किसी भी फिल्म की शुरुआत और अंत दोनों बहुत मायने रखते हैं. शुरुआत जहां पूरी फिल्म देखने पर मजबूर करती है, वहीं अंत पर ये निर्भर करता है कि उस फिल्म ने आपके दिल ओ दिमाग में जगह बनाई या नहीं.
हमने बहुत सी ऐसी फिल्में देखी हैं जहां पूरी फिल्म बहुत बेहतरीन रही लेकिन अपनी खराब एन्डिंग की वजह से बुरी तरह पिट गईं. आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में जिनका असली अंत वो नहीं था जो हम लोगों ने देखा. भला हो फिल्म बनाने वालों का जिन्होंने इन कुछ फिल्मों के अंत को एकदम अंतिम समय में बदल दिया वर्ना ये बेहतरीन फिल्में शायद बेहतरीन ना बन पातीं. तो चलिए आपको बताते हैं ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में जिनका अंत बदला गया. अब आप ही तय करें कि कौन सा अंत अच्छा था, ओरिजनल या फिर जो बदल दिया गया.
1. आंखें
किसी ने ये नहीं सोचा होगा कि आंखें जैसी फिल्म 2002 में बॉक्सऑफिस पर सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक साबित होगी. यहां तक कि इस फिल्म के निर्देशक ने विपुल शाह के लिए भी इस फिल्म का इस तरह हिट हो जाना चौंका देने वाली बात रही होगी. शायद ये संभव ना हो पाता अगर अंतिम समय में इस फिल्म के अंत को बदला ना गया होता.
हमने फिल्म में देखा: अपना गुनाह कबूल करने के बाद विजय सिंह राजपूत (अमिताभ बच्चन) को जेल हो जाती है. वहीं विश्वास (अक्षय कुमार) और अर्जुन (अर्जुन रामपाल) राहुल यानी फिल्म में सुष्मिता सेन के भाई की परवरिश का जिम्मा उठा लेते हैं.
ओरिजनल एन्डिंग क्या थी: अमिताभ बच्चन पुलिस ऑफिसर (आदित्य पंचोली ) को लूट के माल में से हिस्सा देने का लालच दे कर पुलिस हिरासत से बच निकलते हैं और पहुंच जाते हैं उस प्लेटफ़ॉर्म पर जहां से विश्वास और अर्जुन की ट्रेन कुछ ही देर में निकलने वाली होती है. अमिताभ बच्चन उन्हें देख कर कहते हैं…
“ए डेंजरस गेम इज़ एबाउट टू बिगिन.” इसके बाद विश्वास और अर्जुन अपनी अपनी पिस्तौल निकाल लेते हैं और फिल्म अमिताभ बच्चन की हंसी की गूंज के साथ खत्म हो जाती है. बता दें कि यह फिल्म दुनिया भर में अपनी ओरिजनल एन्डिंग के साथ ही रिलीज़ हुई थी. केवल भारत में इस फिल्म का अंत बदला गया था.
2. पिंक
अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नु अभिनित फिल्म ने एक खास वजह से बहुत चर्चा बटोरी और वो खास वजह थी आज़ादी, सेक्स को लेकर चुनाव की आज़ादी. फिल्म ने लोगों को खुल कर ये बताया कि पुरुष हो चाहे महिला उसे सेक्स को लेकर अपनी सहमति और असहमति रखने का पूरा अधिकार होना चाहिए. इस फिल्म ने खास कर महिलाओं को ये बात कहने की हिम्मत दी कि ‘नो मीन्स नो’. फिल्म लोगों को बहुत पसंद आई लेकिन अगर यह फिल्म अपने असली अंत के साथ दिखाई जाती तो शायद ही यह इतनी बड़ी हिट साबित ना हो पाती.
हमने फिल्म में देखा: कोर्ट में चली लंबी बहस के बाद आखिरकार लड़कियों की जीत हो जाती है और वे खुद को बेगुनाह साबित करने में कामयाब हो जाती हैं.
ओरिजनल एन्डिंग क्या थी: वहीं ओरिजनल एन्डिंग में दिखाया गया था कि कोर्ट में पेश किए गए सारे सबूत और गवाह लड़कियों के खिलाफ होने की वजह से वे इस केस को हार जाती हैं. इस एन्डिंग को लेकर तापसी ने बॉलीवुड लाइफ से कहा था कि हमें फिल्म का अंत बदल कर लड़कियों को केस जीतते हुए दिखाना पड़ा जिससे लोग इस विषय की गंभीरता को समझ पाएं और ऐसे मामलों में खुल कर कड़े फैसले ले सकें.
