानिवृत्ति कॉलेज प्राध्यापक अजीत सिंह ठाकुर ने बताया कि युवावस्था से लेकर सेवानिवृत्ति तक उन्होंने कभी भी किसी खेल प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया था।

सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने देश के मास्टर एथलीट्स से प्रेरणा लेते हुए दौड़ प्रतियोगिताओं के लिए अभ्यास शुरू किया। इसी साल फरवरी में उन्होंने पहली बार घरेलू मास्टर एथलेटिक्स में भाग लिया था। जिसमें जीत हासिल करने के चलते उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए चुना गया। जिसमें उन्होंने 3000 मीटर और 1500 मीटर दौड़ प्रतियोगिताओं में कांस्य पदक जीते हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग अवस्था में पहुंचकर स्वस्थ जीवन जीने का रहस्य खेल गतिविधियों में ही छिपा है।