क्या, आपने पहले सुना है…पति ने पत्नी के लिए गुर्दा (Kidney) दान किया हो, ट्रांसप्लांट के लिए कोई मसीहा मिला हो। यही नहीं, इलाज के लिए हवाई मार्ग (Air shaft) की व्यवस्था भी फौजी ने पलक झपकते ही कर दी हो। यही नहीं इत्तफाक देखिए, महिला को 4 जनवरी 2020 को दोनों किडनियां फेल होने का पता चला था। ठीक चार साल बाद 4 जनवरी 2024 को किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) हो गई। धावक ने भी नेक कार्य में आहुति डाली। ये, चंद बातें हैं…जो सामाजिक सरोकार की एक दुर्लभ मिसाल पेश करती है।
4 जनवरी 2020 आर्थिक रूप से कमजोर परिवार पर उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब एक साल के मासूम की मां सुरजा की दोनों किडनियां फेल हो गई। पति श्यामू शिमला की एक बेकरी में कार्य करता था। पत्नी के इलाज में दर-ब-दर की ठोकरें खा रहा था। शिलाई उपमंडल के बेल्ला बश्वा गांव के रहने वाले दंपत्ति को मसीहा के तौर पर सेवानिवृत सूबेदार (Retired Subedar) विजय पंवार मिल गए।
रिटायर फौजी (Retired Soldier) ने मिलते ही न केवल पति-पत्नी के आंसुओं को पोंछा, बल्कि एक साल के मासूम को भी पुचकार कर उसकी मां को नवजीवन दिलाने का वादा किया। सेवानिवृत फौजी ने तुरंत ही छत्तीसगढ़ के रायपुर (Raipur of Chhattisgarh) में एक संस्था से संपर्क किया। सर्जरी निशुल्क होने का आश्वासन मिल गया। सूबेदार विजय ने तुरंत ही पति-पत्नी की फ्लाइट बुक कर दी। इसका खर्च स्वयं ही वहन किया। लेकिन पहाड़ों के रिमोट इलाके में रहने वाले दंपत्ति को रायपुर की आबोहवा रास नहीं आई।
इसके बाद सूबेदार साहब ने दंपत्ति को वापस लाने का निर्णय लिया। रायपुर से फ्लाइट नहीं थी तो मुंबई से चंडीगढ़ की फ्लाइट बुक की। आपको बता दें कि सेवानिवृत फौजी ने केवल फ्लाइट का ही खर्चा नहीं किया, बल्कि 1.60 लाख रुपए की नकद राशि भी परिवार को मुहैया करवाई। इसके बाद मरीज को लेकर पीजीआई (PGI) चंडीगढ़ में उपचार शुरू किया।
इसी दौरान अल्ट्रा मैराथन (Ultra Marathon) धावक सुनील शर्मा से भी संपर्क हुआ। धावक ने भी चैरिटी (Charity) जुटाने के लिए राष्ट्रीय उज्जवल निर्माण ‘रन’ के बैनर तले दौड़ लगाई। सुनील ने भी करीब दो लाख रुपए की राशि का इंतजाम कर लिया। यही नहीं, सूबेदार साहब व सुनील की कोशिश से राज्य सरकार ने भी सुरजा के उपचार के लिए दो लाख की राशि मुहैया करवाई।
4 जनवरी 2024 का दिन गरीब परिवार के लिए खुशियों भरा था, वहीं एक साल का मासूम अब 6 साल का हो चुका है। पंचकूला के अलकेमिस्ट (alchemist) में पति द्वारा दान की गई किडनी का सफलतापूर्वक सुरजा को प्रत्यारोपण कर दिया गया। पति श्यामू ने आम लोगों से अंगदान में संकोच न करने की अपील भी की है। श्यामू का कहना है कि वो किडनी डोनेट करने के चंद घंटों बाद ही डिस्चार्ज हो गया था। मामूली सी भी दिक्कत नहीं है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सूबेदार विजय पंवार ने कहा कि वो मूलतः ददाहू के दीद बगड के रहने वाले हैं। 4 पैराशूट रेजिमेंट स्पेशल फोर्स से सेवानिवृत हैं। सेना की नौकरी के बाद सामाजिक कार्यों में ही जुटे हुए हैं। मौजूदा में मंडी के तत्तापानी में एक संस्था से जुड़कर सामाजिक कार्यों में लगे हुए है।
एक सवाल के जवाब में सूबेदार साहब ने कहा कि वो नहीं चाहते कि पैसों के अभाव में कोई अनमोल जीवन संसार को त्याग दे, इसी मूलमंत्र से कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही शिमला में एक आशियाना बनाना चाहते हैं, जिसमें आईजीएमसी आने वाले मरीजों के तीमारदारों को रहने व खाने की निशुल्क सुविधा हासिल हो सके।
उधर, धावक सुनील शर्मा ने कहा कि सूबेदार साहब के माध्यम से ही परिवार से संपर्क हुआ। 9 मरीजों के लिए चैरिटी रन से एकत्रित राशि को जरूरतमंदों के इलाज में खर्च किया गया। सुरजा की भी यथासंभव मदद करने का प्रयास किया गया है। हालांकि, मरीज को डिस्चार्ज मिल गया है, लेकिन हर पांच दिन में चेकअप के लिए जाना होता है, लिहाजा पंचकूला में ही किराए के घर में रहने की व्यवस्था की गई है।