70 साल तक हम करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन केवल दूरबीन से ही कर सके : भारद्वाज

 

धर्मशाला, भाजपा प्रत्याशी राजीव भारद्वाज ने नूरपुर बज़्ज़ार में डोर टू डोर अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि 70 साल तक हम करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन केवल दूरबीन से ही कर सके। यह केवल इसलिए है क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा भारत को अपनी संस्कृति से दूर करने का प्रयास किया। 1971 में करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को वापस लेने का मौका मिला था, जब 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि अगर पीएम मोदी उस वक्त सत्ता में होते तो आत्मसमर्पण करने वाले 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को मुक्त करने से पहले पड़ोसी मुल्क से करतारपुर साहिब वापस ले लेते। पंजाब और सिख समुदाय हमेशा राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में सबसे आगे रहे हैं। उन्होंने इंडी गठबंधन को आड़े हाथ भी लिया और मुख्यमंत्री भगवंत मान को केवल ‘कागजी सीएम’ करार दिया। राजीव भारद्वाज ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का भावनात्मक मुद्दा उठाया और देश के विभाजन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वातामान इंडिया गठबंधन ने सत्ता के लिए ऐसा किया था। विभाजन के बाद करतारपुर साहिब पाकिस्तान के पंजाब वाले हिस्से में चला गया था। यह भारत के साथ सीमा से कुछ किलोमीटर दूर ही स्थित है। राजीव ने कहा, ‘‘70 साल तक हम करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन केवल दूरबीन से ही कर सके। 1971 में करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को वापस लेने का मौका मिला था, जब 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्होंने इस अवसर को और भारत के हाथ में ‘ट्रम्प कार्ड’ जैसा बताया और कहा, ‘‘यदि उस वक्त पीएम मोदी होते तो हम उनसे करतारपुर साहिब ले लेता और फिर उनके जवानों को मुक्त करते”।