बचपन में अंताक्षरी खेलते हुए अगर गलती से ‘ख’ आ गया तो हमारे दिमाग में एक ही गाना आता था, ‘खईके पान बनारस वाला’. उस समय ये तो पता नहीं था कि ये गाना किस पर फ़िल्माया गया है या किस फ़िल्म का है लेकिन गाना कंठस्थ था. ऐसा तभी होता है जब कोई फ़िल्म लोगों के दिल-ओ-दिमाग पर छप जाए. बॉलीवुड के ‘शहनशाह’ अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की ‘डॉन’ (Don 1978 Unknown Facts) का रुतबा कुछ ऐसा ही है.
चंद्र बरोट (Chandra Barot) निर्देशित क्राइम थ्रिलर में अमिताभ बच्चन ने डबल रोल किया था. बिग बी के अलावा फ़िल्म में ज़ीनत अमान (Zeenat Aman), प्राण (Pran), इफ़्तख़ार (Iftekhar) और हेलन (Helen) नज़र आए थे. फ़िल्म की कहानी सलीम ख़ान और जावेद अख़्तर ने लिखी थी. 1978 की ब्लॉकबस्टर्स में से एक बनी वो फ़िल्म जिसकी स्क्रिप्ट कोई लेने को तैयार नहीं था. अमिताभ बच्चन को लीड रोल के लिए फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड भी मिला.
कर्ज़े में डूबे थे प्रोड्यूसर नरिमन इरानी
प्रोड्यूसर नरिमन इरानी (Producer Nariman Irani) एक कैमरामैन थे जिन पर 12 लाख का कर्ज़ था. नरिमन की पहली फ़िल्म ‘ज़िन्दगी ज़िन्दगी’ बुरी तरह पिट गई थी. आर्थिक पचड़े से निकलने के लिए उन्हें इंडस्ट्री के कुछ लोगों ने एक और फ़िल्म बनाने की राय दी. यही फ़िल्म थी डॉन.
फ़िल्म की स्क्रीप्ट कोई लेना नहीं चाहता था
‘डॉन’ की कहानी सलीम ख़ान और जावेद अख़्तर की कलम से निकली है. जो भी ये स्क्रिप्ट पढ़ता रिजेक्ट कर देता. तब तक इस कहानी का कोई नाम नहीं था बस एक किरदार था ‘डॉन’ जैसा. देव आनंद, प्रकाश मेहरा, जीतेंद्र ने स्क्रिप्ट रिजेक्ट कर दी थी. प्रोड्यूसर नरिमन सलीम से मिले, सलीम ने कहा, ‘हमारे पास एक ब्रेकफ़ास्ट स्क्रिप्ट पड़ी है जो कोई ले नहीं रहा है.’ नरिमन ने वही स्क्रिप्ट खरीदी.
फ़िल्म के शुरुआत में DSP दि सिल्वा (Iftekhar) कुछ स्मगलर्स के नाम लेते हैं और इन्हीं में से एक नाम था ‘हरीभाई ज़रीवाला’. ये संजीव कुमार का रियल नाम है.
शूटिंग के दौरान हो गई थी प्रोड्यूसर की मौत
फ़िल्म की शूटिंग मई 1974 में शुरू हुई थी और तकरीबन 4 साल तक चली. शूटिंग के दौरान एक दिन बादल फटने की घटना घटी. इसके बाद एक लाइट के सपोर्ट में गड़बड़ी हो गई और यही लाइट नरिमन इरानी पर गिर गई. इस घटना की वजह से प्रोड्यूसर की सेट पर ही मौत हो गई.
प्रोड्यूसर की मृत्यु के बाद फ़िल्म यूनिट ने किसी से कर्ज़ लिए बिना ही फ़िल्म की शूटिंग पूरी की. फ़िल्म का प्रमोशन बजट भी कम कर दिया गया.
फ़िल्म की टिकट के लिए लगती थी लंबी लाइनें
‘डॉन’ का क्रेज़ दर्शकों के दिमाग पर ऐसा चढ़ा था कि तपती धूप में लोग फ़िल्म की टिकट खरीदने के लिए मीलों लंबी लाइनें लगाते थे. ये फ़िल्म अमिताभ बच्चन की एक और ब्लॉकबस्टर फ़िल्म ‘त्रिशूल’ (Trishul, 1978) की रिलीज़ के एक हफ़्ते बाद रिलीज़ हुई थी. 1980 में रजनीकांत ने फ़िल्म का तमिल वर्ज़न बनाया था, ‘बिल्ला’. फ़िल्म की ‘मैं इंतकाम लूंगा’ नाम से हिन्दी डबिंग भी हुई.
