22 देवताओं के स्थान ठूंड में वीरवार को प्रबोधिनी एकादशी अर्थात देवोत्थान, जिसे स्थानीय भाषा में देवठण कहते हैं, के पर्व पर हजारों लोगों ने देव जुन्गा के दर्शन करके आशीर्वाद प्राप्त किया। देवोत्थान पर्व बारे जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी नंदलाल शर्मा ने कहा कि ठूंड को रियासत काल से 22 देवताओं का स्थान माना जाता है, जहां पर हर वर्ष देवशयनी और देवोत्थान के अवसर पर देव जुन्गा का आशीर्वाद पाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु आते हैं।
देव जुन्गा देवचंद की मान्यता सोलन जिला के स्पाटु, सिरमौर के शरगांव, नेईनेटी, शिमला के जुन्गा, शोधी, न्यू शलोठ, पीरन-ट्राई, बलोग इत्यादि क्षेत्रों में पाई जाती हैं और लोग देव जुन्गा को अपना कुलईष्ट मानते हैं। उन्होंने बताया कि देवठन और दसूणी के अवसर पर पूरे क्षेत्र के देवता देवचंद, पंजाल के कुंथली देवता, धार के मनूणी देवता, भनोग के जुन्गा देवता सहित 22 देवता एकत्रित होते हैं, जहां लोग मनौती पूर्ण होने पर देवता को भेंट अर्पित करते हैं। उन्होंने बताया कि देव जुन्गा देवचंद के कलैणे में कनोगू, रोहाल, शलोंठी, भौंठी, टकराल, छिब्बर, बलीर, सराजी सहित 22 गोत्र अर्थात खैल कहते हैं, के लोग आकर परंपरा को निभाते हैं । देवठण की रात्रि को लोग डोम देवता के प्रांगण में 22 देवता का जागरण किया जाता है और अगले दिन देवता के गुर की देववाणी से आर्शीवाद प्राप्त करते हैं।
जुन्गा देवता के कलैणे प्रीतम ठाकुर ने बताया कि जुन्गा देवता का इतिहास क्योंथल रियासत के राजा परिवार से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि जुन्गा देवता की मान्यता समूची तत्कालीन क्योंथल रियासत में पाई जाती है। इस क्षेत्र के लोग परिवार में बेटा होने व अन्य शुभ कार्यों होने पर देवता को अपने घर पर आमंत्रित करते हैं। देवठन के पावन पर्व पर ट्राई गांव के सत्यपाल ठाकुर और विषमा ठाकुर द्वारा 22 टीका देव स्थान पर आयोजित भंडारे का हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
इस मौके पर देव समिति के पदाधिकारी मनोहर सिंह ठाकुर, रामसरन, बलोग से धर्म सिंह ठाकुर सहित विभिन्न क्षेत्रों से आए लोगों ने देवता का आशीर्वाद प्राप्त किया।