ग्रामीण भारत में 14 से 18 आयु वर्ग के 42 प्रतिशत छात्र आसान अंग्रेजी वाक्य नहीं पढ़ सकते, रिपोर्ट में किया गया दावा
बियांड बेसिक्स शीर्षक वाली एएसईआर-2023 के लिए 26 राज्यों के 28 जिलों में 14-18 आयुवर्ग के 34745 बच्चों पर सर्वे किया गया। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के दो ग्रामीण जिलों व अन्य सभी प्रमुख राज्यों के कम से कम एक ग्रामीण जिले में सर्वे किया गया। रिपोर्ट बताया गया कि अधिक उम्र के बच्चों के शिक्षण संस्थानों में नामांकित होने की संभावना कम होती है।
देश में 14-18 आयु वर्ग के एक चौथाई छात्र क्षेत्रीय भाषाओं में कक्षा दो का पाठ भी धाराप्रवाह नहीं पढ़ सकते हैं। ग्रामीण भारत में 42 प्रतिशत छात्र अंग्रेजी के आसान वाक्य तक नहीं पढ़ सकते हैं। हालांकि तीन चौथाई बच्चे (73.5 प्रतिशत) अंग्रेजी के वाक्यों का मतलब बता सकते हैं। यह दावा बुधवार को गैर लाभकारी संस्था प्रथम फाउंडेशन द्वारा जारी नई वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) में किया गया।
34745 बच्चों पर किया गया सर्वे
‘बियांड बेसिक्स’ शीर्षक वाली एएसईआर-2023 के लिए 26 राज्यों के 28 जिलों में 14-18 आयुवर्ग के 34,745 बच्चों पर सर्वे किया गया। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के दो ग्रामीण जिलों व अन्य सभी प्रमुख राज्यों के कम से कम एक ग्रामीण जिले में सर्वे किया गया। रिपोर्ट बताया गया कि अधिक उम्र के बच्चों के शिक्षण संस्थानों में नामांकित होने की संभावना कम होती है।
32 प्रतिशत बच्चे शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित नहीं
14 वर्ष के महज 3.9 प्रतिशत छात्र नामांकित नहीं है, जबकि 18 वर्ष के 32.6 प्रतिशत बच्चे नामांकित नहीं है। 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 32 प्रतिशत से अधिक बच्चे शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित नहीं हैं और कक्षा 11 व 12 में 55 प्रतिशत छात्र मानविकी स्ट्रीम को चुनते हैं।
इसके बाद विज्ञान व वाणिज्य को चुनते हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि युवकों की तुलना में युवतियों के एसटीईएम (विज्ञान, टेक्नोलाजी, इंजीनियरिंग, गणित) चुनने की संभावना कम होती है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि कोविड महामारी के बाद आजीविका संकट के बावजूद बहुत कम छात्रों ने अपनी पढ़ाई छोड़ी।