हेडमास्टर पदोन्नति सूची शीघ्र हो जारी, टीजीटी कला संघ ने प्रदेश सरकार से मांगा न्याय

 प्रदेश सरकार टीजीटी से हेडमास्टर पदोन्नति सूची शीघ्र जारी करे। 2 माह से सूची जारी होने में हो रहा विलंब शिक्षकों को रास नहीं आ रहा और अब उनकी प्रतीक्षा का सब्र भी टूटने के कगार पर है। ऐसे में शिक्षा विभाग इस मामले में तेज़ी से सकारात्मक कार्रवाई करे। यह मांग राजकीय टीजीटी कला संघ ने प्रदेश मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री और मुख्य सचिव को प्रेषित मांग-पत्र में उठाई है।

संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल, महासचिव विजय हीर, डेलीगेट्स संजय ठाकुर, देश राज , दुनी चंद , सोहन सिंगटा, रणवीर तोमर, देश राज शर्मा, जिलाध्यक्ष संजय वर्मा, सीताराम पोजटा व विजेश कुमार, राजेन्द्र ठाकुर, विजय बरवाल, सुभाष भारती,राकेश चौधरी, रिग्ज़िन संदप,संजय चौधरी, इंदु शेखर,रामकृष्ण, रमेश अत्री ,अमित छाबड़ा ने प्रदेश शिक्षा सचिव से की है। इसके अलावा संघ ने बीआरसीसी भर्ती के नाम पर हुए विलंब और नित्य नए परिवर्तन पर भी हैरानी जताई।

पहले प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने भर्ती के लिए मई माह का समय तय किया और 15 मई तक नियुक्ति देने की अधिसूचना की मगर बाद में समग्र शिक्षा अभियान ने इसमें रुकने और फील्ड से डाटा लेने की बात कहकर भर्ती रोकी जिस कारण भर्ती आवेदन का समय 9 जून तक कर दिया गया। फिर 13 जून को एक शिक्षक संघ के कहने पर भर्ती नीति में गैर टीजीटी वर्ग को टीजीटी के लिए तय बीआरसीसी पोस्ट पर बैठाने की प्रक्रिया शुरू हुई।

अब 27 जून को बीआरसीसी भर्ती नीति 2018 रद्द की गई। जिस भर्ती नीति के तहत बीआरसीसी पद भरने के विज्ञापन आमंत्रित थे अब वह नीति भी वापस ले ली गई जोकि शिक्षा के इतिहास में पहली बार हो रहा है। खेल के नियम खेल खत्म होने के बाद बदलने जैसी प्रक्रिया अपनाई जा रही है और टीजीटी के लिए स्वीकृत पदों पर अन्य वर्ग को बैठाने के लिए यह सब हो रहा है।

ऐसे में बीआरसीसी भर्ती सवालों में है और अगर टीजीटी शिक्षकों के हक छीने गए तो मामला हाईकोर्ट जाएगा। एक संघ को खुश करने के लिए अगर 18 हजार टीजीटी को नाराज किया गया तो विरोध भी व्यापक होगा। ऐसे में प्रदेश मुख्यमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और वीरभद्र सरकार में टीजीटी के लिए सृजित बीआरसीसी अप्पर प्राइमरी के पदों पर केवल टीजीटी को ही अवसर देना चाहिए। अन्य वर्गों के लिए अलग पद सृजित किए जा सकते हैं। मगर टीजीटी वर्ग के पद छीनकर उन पर अन्य वर्गों के शिक्षक नियुक्त करना तर्कसंगत नहीं है।