11 हजार फीट की उंचाई पर शिकारी देवी मंदिर में कंबल के सहारे बीतनी पड़ती है रात

11 हजार फीट की उंचाई पर स्थित मंडी जिला के सुप्रसिद्ध शिकारी देवी माता मंदिर में कड़कड़ाती ठंड के बीच पतले से कंबल के सहारे रात बीतानी पड़ती है। यहां पर रात्रि विश्राम करने वाले श्रद्धालुओं को रजाई आदि की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालांकि 15 नवंबर के बाद शिकारी देवी की तरफ जाने का सिलसिला प्रशासन द्वारा बंद कर दिया जाता है, लेकिन यह निर्णय मौसम के हिसाब से लिया जाता है। इसलिए आजकल भी श्रद्धालुओं का शिकारी देवी जाने का सिलसिला जारी है।

हमीरपुर जिला के आए संदीप राणा, मनीष राणा और सुंदरनगर से आए संजय कुमार ने बताया कि जब उन्होंने शिकारी माता मंदिर में रात गुजारने का निर्णय लिया तो उन्हें ओढ़ने के लिए कुछ कंबल दिए गए जोकि काफी पतले थे। जब मंदिर कमेटी से रजाई मांगी गई तो उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि यहां रजाई की कोई व्यवस्था ही नहीं है। इन्होंने प्रशासन से मांग उठाई है कि शिकारी देवी जैसे ठंडे स्थान पर रात्रि विश्राम के लिए रजाई की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए।

वहीं, जब इस बारे में थुनाग के कार्यकारी एसडीएम अमित कलथाईक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मंदिर सराय का एक कमरा 250 रूपए के शुल्क पर दिया जाता है जिसमें तीन मैट और 10 कंबल उपलब्ध होते हैं। यदि किसी को अतिरिक्त कंबल चाहिए हों तो वह मांग सकता है। लेकिन रजाई की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं है। यह बात ठीक है कि शिकारी देवी जैसे स्थान पर कंबलों के सहारे रात नहीं बिताई जा सकती। इसलिए भविष्य में होने वाली बैठक में इस विषय पर चर्चा की जाएगी और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रजाईयां खरीदने पर विचार किया जाएगा।