2 जून, 2024 – नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के शालीन पंचायत के रांगड़ी क्षेत्र में अवैध ठोस कचरा डंपिंग के मामले में कड़ा कदम उठाया है। एनजीटी ने ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के उल्लंघन के लिए नगर परिषद मनाली पर 4.60 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाने का आदेश दिया है। यह राशि तीन महीने के भीतर हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) के पास जमा करनी होगी।
एनजीटी ने जिला मजिस्ट्रेट कुल्लू, कार्यकारी अधिकारी नगर परिषद मनाली और प्रधान सचिव, शहरी विकास, शिमला के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारत सरकार या एचपीएसपीसीबी द्वारा अधिकृत किसी भी प्राधिकारी द्वारा दो महीने के भीतर की जानी है, और अनुपालन रिपोर्ट अगले महीने के भीतर ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपी जाएगी।
पर्यावरणीय मुआवजे की राशि का उपयोग एचपीएसपीसीबी द्वारा क्षतिग्रस्त पर्यावरण की मरम्मत, पुनर्निर्माण और बहाली के लिए किया जाएगा। इसके लिए एक संयुक्त समिति गठित की जाएगी, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट कुल्लू, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव और एचपीएसपीसीबी के सदस्य सचिव शामिल होंगे। यह समिति दो महीने के भीतर पर्यावरण पुनरुत्थान योजना तैयार करेगी और इसे छह महीने के भीतर लागू करेगी। योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला मजिस्ट्रेट कुल्लू नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेंगे।
अगर नगर परिषद मनाली द्वारा ठोस कचरे के प्रबंधन में उल्लंघन जारी रहता है, तो एचपीएसपीसीबी मासिक आधार पर पर्यावरणीय मुआवजा तय करेगा। इसके लिए नियमित अनुपालन रिपोर्ट अगले महीने के भीतर ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार जनरल को प्रस्तुत करनी होगी, ताकि ठोस कचरा प्रबंधन नियमों का पालन सुनिश्चित हो सके और पर्यावरण को और नुकसान न हो।
वर्तमान में, कुल्लू, भुंतर, बंजार, कसोल, मणिकरण, बाशिंग, रायसन, पतलीकुल, नग्गर, सोलंग, रोहतांग और पर्यटन विकास परिषद मनाली का कूड़ा-कचरा रांगड़ी में ही डाला जा रहा है। यह समस्या स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रही है और एनजीटी के आदेश से उन्हें राहत मिलने की उम्मीद है।
एनजीटी ने अपने आदेश की प्रतिलिपि हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव, शहरी विकास के प्रधान सचिव, कुल्लू के जिला मजिस्ट्रेट, सीपीसीबी के सदस्य सचिव और एचपीएसपीसीबी के सदस्य सचिव को भेजने का भी आदेश दिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी संबंधित प्राधिकारी उचित कदम उठाएं और पर्यावरण की रक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन करें।
एनजीटी का यह कड़ा फैसला पर्यावरणीय कानूनों का पालन सुनिश्चित करने, अवैध कचरा डंपिंग से हुई क्षति की मरम्मत करने और जिम्मेदार पक्षों को जवाबदेह ठहराने के लिए लिया गया है। इस फैसले से हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और कचरा प्रबंधन में सुधार आएगा। एनजीटी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।