24 वर्षों तक स्वास्थ्य विभाग में एनएचएम (NHM) के माध्यम से सेवाएं देने के बाद लाल चंद खाली हाथ घर लौट गया। एनएचएम के कर्मचारियों ने आपसी सहयोग से 51 हजार की राशि एकत्रित करके लाल चंद को सौंपी और दुखी मन से उनकी सेवानिवृत्ति में भाग लिया।
लाल चंद की सेवानिवृति पर आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए एनएचएम अनुबंध कर्मचारी संघ के लीगल एडवाइजर राकेश कुमार ने बताया कि एनएचएम कर्मियों के लिए राज्य सरकार द्वारा अभी तक कोई भी स्थायी नीति नहीं बनाई गई है। जिस कारण आज कर्मचारियों को खाली हाथ घर जाना पड़ रहा है।
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अभी दो महीने पहले एक अन्य चालक को भी इसी तरह से खाली हाथ घर जाना पड़ा। कई बार सरकार को इस विषय में अवगत करवाने के बाद भी सरकार कोई स्थायी नीति न बनाकर इस वर्ग के कर्मचारियों का शोषण कर रही है। इन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर सरकार ने 15 अगस्त तक कोई स्थायी नीति नहीं बनाई तो पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन किया जाएगा।
एनएचएम कर्मचारी संघ ने सीएमओ, स्वास्थ्य मंत्री और राज्य सरकार को ज्ञापन भेजकर लाल चंद को फिर से नियुक्ति देने की मांग उठाई है। ताकि ये अपने परिवार का सही ढंग से भरण-पोषण कर सकें। बता दें कि जिला के कर्मचारियों ने अपनी तरफ से 51 हजार की राशि एकत्रित करके तो दी है। लेकिन आज की महंगाई के इस दौर में यह राशि कितने दिनों तक लाल चंद का सहारा बनेगी, यह सर्वविदित है।
एसोसिएशन का कहना है कि यह सरकार के लिए शर्म की बात होनी चाहिए कि एक कर्मचारी सरकार के लिए 24 वर्षों का समय दे देता है। बदले में सरकार उसे कुछ भी नहीं दे पा रही है। यह इस वर्ग के कर्मचारियों के साथ सरासर अन्याय है। अब इस अन्याय को और सहन नहीं किया जाएगा।