3. बाजीगर
बहुत ही कम लोगों को यह बात पता होगी कि बाज़ीगर फिल्म के लिए पहली पसंद शाहरुख खान नहीं बल्कि सलमान खान थे. सलमान खान के मना करने के बाद यह फिल्म शाहरुख को मिली. उनके मना करने की वजह यह थी कि वह खलनायक की भूमिका नहीं निभाना चाहते थे. इस तरह से इस शानदार फिल्म का यादगार किरदार मिला शाहरुख खान को, जो उनके जीवन के सबसे बेहतरीन किरदारों में से एक माना गया. इस फिल्म के अंत को भी अंतिम समय में बदल दिया गया था.
हमने फिल्म में क्या देखा: बाज़ीगर के अंत में हमने देखा कि अजय (शाहरुख खान) की मौत हो जाती है. लेकिन यह फिल्म की ओरिजनल एन्डिंग नहीं थी.
ओरिजनल एन्डिंग क्या थी: फिल्म के बारे में बताते हुए फिल्म के निर्देशक अब्बास-मस्तान ने PTI से कहा था कि उनके हिसाब से फिल्म के अंत में अजय की मौत दिखाना सही था, लेकिन राखी और फिल्म से जुड़े कुछ अन्य लोगों के मुताबिक ऐसा अंत सही नहीं था. इसके बाद दो तरह से फिल्म की एन्डिंग शूट की गई. एक में अजय की मौत हो जाती है तथा दूसरे अंत में पुलिस आती है और अजय को गिरफ्तार कर लेती है लेकिन फिर सबने यह बात महसूस की कि अजय के गिरफ्तार होने से फिल्म में किरदार के प्रति दर्शकों की सहानुभूति कम हो जाएगी. अंत में सभी लोग अब्बास मस्तान द्वारा सुझाए गए अंत पर सहमत हुए.
4. गेट आउट
यह हॉरर मिस्ट्री फिल्म 2018 में बेस्ट ओरिजिनल स्क्रीनप्ले के लिए ऑस्कर जीत चुकी है. फिल्म कहानी है एक अफ्रीकी-अमेरिकी लड़के की जो वीकेंड पर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ उसके परिवार से मिलने जाता है. लड़का वैसे तो वीकेंड एंजॉय करने के मकसद से जाता है लेकिन फिर कुछ ऐसी घटनाएं घटने लगती हैं जो उसने कभी सपने में भी नहीं सोची होतीं.
हमने अंत में क्या देखा: फिल्म के में आप देखेंगे कि क्रिस (डैनियल) अपनी गर्लफ्रेंड (एलिसन ) के सनकी परिवार वालों के बीच इस तरह से फंस जाता है कि उसकी जान जाने ही वाली होती है लेकिन फिल्म के अंत में क्रिस का दोस्त रोड (लिल रेल हॉवेरी) उसे बचा लेता है. ओरिजनल एंडिंग क्या थी : ओरिजनल एन्डिंग में पुलिस आती है और क्रिस को रोज़ का गला दबाते हुए देख लेती है. इसके बाद क्रिस को जेल हो जाती है.
5. आई एम लिजेंड
इस फिल्म में विल स्मिथ एक आर्मी वायरोलॉजिस्ट (विषाणुविज्ञानी) होते हैं जो एक ऐसे भयानक वायरस से बचने की दवा खोज रहे होते हैं जिसने दुनिया की अधिकतर जनसंख्या को अपनी चपेट में ले लिया है.
हमने क्या देखा: फिल्म के अंत में हम देखते हैं कि स्मिथ ने इस भयानक वायरस से बचने की दवा खोज ली तथा दुनिया को बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी.
ओरिजनल एन्डिंग: ओरिजनल एन्डिंग में स्मिथ वायरस की दवा खोजने में नाकाम रहते हैं. अंत में स्मिथ को यह अहसास होता है कि जिन डार्कसीकर्स को वह अपना और मानव जाति का दुश्मन मान कर उन पर प्रयोग कर रहा था वह इंसानियत के बहुत नज़दीक हैं तथा उन्हें भी प्यार करना और एक दूसरे की चिंता करना आता है. इस तरह से स्मिथ इंसानियत के लिए लिजेंड नहीं बल्कि डार्कसीकर्स के लिए मॉन्स्टर साबित हो जाते हैं. फिल्म के हीरो का अचानक से खलनायक बन जाना शायद किसी को पसंद ना आता इसीलिए इसका अंत बदल दिया गया.
