आज भले ही जासूसी के लिए तमाम तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाता हो लेकिन एक जासूस जो जानकारी खोज कर ला सकता है वो ये उपकरण नहीं ला सकते. हमने ऐसे कई जासूसों के किस्से और इनकी जीवनियां पढ़ीं और सुनी हैं. इन्हें अपना हर काम बिना खून खराबे के करना होता है. ये जासूस आम लोगों में से ही निकल कर आते हैं. ऐसा ही एक जासूस था वो मुर्गियां पालने वाला शख्स, जिसने हिटलर तक को ठग दिया था. उसने बिना जर्मनी भनक लगे सालों तक उसकी जासूसी की.
मुर्गी पलने वाला जुआन बना जासूस
ये कहानी है स्पेन के एक रूई कारखाने के मालिक के बेटे की, जिसका नाम था जुआन पुजोल ग्रेशिया. इस लड़के में कुछ भी ऐसा नहीं था जो इसे भीड़ से अलग लाकर खड़ा कर सकता था. कभी अमीर पिता की तरह रूई का बिजनेस किया, तो कभी दुकान में असिस्टेंट का काम खोजने निकल गया. पिता भी अपने इस बेटे की हरकतों से परेशान थे और दोनों के बीच अनबन सी ही रहती है. पिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए, जिसके बाद बेटे ने ये तय किया कि वह रूई का धंधा बंद कर और मुर्गियां पालेगा.
ये वही दौर था जब स्पेन गृह युद्ध की विकट समस्या से जूझ रहा था. उसे सैनिक ट्रेनिंग करनी पड़ी, इस 6 महीनों की ट्रेनिंग के दौरान वह ऊब गया. उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये सब हो किसके लिए रहा है. उसे लगा कि कोई भी देश इंसानियत का महत्व नहीं समझता. इसी दौरान उसने मैड्रिड जाकर शादी कर ली. अजब बात ये थी कि शादी भी उसके लिए एक प्रयोग के समान थी. उसका प्रयोग कुछ हद तक सफल होता, इससे पहले दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया.
जर्मनी से करता था नफरत
उसे जर्मनी से बहुत नफरत थी. वह किसी भी तरह इस देश को रोकना चाहता था. उसे समय के साथ समझ आया कि इस समय ब्रिटेन ही वो देश है, जो नाजियों को रोक सकता है. कहते हैं कि जुआन अपनी अर्जी लेकर ब्रिटिश सेना के पास जा पहुंचा. उसने ये निवेदन किया कि उसे अपनी तरफ से जासूस बना लिया जाए लेकिन ऐसे कुछ भी नहीं होता. लिहाजा नई उम्र के इस युवक के निवेदन को उसी समय नकार दिया गया.
ब्रिटिश जासूस बनने के लिए बना नाजियों का वफादार
लेकिन समस्या ये थी कि जुआन ढीठ किस्म का युवक था. उसने हार मानने की बजाए ये सोचा कि उसे पहले जर्मनी की जासूसी कर नाजियों के राज पा लेने चाहिए और फिर ब्रिटेन से इस बारे में बात करनी चाहिए. जिससे कि ब्रिटेन उसे लेने से इनकार न कर पाए. हैरानी की बात ये है कि उसकी ये सोच काम कर गई. जुआन दिखावे के लिए नाजियों का वफादार बन गया. उसने अपनी इस झूठी वफादारी को सही साबित करने के लिए ब्रिटेन के वो राज चुकाकर जर्मनी तक पहुंचाए जिनसे कोई बड़ा नुकसान नहीं होने वाला था.
ब्रिटेन ने माना जासूसी का लोहा
डबल एजेंट बन चुके जुआन की इस हरकत से ब्रिटेन सेना भी वाकिफ हो गई थी और वे उसे आसानी से अपना वो भेद और सूचनाएं दे देती थी, जिससे कोई नुकसान न हो. नाजियों को बेवकूफ बनाने का ये सिलसिला काफी समय तक चलता रहा. हद तो तब हो गई जब जुआन ने ब्रिटिश सेना की मदद से एक ऐसे एजेंट की मौत का नाटक रच दिया जो कि कभी था ही नहीं. हैरान करने वाली बात ये है कि नाजी उसके इस झूठ को सच मान लिया और जो एजेंट कभी था ही नहीं उसकी विधवा को बड़ा इनाम भिजवाया. जब कोई एजेंट मारा ही नहीं था तो उसकी विधवा के होने का सवाल ही नहीं था. ऐसे में सारा इनाम जुआन ने ले लिया.
मिली बड़ी जिम्मेदारी
ये साल 1944 था जब जुआन को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई. इसी साल ब्रिटिश और अमेरिकी सेनाओं ने मिलकर नॉर्मेंडी से होते हुए नाजियों पर हमला कर उन्हें हराने की योजना बनाई. जुआन का काम ये था कि उसे हिटलर की सेना को किसी भी तरह यह यकीन दिलाना था कि नॉर्मेंडी पर हल्की-फुल्की लड़ाई हो रही है, असल हमला केले शहर के पास होगा. इस प्लानिंग को ऑपरेशन ओवरलोड नाम दिया गया. जिसे आम भाषा में डी-डे कहा गया.
जुआन ने ब्रिटिश और अमेरिकी सेना अधिकारियों की झूठी-सच्ची बातों की रिकॉर्डिंग जर्मन्स को भेजीं, जिससे कि वह उनकी नजर में सच्चा साबित हो सके. यहां तक कि फेक एयरफील्ड, टैंकों और शिप्स की आवाज और नक्शे तक भेजे गए. ये प्लान काम कर गया. जर्मन सेनाएं ये सोच कर केले के पास तैयारियां करती रहीं कि हमला यहीं होगा लेकिन असल में निशाने पर तो नॉर्मेंडी ही था और हमला भी वहीं हुआ.
अपना काम किया और हो गया गायब
जर्मनी सेना थोड़ी सतर्क रहती तो शायद उसका इतना नुकसान नहीं होता, क्योंकि डी-डे से एक रात पहले जुआन ने सुबह के 3 बजे रेडियो सिग्नल भेज कर नॉर्मेंडी की सीमा पर होने वाले हमले का जिक्र किया था. लेकिन सुबह जब तक रेडियो ऑपरेटरों ने मैसेज डिकोड किया, तब तक जंग छिड़ चुकी थी.
जाहिर सी बात थी कि जंग खत्म होने के बाद जुआन का सच नाजियों के सामने आना ही था और हुआ भी ऐसा ही. खुद की जान पर खतरा मंडराता देख जुआन ने साल 1949 में अपनी ही मौत का नाटक रच दिया. यहां तक कि आखिर तक किसी को पता नहीं लग सका कि वो किस नाम से और कहां रह रहा है. माना जाता है कि खुद ब्रिटिश सेना ने उसे परिवार समेत सुरक्षित वेनेजुएला पहुंचा दिया था.