जिगर मुरादाबादी के क्या खूब फरमाया है. जो तूफ़ानों को देखकर नहीं झुकते, वही तूफ़ान तो क्या, दुनिया तक को बदलने की हिम्मत रखते हैं. इंसान को अगर खुद पर भरोसा हो, अपनी मेहनत पर यकिन हो तो वो कुछ भी हासिल कर सकता है. वक्त-वक्त पर कई इंसानों ने अपने कमाल से बात साबित भी किया है. राजस्थान के वकील लोकेंद्र सिंह शेखावत उन्हीं लोगों में से एक हैं. वकील लोकेंद्र सिंह जज बनना चाहते थे और अपने बच्चों की प्रेरणा से उन्होंने ये मकाम हासिल कर लिया.
बच्चों ने किया दोबारा प्रयास करने के लिए प्रेरित
नवभारत टाइम्स के एक लेख के अनुसार, लोकेंद्र सिंह शेखावत पेशे से वकील थे और जज बनना चाहते थे. लोकेंद्र सिंह ने राजस्थान जिला जज कैडर भर्ती परीक्षा दी लेकिन असफल हो गए. आमतौर पर माता-पिता बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं, हिम्मत न हारने की प्रेरणा देते हैं लेकिन लोकेंद्र सिंह के बच्चों ने उन्हें प्रेरित किया.
पत्रिका के लेख के अनुसार, लोकेंद्र सिंह ने जिला जज कैडर भर्ती परीक्षा 2020 में प्रथम स्थान प्राप्त किया. राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने जिला जज कैडर भर्ती 2022 का इंटरव्यू 14 नंवबर को लिया था. रिज़ल्ट आया और लोकेंद्र सिंह को टॉपर घोषित किया गया.
बच्चों ने घर पर बनाया पढ़ाई का माहौल
स्थानीय मीडिया से बात-चीत के दौरान लोकेंद्र सिंह ने बताया था कि उन्होंने वकालत की पढ़ाई इसलिए की थी ताकि एक दिन जज बन सकें. वकालत की प्रैक्टिस करते हुए उन्होंने जज बनने की तैयारी भी जारी रखी. पहले प्रयास में असफ़ल होने के बाद चार साल बाद उन्होंने दोबारा परीक्षा दी.
पहले प्रयास में असफल हुए पिता को बच्चों ने प्रोत्साहित किया और घर पर पढ़ाई का माहौल बनाया. लोकेंद्र सिंह को घर पर पढ़ाई करने में दिक्कत न हो इसलिए 15 साल की बेटी देवांशी और 11 साल के बेटे ध्रुव घर पर ज़्यादा हल्ला-गुल्ला नहीं करते थे. बच्चों ने लोकेंद्र सिंह से कहा, ‘पापा आप हमारे सुपर हीरो हो, आप फ़ेल नहीं हो सकते. अगली बार ज़ोरदार तैयारी करके परीक्षा देना.’
हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस करने के साथ ही लोकेंद्र सिंह रोज़ाना 4 घंटे पढ़ाई करते. आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई. 9000 वकीलों ने परीक्षा दी थी और लोकेंद्र सिंह ने परीक्षा में अपनी मेहनत और परिवार के साथ से टॉप किया.