6. शोले
शोले को लेकर लोग बहुत सी बातें जानते हैं लेकिन ये बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इस फिल्म पर सेंसर की कैंची भी चली थी. यही वजह थी कि इसे दो तरह के अंत के साथ फिल्माया गया.
हमने क्या देखा: 1975 में बनी इस यादगार फिल्म के अंत में हम देखते हैं कि ठाकुर गब्बर को मारे इससे पहले ही पुलिस वहां पहुंच जाती है जिस वजह से ठाकुर को गब्बर को पुलिस के हवाले करना पड़ता है.
ओरिजनल एन्डिंग: ओरिजनल एन्डिंग में ठाकुर गब्बर को मार देता है. फिल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि उन्होंने इस फिल्म के लिए अलग अंत चुना था. उसमें ठाकुर गब्बर को अपने पैरों से मारता है लेकिन सेंसर बोर्ड ने इसे मंजूरी नहीं दी. वह इस बात से खुश नहीं थे कि ठाकुर गब्बर को पैरों से मारे. रमेश सिप्पी के लिए ये एक बड़ी दुविधा थी क्योंकि ठाकुर के पास गब्बर को पैरों से मारने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था. वह बंदूक भी नहीं चला सकता था क्योंकि उसके पास हाथ नहीं थे. इसके अलावा सेंसर बोर्ड इस सीन को हिंसात्मक मान रहा था. अंतत: रमेश सिप्पी को यह एन्डिंग बदलनी पड़ी.
7. पीके
पीके फिल्म कई तरह से चर्चा में रही. लेकिन ज़्यादातर लोगों ने इसे पसंद किया क्योंकि फिल्म में ड्रामा, कॉमेडी, तथा इमोशन के साथ साथ एक सकारात्मक संदेश भी था.
हमने क्या देखा: फिल्म के अंत में हमने देखा कि पीके के ग्रह से उसका एक दोस्त (रणबीर कपूर) उसे वापस ले जाने आया है.
ओरिजनल एन्डिंग: ओरिजनल एन्डिंग में जग्गू (अनुष्का कपूर) और सरफ़राज़ (सुशांत सिंह राजपूत) पीके को याद करते हुए बैटरी रिचार्ज डांस करते हैं.
8. दिल्ली-6
हमने क्या देखा: दिल्ली 6 फिल्म के अंत में हम देखते हैं कि रौशन (अभिषेक) काला बंदर बन कर बिट्टू (सोनम) को उसके बॉयफ्रेंड के साथ भागकर शादी करने से रोकता है. वह बिट्टू के सामने अपने प्यार का इज़हार करता है लेकिन तभी भीड़ उसे असली काला बंदर समझ कर बुरी तरह मारने लगती है. रौशन को इतनी बुरी चोटें आती हैं कि उसके बचने की उम्मीद एकदम कम हो जाती है लेकिन अंत में वह बच जाता है.
ओरिजनल एन्डिंग: वहीं ओरिजनल एन्डिंग में रौशन भीड़ की मार से बच नहीं पाता और दम तोड़ देता है. हालांकि ओरिजनल एन्डिंग फाइनल एन्डिंग से ज़्यादा दमदार थी, लेकिन इसके बावजूद फिल्म के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने यूटीवी प्रोडक्शन हाउस पर यह दबाव बनाया कि इस एन्डिंग को हैप्पी एन्डिंग में बदला जाए. बता दें कि नेशनल अवॉर्ड कमेटी के सामने यह फिल्म ओरिजनल एन्डिंग के साथ दिखाई गई थी
9. रॉकी
सिलवेस्टर स्टैलोन द्वारा लिखी इस फिल्म को 3 ऑस्कर पुरस्कार मिले. यह उस क्लब बॉक्सर की कहानी थी जिसे वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप के लिए लड़ने का मौका मिला. इस फिल्म के अंत को भी बदला गया था, जो कि शायद अच्छा ही हुआ क्योंकि ओरिजनल एन्डिंग के साथ शायद ही ये फिल्म इतनी कामयाब हो पाती.
हमने देखा: हम फिल्म में देखते हैं कि रॉकी (सिलवेस्टर स्टैलोन) वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप के खिताब के लिए हैवीवेट चैंपियन अपोलो क्रीड (कार्ल वेदर्स) से लड़ता है. क्रीड के ज़ोरदार मुक्कों के बावजूद रॉकी 12वें राउंड तक उसका सामना करता है. वह भले ही हार जाता है लेकिन अंतिम बेल तक खुद को रिंग में खड़ा रखता है. रॉकी के इस जज़्बे से दर्शकों के बीच यह संदेश गया कि हर बार सफल होने के लिए आपका जीतना ज़रूरी नहीं, ज़रूरी है तो बस डटे रहना.
