हमारे पूर्वजों के रहन-सहन को लेकर शोधार्थी रोज़ नए चौंकाने वाले खुलासे कर रहे हैं. कुछ दिनों पहले शोधार्थियों को 5000 साल पुराने बार-रेस्टोरेंट के अवशेष मिले. अगर सेक्स टॉयज़ की बात करें तो इन्हें काफ़ी मॉर्डन समझा जाता है. एक नई स्टडी में पता चला है कि 2000 साल पहले हमारे पूर्वज भी सेक्स टॉयज़ का इस्तेमाल करते थे.
2000 साल पहले होता था सेक्स टॉयज़ का इस्तेमाल
विन्डोलैंडा स्थित रोमन किले से वैज्ञानिकों को एक अजीबो-गरीब लकड़ी की चीज़ मिली थी. 1992 में ये वस्तु कपड़े, जूते और ड्रेस एक्सेसरीज़ के पास मिली थी. पहले रिसर्चर्स को लगा था कि ये कोई औजार है. अब एक नई स्टडी में पता चला है कि ये कोई औजार नहीं बल्कि सेक्स टॉय है.
बीते रविवार को एंटीक्विटी नामक जर्नल में ये स्टडी छपी है. न्यूकैसल यूनिवर्सिटी ऐंड यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलीन के एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये वस्तु सेक्स टॉय ही है.
शोधार्थियों ने क्या कहा?
शोधार्थियों के मुताबिक सेक्स टॉय की लंबाई 6.3 इंच है. इसका इस्तेमाल सिर्फ़ पेनेट्रेशन के लिए ही नहीं, क्लिटोरल स्टिमुलेशन के लिए भी होता था.
न्यूकासल यूनिवर्सिटी में आर्कियोलॉजी विभाग में सीनियर लेक्चरर रॉब कॉलिन्स के अनुसार, ‘ये सेक्स ऑब्जेक्ट हो सकता है. रोमन साम्राज्य से ये अपने तरह की पहली वस्तु है.’ रॉब ने ये भी कहा कि ये कोई चौंकाने वाली बात नहीं है. रोमन आर्ट और रोमन साहित्य से ये पता चलता है कि उस दौर में डिलडोज़(एक तरह का सेक्स टॉय) होते थे. गौरतलब है कि अभी तक इसका आर्कियोलॉजिकल सबूत नहीं मिला है. डिलडोज़ ऑर्गैनिक मटैरियल से बनाए जाते थे, जो जल्दी नष्ट हो जाते थे. हो सकता है इस वजह से अभी तक रोमन सेक्स टॉयज़ के आर्कियोलॉजिकल सबूत नहीं मिले है.
CNN की रिपोर्ट के अनुसार, ये वस्तु सेक्स टॉय नहीं भी हो सकती है. कुछ शोधार्थियों का ये अनुमान भी है कि इस वस्तु का इस्तेमाल गुलामों के मालिक गुलामों पर करते थे. चाहे वो पुरुष गुलाम हो या महिला गुलाम.
फै़लस को रोमन गुड लक मानते थे
रोमन साम्राज्य में फै़लस (लिंग) को शुभता का संकेत समझा जाता था. छोटे लिंगों को पेंडट की तरह पहना जाता था. लिंग को किसी भी स्ट्रक्चर, मूर्ति या किसी भी चीज़ में बना दिया जाता था. इसे गुड लक चार्म समझा जाता था.