2020 के लॉकडाउन में हम में से ज़्यादातर लोगों ने या तो ऑनलाइन कोर्स किया, अलग-अलग डिशेज़ बनाने की कोशिश की, या स्क्रीन पर चिपके रहे. जब हम सभी अपनी-अपनी ज़िन्दगी को ही समझने में लगे थे तब बेंगलुरू की मान्या हर्षा (Manya Harsha) इतिहास में अपना नाम दर्ज कर रही थी.
11 साल की उम्र में ही बना डाला Sustainable काग़ज़
सब्ज़ी के छिलके को हम में से ज़्यादातर लोग फेंक देते हैं. Hindustan Times की रिपोर्ट के अनुसार, मान्या ने 11 साल की उम्र में ही सब्ज़ी के छिलकों से Eco-Sustainable काग़ज़ तैयार कर लिया. पर्यावरण के लिए मान्या जो कर रही इसके लिए उसे UN-Water से भी माना.
6 साल की उम्र से ही पर्यावरण को बचाने में लगी है
Deccan Chronicle की रिपोर्ट के अनुसार, मान्या 6 साल की उम्र से ही पर्यावरण संरक्षण में लगी हुई है. पानी की बर्बादी, पिकनिक स्पॉट्स पर गंदगी फैलाना, सिंग यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल इस सबको लेकर मान्या बचपन से ही जागरूक है और दूसरों को जागरूक कर रही है.
एक दिन रसोई के कचरे से बनाया एक काग़ज़
मान्या ने “Every day kitchen waste to Each Paper a day” के साथ एक्सपेरिमेंट करना शुरू किया. मान्या की पहली कोशिश पूरी तरह फ़ेल हो गई लेकिन उसने हार नहीं मानी. आख़िरकार मान्या काग़ज़ बनाने में सफ़ल हुई. सब्ज़ी के छिलकों के अलावा मान्या पुराने स्कूल की कॉपियों को भी रिसाइकल करती है.
मान्या ने प्याज़, लहसुन, आलु आदि के छिलके से काग़ज़ बना चुकी है.
मान्या के बनाए काग़ज़ किसी भी हैंडमेड पेपर की तरह ही होते हैं. इन पेपर्स पर लिखा जा सकता है, ड्राइंग, पेंटिंग की जा सकती है और इन्हें मोड़कर आर्ट भी बनाया जा सकता है.
“इस दुनिया में कुछ भी Waste नहीं है जब तक आप उसे ख़ुद Waste न समझें.”, मान्या हर्षा के शब्दों में.
Life Beyond Numbers से बातचीत में मान्या ने कहा कि वो हर दिन Earth Day मनाती है. मान्या का मानना है कि प्रकृति और अपने आस-पास की देखभाल करना हमारी ज़िम्मेदारी है.
जागरूकता फैलाने के लिए काग़ज़ बनाना शुरू किया
इको-फ़्रेंडली काग़ज़ बनाने के पीछे मान्या का मुख्य उद्देश्य था लोगों को जागरूक करना. मान्या ने सिर्फ़ 8 साल की उम्र में पहला ‘Kids Walkathon’ ऑर्गनाइज़ किया. विश्व जल दिवस के मौके पर उसने 38 बच्चों और 48 वयस्कों का मार्च निकाला.
मान्या पेपर बैग्स बनाती है और सब्ज़ी बेचने वालों को देती है. इसके साथ ही वो उन्हें प्लास्टिक कितना खतरनाक है ये भी बताती है. मान्या ने कन्नड़ में एक किताब भी लिखी है, “Neerina Putani Samrakshakaru”, जिसका मतलब है पानी के हीरोज़. प्रकृति पर किताब लिखने वाली मान्या सबसे कम उम्र की लेखिका है और उसका नाम India Book of Records में भी दर्ज हो चुका है.