12 मई को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं और 12वीं के बोर्ड रिजल्ट जारी किए. 10वीं में 93.12% और 12वीं में 87.33% छात्रों ने सफलता पाई है. वैसे तो हर रिजल्ट में टॉपर्स की बातें होती हैं लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो भले ही टॉप ना कर पाए हों लेकिन उनके लिए अच्छे अंक लाना ही बहुत बड़ी उपलब्धि होती है.
परिवार की उम्मीद से ज्यादा अंक ले आई आकांक्षा
ये बच्चे उन परिस्थितियों को झेल कर यहां तक पहुंचते हैं जहां पढ़ने के लिए जरूरी संसाधन भी उपलब्ध नहीं होते. बच्चों की कामयाबी और उसके पीछे की गई मेहनत की ऐसी ही दिल छू लेने वाली कई कहानियों में एक कहानी है नोएडा की रहने वाली अकांक्षा कुमारी की. आकांक्षा ने 12वीं बोर्ड रिजल्ट में जितने अंक पाए हैं, उतनी उनके पिता और परिवार ने उम्मीद भी नहीं की थी.
पिता चलाते हैं रिक्शा
आकांक्षा नोएडा की सकरी गली के एक छोटे से घर में रहती हैं. उन्होंने सीबीएसई 12वीं बोर्ड परीक्षा में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं. उनके इतने अंक भी उनके परिवार की उम्मीद से ज्यादा हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि आकांक्षा ऐसे परिवार से आती हैं जहां की आर्थिक स्थिति में परिवार का सही से पेट पाल पाना भी बहुत बड़ी बात है. आकांक्षा के पिता राजेश्वर प्रसाद रिक्शा चालकर अपने परिवार को पालते हैं. अपनी इसी कमाई से उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ाया है. वह अपनी बेटी को सफल बनाने के लिए तपती गर्मी से लेकार कपकपाती सर्दी में रिक्शा खींचते रहे हैं.
पढ़ाई के लिए की खूब मेहनत
दूसरी तरफ अंकाक्षा ने भी अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. पढ़ने के प्रति उनकी लगन ऐसी रही है कि वह हर रोज 2.5km पैदल चल कर स्कूल जाया करती थीं. आजतक से बात करते हुए अकांक्षा की मां बताया कि आकांक्षा सिर्फ पढ़ाई ही नहीं करती थी बल्कि इसके साथ साथ ही वह घर ले काम भी करती थी. वह स्कूल से लौटने के बाद झाड़ू-पोछा, बर्तन से लेकर खाना बनाने में मां मदद करती है और इसके बाद के समय में खूब मेहनत से पढ़ाई भी करती है.
वकील बनना चाहती है आकांक्षा
अपने भविष्य के बारे में बताते हुए अकांक्षा ने कहा कि वह वकील बनना चाहती हैं. उन्होंने बताया की अभी तो वह एसएससी कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी करेंगी, लेकिन आगे वह किसी अच्छे से एलएलबी कॉलेज में दाखिला लेंगी. आकांक्षा की इस बात पर उनकी मां का कहना है कि बेटी जो करना चाहती है, वे उसका पूरा सहयोग करेंगे. उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी लड़के-लड़की में कोई फर्क नहीं किया है. जितना लड़के के लिए किया उतना ही अपनी बेटी के लिए किया. आकांक्षा की मां चाहती हैं कि उनकी बेटी मेहनत करे और अपने पैरों पर खड़ी हो जाए.