जम्मू कश्मीर में शहीद हुए कैप्टन शुभम गुप्ता का निजी सामान राजौरी यूनिट से जब उनके घर पहुंचा तो उनकी मां एक बार फिर अपने बेटे को याद करके रो पड़ी.
‘मुझे मेरा बेटू चाहिए’
शहीद की मां बेटे की वर्दी अपने सीने से लगाकर रोने लगीं. उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता की मां बस रोते हुए यही कह रही थीं कि ‘मुझे मेरा बेटू चाहिए…उसे क्यों नहीं लाए?’
गौरतलब है कि 22 नवंबर को आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में कैप्टन शुभम गुप्ता राजौरी में शहीद हो गए थे जिसके 12 दिन बाद राजौरी यूनिट से सैन्य अधिकारी शुभम के निजी सामानों का एक संदूक लेकर उनके घर पहुंचे. इस संदूक में शुभम की वर्दी, कपड़े, बैज, टोपी और बाकी सामान थे.
शहीद की मां का रो-रोकर हुआ बुरा हाल
आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मां ने अपने लाडले बेटे का सामान देखा तो वह खुद को रोक नहीं पाई और रो पड़ी. कभी उन्होंने शहीद लाल की वर्दी को सीने से लगाकर दुलार किया तो कभी उनकी टोपी को निहारती. उनके बैज को चूमते हुए बस यही कह रही थीं मेरा लाल कहां हैं?
इस दौरान परिवार के सदस्यों ने उन्हें संभालने की काफी कोशिशें कीं, लेकिन शहीद की मां के आंसू थम नहीं रहे थे. वहीं कैप्टन शुभम के पिता बसंत गुप्ता एक कोने में खड़े होकर अपने ऊपर टूटे दुखों के पहाड़ को छिपाने की कोशिश करते दिखाई दिए, लेकिन उनकी भी आंखें नम थीं.
27 वर्ष की उम्र में शहीद होने वाले कैप्टन शुभम गुप्ता साल 2015 में आर्मी में भर्ती हुए थे. 2018 में कमीशन मिला. वो 9 पैरा में थे. 22 नवंबर को राजौरी के धर्मशाल के बाजीमाल इलाके में आतंकियों से हुई मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए. इस मुठभेड़ में उनके साथ 4 और जवान शहीद हुए थे. इसके साथ ही जवानों ने दो आतंकियों को भी मार गिराया था.