शिमला, 01 जनवरी : हिमाचल के सरकारी स्कूलों में स्मार्ट यूनिफॉर्म सिलेक्ट करने के लिए करीब सात विकल्प मिलेंगे। शिक्षा विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है। इनमें प्राइवेट स्कूलों की तरह टाई और स्कर्ट का ऑप्शन भी है। विधानसभा के विंटर सेशन के दौरान धर्मशाला में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी। इसके बाद चीफ सेक्रेटरी कांफ्रेंस के लिए शिक्षा सचिव राकेश कंवर दिल्ली गए थे और अब वह लौट आए हैं। अब इस बारे में लिखित निर्देश जारी हो रहे हैं।
राज्य के सरकारी स्कूलों को पहली बार वर्दी चुनने के लिए विकल्प मिल रहा है। इससे पहले वर्दी या तो सरकार देती थी या फिर एक ही तरह की वर्दी सभी स्कूलों में होती थी। अब भारत सरकार से सिर्फ आरक्षित वर्गों के बच्चों के लिए प्रति छात्र 600 रुपये का भुगतान डीबीटी के जरिए होता है। यह पैसा वर्दी खरीदने के लिए दिया जाता है। पूर्व में हिमाचल में भी सरकार ही वर्दी खरीद कर देती थी, लेकिन अब यह योजना बदल गई है।
आरक्षित वर्गों के अलावा अन्य छात्र-छात्राओं को अपनी वर्दी का खर्च खुद वहन करना होगा। इसलिए शिक्षा विभाग भी इसे ऑप्शनल बता रहा है। आरक्षित वर्गों के जिन बच्चों को पैसे मिलते हैं उन्हें भी सिर्फ 600 रुपये ही मिलेगा। इसमें यदि वर्दी पूरी नहीं बनेगी तो इससे अधिक खर्च अभिभावकों को उठाना होगा। लेकिन मुख्य मकसद उसे धारणा को तोड़ना है कि स्मार्ट यूनिफॉर्म से निजी स्कूलों के प्रति रुझान बढ़ता है। इसलिए अब सरकारी स्कूलों में भी स्मार्ट यूनिफॉर्म दिखेगी। पहली बार ऐसा होगा कि अगल-बगल के दो स्कूलों में अलग-अलग वर्दी भी संभव होगी।