भारतीय बच्ची अरिहा शाह के माता-पिता भावेश शाह और धारा शाह को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब बर्लिन की एक स्थानीय अदालत ने बीते शुक्रवार को उनकी बेटी अरिहा की कस्टडी जर्मन राज्य को दे दी. अदालत ने माता-पिता के उस तर्क को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके बच्चे को लगी चोट ‘आकस्मिक’ थी.
बर्लिन की स्थानीय अदालत का आदेश ऐसे समय में आया है जब बच्ची के माता-पिता, भारत सरकार, और कुछ सांसद जर्मनी पर लड़की को उसके माता-पिता को सौंपने के लिए राजनयिक दबाव बढ़ा रहे थे. अरिहा के माता-पिता गुजरात के रहने वाले हैं. वो 2018 में जर्मनी गए थे.
भारतीय बच्ची आहिरा अपने माता-पिता से कब मिलेगी?
उनकी बेटी अरिहा शाह पिछले 20 महीने से जर्मनी के फ़ोस्टर केयर में रह रही है. बच्ची को 23 सितंबर, 2021 को जर्मनी के युवा कल्याण कार्यालय (जुगेंडमट) की हिरासत में रखा गया था, जब वह सात महीने की थी. वह अब 20 महीने से अधिक समय से उन्हीं की देखभाल में है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2021 के सितंबर महीने में धरा शाह ने अपनी बेटी के डायपर में ख़ून देखा था. डॉक्टर ने प्रारंभिक जांच में कहा कि कुछ गंभीर नहीं है, लेकिन बाद में जब धरा शाह अपनी बेटी को लेकर एक बड़े अस्पताल में दिखाने गईं तो साढ़े सात महीने की अरिहा शाह को जर्मन चाइल्ड लाइन सर्विस भेज दिया गया.
जर्मनी में फंसी आहिरा शाह का पूरा मामला क्या है?
दरअसल, डॉक्टरों ने अरिहा के साथ कथित यौन उत्पीड़न मामला होने की बात कही थी, जिसके कारण अरिहा को फोस्टर केयर में भेज दिया गया था. इस केस ने उस वक्त एक नया मोड़ ले लिया जब आगे की जांच में डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न नहीं हुआ है.
डॉक्टरों की इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए साल 2022 में पुलिस ने केस बंद कर दिया लेकिन चाइल्ड लाइन सर्विस ने कोर्ट में पैरेंटिंग राइट्स टर्मिनेट का केस बरक़रार रखा. इसके बाद से अरिहा के माता-पिता अपनी बच्ची की कस्टडी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इसी क्रम में बर्लिन की स्थानीय अदालत का ताजा आदेश चर्चा में है.
बर्लिन की अदालत ने जर्मन राज्य को दे दी कस्टडी
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