ईस्ट इंडिया कंपनी. शायद ही कोई ऐसा भारतीय होगा जो इस नाम से अनजान हो. भारतीय इतिहास के पन्नों में इस कंपनी का नाम काली स्याही से लिखा गया है. ये वही ईस्ट इंडिया कंपनी है जिसके खिलाफ़ जा कर भारतीय क्रांतिकारियों ने आज़ादी की लड़ाई का बिगुल बजाया था. कभी हम भारतीयों पर राज करने वाली ये कंपनी आज एक भारतीय के हाथों में आ चुकी है. वक्त का चक्का कुछ ऐसा चला कि इतने दशकों के बाद भारतीय इस कंपनी के मालिक बन गए. तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस ऐतिहासिक काम को बिजनेसमैन संजीव मेहता ने कैसे अनजाम दिया.
कभी दुनिया भर में था ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम
साल 1600 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी की शुरुआत की गई थी तो किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन ये कंपनी दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचकर बिजनेस करेगी. इसकी शुरुआत समंदर के जरिए माल ब्रिटेन तक लाने के लिए की गई थी. उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने कदम भारत में रखे और यहाँ पर अपना व्यापार शुरू किया. उन्होंने भारत से चाय, मसाले और कई ऐसी चीज़ों का सौदा किया जो यूरोपीय देशों में मौजूद नहीं थी.
देखते ही देखते ईस्ट इंडिया कंपनी ने कब दुनिया भर के 50% ट्रेड पर अपना कब्ज़ा कर लिया किसी को खबर भी नहीं हुई. यह कंपनी ब्रिटिश हुकूमत के लिए एक जरूरत बन गयी. इसके जरिए उन्होंने इतनी दौलत कमाई की उन्होंने कई देशों पर कब्ज़ा कर लिया जिसमें भारत भी एक था. करीब 200 सालों तक यह कंपनी भारतीयों पर अधिकार जमाती रही लेकिन 1857 में मेरठ में हुए आज़ादी के पहले विद्रोह ने इस कंपनी पर ऐसा असर डाला कि इनका कारोबार रातों-रात आसमान से ज़मीन पर आ गया. हालांकि, आज तक भारतीय के दिल में इस ईस्ट इंडिया कंपनी को ले कर एक रंज था जो आज इतने सालों के बाद जा के पूरा हुआ है.
सिर्फ़ 20 मिनट में बिक गयी ईस्ट इंडिया कंपनी
ईस्ट इंडिया कंपनी भारत से जाने के बाद से बेहद ख़राब हालत में आ गयी थी. उसका पूरा व्यापार दिन-ब-दिन डूबता जा रहा था. ब्रिटिश सरकार ने भी उनकी कोई मदद करने से मना कर दिया था. क्योंकि कंपनी का नाम दुनिया भर में प्रसिद्ध था इसलिए जैसे-तैसे आज तक उन्होंने कंपनी को पूरी तरह से बंद नहीं होने दिया.
ये बात है साल 2003 की. भारतीय बिजनेसमैन संजीव मेहता को जब पता चला कि ईस्ट इंडिया कंपनी अब अपने कदमों पर खड़ी नहीं रह सकती तब उन्होंने एक बार उनके ऑफिस जाने का फैसला किया.
कहते हैं कि संजीव ने वहां जाने से पहले ही सोच लिया था कि वो ईस्ट इंडिया कंपनी को खरीदकर रहेंगे. ये एक तरह से उनकी तरफ से भारतीयों को एक तोहफा था. जिस कंपनी ने भारत पर राज किया था आज वो उसे ही खरीदने के इरादे से गए थे. संजीव का कहना है कि उन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी के ऑफिस में महज़ 20 मिनट हुए थे कंपनी के शेयर खरीदने को ले कर. उन 20 मिनट के पहले 10 मिनट में ही उन्होंने जान लिया था कि कंपनी अपने घुटनों पर आ चुकी है. वो इसे बेचने की उम्मीद में ही थे. जैसे ही संजीव को समझ आया कि कंपनी अब बिकने की कगार पर है उन्होंने सामने से एक नैपकिन उठाया और उसपर एक दाम लिखा. उस दाम को देखते ही कंपनी के मालिकों ने संजीव को 21% शेयर बेचने का फैसला कर लिया. महज़ 20 मिनट में संजीव ने कंपनी में एक बड़ा हिस्सा अपने नाम कर लिया.
अब लंदन का एक स्टोर बन गई यह कंपनी
सिर्फ एक साल के अंदर संजीव ने ईस्ट इंडिया कंपनी के बाकी के 38 स्टेक होल्डर से उनके शेयर खरीद लिए और कंपनी को पूरी तरह से अपना बना लिया. सिर्फ इतना ही नहीं भारतीय बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने भी संजीव की ईस्ट इंडिया कंपनी में इन्वेस्टमेंट की.
माना जाता है कि संजीव ने कुल 15 मिलियन डॉलर की इन्वेस्टमेंट इस कंपनी पर की है. उन्होंने कंपनी को खरीदने के बाद कई साल तक इसे लांच नहीं किया. हालांकि, उनका मानना है कि ईस्ट इंडिया कंपनी को दुनिया भर में लोग जानते हैं और इसके जरिए अच्छा बिजनेस किया जा सकता है. इसके चलते ही अब संजीव जल्द ही लंदन में ईस्ट इंडिया कंपनी को दोबारा लॉन्च करके एक स्टोर के रूप में लाने जा रहे हैं. इस बार ईस्ट इंडिया कंपनी चाय, मसाले और रेशम नहीं बेचेगी बल्कि इसकी जगह वो लक्ज़री चीज़ों में सौदा करेगी. इतना ही नहीं आने वाले समय में ईस्ट इंडिया कंपनी का स्टोर भारत में भी खोला जाएगा और यहाँ पर यह खाने की चीज़ें, फर्नीचर, रियल एस्टेट आदि जैसी चीज़ों में सौदा करेगी. एक बार फिर दुनिया ईस्ट इंडिया कंपनी को देखेगी मगर इस बार एक भारतीय इसका मालिक होगा.
संजीव मेहता ने आज ईस्ट इंडिया कंपनी को खरीदकर दुनिया को दिखा दिया कि हम भारतीय कुछ भी कर सकते हैं. भारतीय पर राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी पर अब भारतीय राज करेंगे ये देखकर ही सबके चेहरों पर मुस्कान आ जाएगी. ये के ऐतिहासिक फैसला था जिसके लिए आने वाले कई सालों तक संजीव को याद रखा जाएगा.