ओरिजनल एन्डिंग: वहीं जो अंत इस फिल्म के लिए सोचा गया था उसमें दिखाया जाता है कि जब रॉकी को यह अहसास होता है कि उसे अब प्रोफेशनल बॉक्सिंग का हिस्सा नहीं बनना तो वो लड़ने का इरादा छोड़ देता है. वह सोचता है कि वह लड़ाई छोड़ने के बदले क्रीड द्वारा ऑफर किए हुए पैसे ले लेगा और उन पैसों से अपनी गर्लफ्रेंड के लिए एक पेट शॉप खोलेगा.
10. टाइटैनिक
जेम्स केमरोन द्वारा निर्देशित फिल्म टाइटैनिक को देखने वाली हर आंख ने उसके अंत होने पर एक बार आंसू ज़रूर बहाए होंगे. फिल्म थी ही इतनी शानदार. तभी तो इस फिल्म को कुल 11 ऑस्कर पुरस्कार मिले लेकिन अगर यह फिल्म अपनी ओरिजनल एन्डिंग के साथ दर्शकों के सामने आई होती तो ना ही फिल्म देखने वालों की आँखों में आंसू आते और शायद ना इसे ऑस्कर मिलता. फिल्म की ओरिजनल एन्डिंग सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई जिसे देखने वालों के मन में बस यही खयाल आया कि लाख लाख शुक्र है जो इस फिल्म का ऐसा अंत नहीं दिखाया गया.
हमने क्या देखा: फिल्म में हमने देखा कि रोज़ (केट विंसलेट) जो कि अब बूढ़ी हो चुकी है, अपने नेक्लिस की तलाश में बोट पर जाती है. अंत में ये दिखाया जाता है कि नेक्लिस उसके पास ही होता है. सभी के चले जाने के बाद वह नेक्लिस को समुद्र में फेंक देती है जिससे वह नेक्लिस हमेशा के लिए उसके प्रेमी जैक (लियोनार्डो डिकैप्रियो) के पास रह सके.
ओरिजनल एन्डिंग: ओरिजनल एन्डिंग में रोज़ अपना नेक्लिस ट्रेजर हंटर ब्रोक लोवेट (बिल पैक्सटोन) को दिखती है. ब्रोक को इस नेक्लिस की तलाश थी इस वजह से वह इसे देख कर खुश होता है लेकिन जब वह रोज़ की आँखों में देखता है तब उसका मन बदल जाता है और वह नेक्लिस रोज़ को वापस लौटा देता है. इसके बाद बूढ़ी रोज़ बड़े ही नाटकीय अंदाज़ में नेक्लिस को समुद्र में फेंक देती है. इसे देख कर एक आदमी चिल्लाते हुए कहता है “दैट रियली सक्स लेडी”
The alternate ending to Titanic is hilarious. This would have absolutely ruined the film for me pic.twitter.com/L3vSrSb72e
— Pat Brennan (@patbrennan88) February 16, 2021
11. इंटरस्टेलर
क्रिस्टोफर नोलन एकदम हट के विषयों पर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं. यह ऑस्कर विनिंग फिल्म भी इन्हीं की देन थी लेकिन इस फिल्म को लेकर आज भी एक बड़ी बहस चलती रहती है. लोग आज तक यह तय ही नहीं कर सके कि फिल्म का अंत अत्यधिक भावुक था या फिर इसमें बहुत गहराई थी.
हमने क्या देखा: फिल्म में हम देखते हैं कि कूपर (मैथ्यू मैकॉनाहे) अपना मिशन पूरा कर के इंसानियत को बचा लेता है तथा धरती पर लौट आता है. यहां वह अपनी बेटी से मिलता है जो अब बहुत बूढ़ी हो चुकी है. फिल्म यह संदेश देते हुए खत्म होती है कि प्यार एक ऐसी चीज़ है जो समय और अंतरिक्ष से भी परे है.
ओरिजनल एन्डिंग: ओरिजनल एन्डिंग में फिल्म इस नोट के साथ समाप्त होती है “जब कूपर डाटा वापस भेज रहा था तब आइंस्टीन-रोसेन पुल (वर्महोल) टूट गया.” इस नोट का मतलब था कि कूपर ज़िंदा नहीं बचा और ना ही धरती पर लौट पाया