सचिन पायलट को बनाया गया है छत्तीसगढ़ का प्रभारी, उनके बाहर जाने के बाद अब विधानसभा में कौन बनेगा नेता प्रतिपक्ष?

राजस्थान में कांग्रेस (Congress) की हार का बीते दिन यानी शनिवार को ‘पोस्टमार्टम’ हुआ और राज्य के संगठन में बदलाव कर दिया गया। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) को राजस्थान से बाहर कर छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है। सचिन पायलट के राजस्थान से बाहर जाने के बाद अब सवाल उठ रहा है कि राज्य में कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा?

sachin pilot and ashok gehlot out from rajasthan now who become state president and leader of opposition

राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की दौड़ से बाहर हुए सचिन पायलट, अब किसे मिलेगा मौका?
जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में व्यापक बदलाव के कयास कई दिन से लगाए जा रहे थे। प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी एक बार फिर युवा नेता सचिन पायलट को बनाए जाने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन अब इन चर्चाओं पर विराम लग गया है। सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी महासचिव बना दिया गया है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान पायलट को ना तो प्रदेशाध्यक्ष बनाएंगे और ना ही नेता प्रतिपक्ष। राजस्थान में इन दोनों ही प्रमुख पदों की दौड़ से सचिन पायलट बाहर हो गए हैं।

क्या जानबूझकर सचिन पायलट को राजस्थान से दूर भेजा गया?

क्या जानबूझकर सचिन पायलट को राजस्थान से दूर भेजा गया?

सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी महासचिव बनाए जाने के बाद राजनैतिक गलियारों में यही चर्चाएं चल रही है कि क्या कांग्रेस नेतृत्व ने जानबूझकर पायलट को राजस्थान से दूर भेजा है। ये चर्चाएं इसलिए हो रही हैं, क्योंकि प्रदेश में पिछले चार साल से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जमकर सियासी युद्ध चला। आरोप प्रत्यारोपों के बीच धरने प्रदर्शन भी हुए। गहलोत सरकार गिरने की नौबत आ गई थी। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व ऐसे किसी नेता को कमान नहीं देना चाहता जो गुटबाजी का बड़ा चेहरा हो। चूंकि पायलट पर गहलोत गुट के कई नेता गंभीर आरोप लगा चुके हैं। वे उनका नेतृत्व स्वीकार नहीं करने का ऐलान तक कर चुके हैं। इसलिए कांग्रेस हाईकमान अब अन्य नेता को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपेगी।

पायलट के आड़े आया एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला

पायलट के आड़े आया एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला

कांग्रेस ने एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला लागू है। छत्तीसगढ़ का प्रभारी महासचिव बनाए जाने के बाद उन्हें राजस्थान कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की संभावनाएं खत्म हो गई हैं। चूंकि ये सभी महत्वपूर्ण पद हैं। ऐसे में एक नेता की नियुक्ति दो पदों पर नहीं हो सकती। पायलट को अब आगामी लोकसभा चुनावों तक अपना पूरा फोकस छत्तीसगढ़ पर ही करना होगा। लोकसभा चुनाव अप्रैल या मई 2024 में होने हैं। ऐसे में पांच महीनों तक सचिन पायलट राजस्थान से दूर रहेंगे।

गहलोत पहले ही कर चुके हैं प्रदेश अध्यक्ष बनने से इनकार

गहलोत पहले ही कर चुके हैं प्रदेश अध्यक्ष बनने से इनकार

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही प्रदेशाध्यक्ष बनने से इनकार कर चुके हैं। कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत को भी नेशनल अलायंस कमेटी में ये लिया है। केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद गहलोत भी दिल्ली में व्यस्त रहेंगे। गहलोत और पायलट दोनों को राजस्थान से बाहर की जिम्मेदारी दिए जाने से राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी नए नेता को दिया जाना तय माना जा रहा है।

वरिष्ठता के साथ गहलोत-पायलट गुट से दूर रहने वाले नेता की तलाश

वरिष्ठता के साथ गहलोत-पायलट गुट से दूर रहने वाले नेता की तलाश

प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस में कई नेताओं के नाम चर्चाओं में है। कांग्रेस नेतृत्व को प्रदेशाध्यक्ष के लिए ऐसे नेता की तलाश है जो अशोक गहलोत और सचिन पायलट का कट्टर समर्थक या विरोधी नहीं हो। जो नेता गुटबाजी से दूर रहा हो, उसे नेता प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाएगा ताकि वह सबको साथ लेकर चल सके। नेता प्रतिपक्ष के लिए वरिष्ठ नेता शांति धारीवाल, डॉ. रघु शर्मा और हरीश चौधरी जैसे नेताओं को बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है।