उपमंडल में जल शक्ति विभाग कार्यालय परिसर में सप्ताह भर पहले तैयार लाखों की रिटेनिंग वॉल अथवा डंगा गिरने से लोग विभाग कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे है। लोगों के आरोप है कि डंगा बनाने के लिए जल शक्ति विभाग ने फाउंडेशन को सही से तैयार नहीं किया था। मिट्टी पर ही दीवार को खड़ा कर दिया गया, जिस कारण थोड़ी सी ही बारिश में डंका धराशाई हो गया।
लोगों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग में नौकरी कर चुके पूर्व विधायक रुप सिंह व कुछ अन्य स्थानीय लोगों के गत माह जल शक्ति विभाग के SDO को सुझाव दिए गए थे, लेकिन बावजूद इसके डंगे को मिट्टी के बेस पर ही खड़ा कर दिया गया। आरोप ये भी है कि विभाग द्वारा निर्माण कार्य में क्रेशर अथवा नदी की रेत-बजरी की जगह स्थानीय चुना पत्थर की खदानों के मलबे के इस्तेमाल किया गया है। जिस कारण चार लाख की लागत से बना डंगा 10 दिनों में ही ज़मींदोज़ हो गया।
उधर, जब इस बारे में जल शक्ति विभाग के एसडीओ राजेंद्र चौधरी से बात की गई तो उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम का जिम्मेदार लोक निर्माण विभाग को ठहराया। उन्होंने कहा कि डंगे के साथ ही कई साल पहले पुलिया बनी हुई थी। जिसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई थी। डंगा जब बनकर तैयार हो गया तो इसके बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा पुलिया को खुलवाने के लिए डंगे के साथ ही JCB से खुदाई करवाई गई।
एसडीओ ने बताया कि विभाग द्वारा समय पर खुदाई की जगह पाइपें नहीं डाली गई, जिस कारण सारा पानी डंगे के बेस पर जा गिरा। यही कारण है कि डंगा निर्माण के 10 दिनों बाद ही ज़मींदोज़ हो गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार लोक लोक निर्माण विभाग से पाइप डलवाने के लिए कहा लेकिन 15 दिनों तक विभाग द्वारा इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।