उत्तर भारत के रामसर साइट की वेटलैंड (wetland) स्थित श्री रेणुका जी झील में साइबेरियन (siberian) प्रवासी पक्षियों ने डेरा डालना शुरू कर दिया है। हिमाचल प्रदेश वाइल्ड लाइफ विंग (Wildlife Wing) ने अपने मेहमानों के स्वागत में की जाने वाली तैयारियों को भी मुकम्मल करना शुरु कर दिया है। श्री रेणुका जी मेला के बाद झील के चारों तरफ पर्यटकों द्वारा फैलाए कूड़े-कचरे को वाइल्ड लाइफ कर्मी साफ करने में जुटे हैं। वाइल्ड लाइफ के अधिकारियों के द्वारा प्रवासी मेहमानों के लिए सुरक्षित माहौल बनाए जाने को लेकर निगरानी टीम का भी गठन कर दिया है।
बड़ी बात यह है कि एक सुरक्षित वाटर बॉडी के चलते पिछले वर्ष के दो मलाड़ पक्षियों के जोड़े पूरे वर्ष यहीं रहे। असल में इस जोड़े का प्रजनन देरी से हुआ था। छोटे चूजों के कारण इस जोड़े ने वापसी नहीं की थी। बता दें कि दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में ही साइबेरियन पक्षी (siberian bird) करीब साढ़े 3 हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर लगातार उड़ान भरकर प्रदेश की अलग-अलग वाटर बॉडी में पहुंचते है। जिसमें पोंग बांध और श्री रेणुका जी झील प्रमुख है। इन प्रवासियों के आते ही पक्षी प्रेमी पर्यटक और वाइल्डलाइफ स्कॉलर्स (Wildlife Scholars) अपने कैमरा आदि लेकर यहां डेरा डाल लेते हैं।
बता दें कि पिछले वर्ष एक बैकल टील पक्षी भी पहली बार श्री रेणुका जी वेटलैंड में पहुंचा था। फिलहाल इस वर्ष दुर्लभ विशेष बर्ड की एंट्री नहीं हुई है। इस झील में कॉमन मोरान, इग्रेट, पॉन्ड हैरान हर वर्ष दिसंबर माह में आते हैं। फिलहाल पहले सप्ताह में कॉमन कूट प्रजाति के पक्षी ही यहां पहुंच पाए हैं। वाइल्ड लाइफ टीम को बाकी पक्षियों के आने का बेसब्री से इंतजार है। प्रवासी पक्षियों के लिए यह झील इसलिए भी पहली पसंद मानी जाती है, क्योंकि इन्हें यहां एक बेहतर माहौल मिलता है। जिसमें गहरा पानी, दलदल, रेत और घास प्रचुर मात्रा में है।
प्रवासियों के जाने के बाद ब्लैक बग यहां का जो मूल निवासी माना जाता है, वह स्थाई तौर पर रहता है। जिसे जल मुर्गी भी कहा जाता है। खबर की पुष्टि करते हुए डीएफओ वाइल्डलाइफ रविशंकर ने बताया कि फिलहाल यहां पर कॉमन कूट प्रजाति के कुछ पक्षी पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि वाइल्ड लाइफ की टीम साइबेरियन पक्षी के आने को लेकर तमाम औपचारिकताएं पूरी कर चुकी है।