खेती किसानी को पहले लोग कम आंकते थे लेकिन आज के पढ़े लिखे युवा खेती किसानी से जुड़े बिजनेस कर के अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. सबसे अच्छी बात है कि आज के युवा खेती को लेकर इस तरह से सोच रहे हैं जैसे अन्य किसी व्यापार में सोचा जाता है. आज की खेती किसानी केवल खेत की पारंपरिक फसलों या फिर पहले की तरह कुछ मवेशियों के पालन तक ही सीमित नहीं रह गई है.
बटेर पालन में है अच्छी कमाई
जैसे कि बटेर पालन को ही ले लीजिए, आज कई किसान बटेर पालन को अपना व्यवसाय बना रहे हैं. बटेर/तीतर को एक जंगली पक्षी के रूप में देखा जाता है और इससे मीट व अंडे प्राप्त करने के लिए इसे पाला जाता है. हालांकि ये मुर्गी पालन जितना आसान नहीं है क्योंकि ये पक्षी तेजी से विलुप्त हो रहे हैं इस वजह से इसे पालने के लिए पहले लाइसेंस लेना पड़ता है. माना जाता है कि बटेर पालन के व्यवसाय में मुर्गी पालन से भी ज्यादा मुनाफा है.
निशांत ने शुरू किया बटेर पालन
कैमूर जिले के लबेदहा गांव के निशांत सिंह भी इसी व्यवसाय में हाथ आजमा रहे हैं. वह ग्रेजुएशन के साथ-साथ बटेर पालन कर रहे हैं. किसान तक की रिपोर्ट के अनुसार निशांत अकेलेदम पर बटेर पालन का काम कर महीने के 30 हजार रुपए कमा रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार निशांत 20 हजार बटेर का पाल रहे हैं.
बटेल पालन से पहले निशांत मुर्गी पालन करते थे, लेकिन इससे उन्हें जो मुनाफा हो रहा था उससे वह संतुष्ट नहीं थे. इसके बाद उन्होंने बटेर पालन के बारे में सोचा और इसे शुरू कर दिया. निशांत बताते हैं कि 35 दिन के अंदर एक बटेरतैयार हो जाता है. एक बटेर को तैयार करने में प्रतिदिन का खर्च एक रुपए तक आता है. इस तरह से 35 रुपये में एक बटेर तैयार हो जाता है.
मुर्गी पालन से ज्यादा मुनाफा कमाते हैं
वहीं बटेर पालन में एक फायदा ये भी है कि इस पक्षी की मृत्यु दर मुर्गी की तुलना में कम है. कम जगह में ही बटेर का पालन आसानी से किया जा सकता है लेकिन मुर्गी पालन के लिए ज्यादा जगह की जरूरत होती है. उन्होंने बताया कि वह 30 फीट लंबे और 30 फीट चौड़े क्षेत्र में 500 से ज्यादा मुर्गियां नहीं रख पाते थे. अब उतनी ही जगह पर उससे कई गुना ज्यादा बटेर पाल रहे हैं.
निशांत बताते हैं कि ठंड में बटेर के मांस की डिमांड काफी बढ़ जाती है क्योंकि ये काफी गर्म होता है. सर्दी का मौसम सबसे अनुकूल रहता है. कुछ लोग मांस के साथ अंडे का भी बिजनेस करते हैं. बटेर एक जंगली पक्षी है, इसे पालने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है. ये साल भर में 250 से 300 अंडे देती है. यह बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकता है.