एक ब्लॉकबस्टर हिन्दी फ़िल्म बनाने के बाद निर्देशक चंद्र बरोट ने कोई और हिन्दी फ़िल्म नहीं बनाई. इसकी वजह किसी को पता नहीं है.
मनोज कुमार के कहने पर जोड़ा गया ‘खईके पान बनारसवाला’ गाना
मनोज कुमार ने फ़िल्म का रफ़ कट देखने के बाद सुझाव दिया कि फ़िल्म की कहानी ऐसे चलती है कि लोग बाथरूम तक नहीं जा पा रहे हैं. कहानी ही कुछ ऐसी थी! लेजेंडरी एक्टर के सुझाव के बाद एक्शन से भरपूर फ़िल्म में ‘खईके पान बनारसवाला’ गाना ऐड किया गया.
गौरतलब है कि ये गाना देव आनंद की फ़िल्म ‘बनारसी बाबू’ (Banarasi Babu, 1973) के लिए लिखा गया था. ‘डॉन’ की पूरी शूटिंग के बाद ‘खईके पान बनारसवाला’ गाने की शूटिंग हुई थी. किशोर दा ने गाना रिकॉर्ड करते समय फ़ील के लिए सच में पान चबाया था और स्टूडियो में एक प्लास्टिक शीट पर थूका था. गाने की शूटिंग के दौरान बिग बी लंगड़ाते नज़र आ रहे हैं, ये कोई स्टेप नहीं था बल्कि उन्हें चोट लग गई थी.
प्राण, अमिताभ बच्चन, ज़ीनत अमान ने फ़ीस नहीं ली थी
‘डॉन’ 25 लाख के बजट में बनी थी. फ़िल्म के लिए प्राण, अमिताभ बच्चन और ज़ीनत अमान ने कोई फ़ीस नहीं ली थी. फ़िल्म जब हिट हो गई और मुनाफ़ा कमाने लगी तब एक्टर्स को प्रोफ़िट में हिस्सा दिया गया. फ़िल्म मेकर्स ने सलमा इरानी को कर्ज़ चुकाने के लिए पैसे भी दिए.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्राण को अमिताभ बच्चन से ज़्यादा पैसे मिले थे. प्राण का किरदार ‘जसजीत’ ओरिजिनल स्क्रिप्ट में सीधा चलता है. फ़िल्म में प्राण को छड़ी दी गई, कहानी में भी कुछ बदलाव किए गए. दरअसल शूटिंग से पहले प्राण का एक्सीडेंट हो गया था और वो सीधे नहीं चल पाते थे.
अमिताभ ने खाए थे 40 पान
आनंद जी (कल्याण जी- आनंद जी) से निर्देशक चंद्र बरोट को अमिताभ को पान खिलाने का आइडिया आया था. शूटिंग के दौरान बिग बी ने 40 पान खाए थे. होंठ लाल करने के लिए उन्होंने काफ़ी पान खाए और नतीजा ये हुआ कि उनके होंठ छिल गए, वो काफ़ी दिनों तक दर्द में रहे. किसी को पता नहीं था कि होंठ लाल करने के लिए चूने की ज़रूरत नहीं होती.
अमिताभ बच्चन का ‘विजय’ का किरदार संजीव कुमार की ‘नया दिन नई रात’ (Naya Din Nayi Raat) से प्रेरित था. फ़िल्म में संजीव ने 9 किरदार निभाए थे. मास्टर जी का किरदार बहुत पान खाता था और उसके बाल तेल से चिपड़े थे.
फ़रीदा जलाल का 5 मिनट का रोल था
फ़िल्म में एक्ट्रेस फ़रीदा जलाल का 5 मिनट का रोल था. बॉम्बे एयरपोर्ट पर ये सीन शूट किया गया था. बाद में फ़िल्म मेकर्स को लगा कि इस किरदार की ज़रूरत नहीं है और इस सिक्वेंस से फ़िल्म लंबी हो रही है. फ़रीदा जलाल का पूरा रोल ही एडिट कर दिया गया.
थियेटर में ‘खईके पान बनारसवाला’ देखने जाती थी सरोज ख़ान
कोरियग्राफ़र सरोज ख़ान (Choreographer Saroj Khan) उन दिनों एक बैकग्राउंड डांसर थी. वो बॉम्बे के एक थियेटर में रोज़ डॉन देखने जाती थी सिर्फ़ ‘खईके पान बनारसवाला’ देखने के लिए. धीरे-धीरे थियेटर के अधिकारियों ने उन्हें पहचानना शुरू किया और बाद में उन्हें टिकट खरीदने से मना कर दिया. थियेटर वालों ने दिलेरी दिखाते हुए एक शो के दौरान सरोज ख़ान की सीट रिज़र्व रख दी.