राज ठाकरे ने की पीएम मोदी की आलोचना, बोले- ‘हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं’

नवी मुंबई में विश्व मराठी साहित्य सम्मेलन में राज ठाकरे ने एक बार फिर मराठी भाषा का राग अलापा. नवी मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने ‘यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री भी अपनी मातृभाषा के प्रति अपना प्यार नहीं छुपा सकते, तो महाराष्ट्र अपना प्यार क्यों छुपाएगा?’ जैसा कड़ा सवाल पूछ लिया.

उन्होंने सरकार से राज्य के सभी स्कूलों में पहली से दसवीं तक मराठी के अलावा अन्य भाषाओं में मराठी अनिवार्य करने का अनुरोध किया. उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों से मराठी में बात करने का आग्रह किया है. राज ठाकरे की अपील के बाद, स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने खुलासा किया कि महाराष्ट्र में कक्षा 1 से कक्षा 10 तक के सभी स्कूलों में मराठी को अनिवार्य विषय बना दिया गया है.

विश्व मराठी साहित्य सम्मेलन में राज ठाकरे ने मराठी भाषा पर व्यापक टिप्पणी की. इस दौरान उन्होंने कुछ जगहों पर सरकार पर चुटकी भी ली. उपस्थित सरकार के मंत्रियों एवं अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं बहुत कड़वा मराठी हूं. मुझे इतना कड़वा मराठी होना सिखाया गया है. मेरे पिता जी के साथ-साथ बाला साहेब ठाकरे और महाराष्ट्र के कई बुजुर्गों ने भी मुझे संस्कारित किया है.’

उन्होंने कहा कि ‘जैसे-जैसे मुझे मराठी भाषा समझ आने लगी, मुझे उससे और भी अधिक प्यार हो गया. इसलिए मैं मराठी में बोलने, मराठी में अभिनय करने पर जोर देता हूं. मुझे अन्य भाषाओं से कोई आपत्ति नहीं है. जहां महाराष्ट्र में मराठी स्कूल बंद हो रहे हैं, वहीं अमेरिका में मराठी स्कूल खोले जा रहे हैं, क्या यह कम है?’

इस मौके पर राज ठाकरे ने स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि ‘मराठी लोग पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. वह काम, उद्योग और व्यापार के लिए अलग-अलग देशों में गए हैं. इसीलिए हमारी मराठी भाषा अधिक समृद्ध है. मराठी भाषा समृद्ध है, मराठी भाषा का प्रसार जहां भी हो, होना चाहिए. यूरोप का देश महाराष्ट्र से छोटा है. लेकिन वे अपने देश में व्यापार करते हैं, अपनी भाषा में बात करते हैं. लेकिन मराठी बोलते समय हम संकोच करते हैं.’

राज ठाकरे ने टिप्पणी करते हुए हिंदी राष्ट्रभाषा के समर्थकों की भी आलोचना की और कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है. उन्होंने कहा कि ‘देश में कोई एक राष्ट्रभाषा नहीं है. बिल्कुल हिंदी नहीं.’ राज ठाकरे ने ये बात बताते हुए अपनी बातें भी साफ कीं. उन्होंने कहा कि ‘महाराष्ट्र में जब हमारे मराठी लोग मराठी छोड़कर हिंदी बोलते हैं तो उन्हें गुस्सा आता है. हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है. मराठी भाषा की तरह ही गुजराती, तमिल, बंगाली, असमिया और तेलंगाना में तेलुगु है. वैसे ही हिंदी भी एक भाषा है. ध्यान दें कि यह राष्ट्रभाषा नहीं है, बिल्कुल भी नहीं.’

उन्होंने कहा कि ‘अपना मन बना लें, राष्ट्रभाषा पर हमारा कभी कोई फैसला नहीं आया. केंद्र सरकार ने हिंदी और अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के रूप में रखा है. मैं हिंदी भाषा का विरोधी नहीं हूं. जब मराठी के लिए आंदोलन हुआ तो मेरा विरोध किया गया. फिर हमने गुजरात हाई कोर्ट का फैसला हमारे सामने रखा. हिंदी फिल्मी गाने, हिंदी फिल्में संस्कृति बन गईं, इसलिए हिंदी अपने आप में आ गई. जब मराठी भाषा के लिए आंदोलन हुआ तो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कई लोगों का दिल मराठी से उतर गया.’ इस मौके पर राज ठाकरे ने आलोचना की कि उन्होंने तब तक मराठी नहीं बोली थी.