नवीन प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से कृषि क्षेत्र में खुलेंगे सम्पन्नता के द्वार : चन्द्र कुमारनवीन प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से कृषि क्षेत्र में खुलेंगे सम्पन्नता के द्वार : चन्द्र कुमार

भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की अधिकतम आबादी नियमित आय के लिए खेती पर निर्भर है। आज के समय में कृषि सबसे तेजी से बढ़ते व्यावसायिक क्षेत्र के रूप में उभर रही है। युवा पीढ़ी को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए आवश्यक है कि इसकी आधारिक संरचना का विकास आधुनिक समय की मांग अनुसार किया जाए। यह बात कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने कृषि विभाग द्वारा ‘कृषि अवसंरचना कोष’ योजना पर आज यहां आयोजित हिमाचल प्रदेश राज्य स्तरीय कॉन्क्लेव में बतौर मुख्य अतिथि कही।

उन्होंने कहा कि कृषि अवसंरचना कोष के माध्यम से प्रदेश में कृषि सम्बन्धी अधोसंरचना के विकास के लिए अधिकतम 9 प्रतिशत की ब्याज दर पर दो करोड़ तक के ऋण पर तीन प्रतिशत ब्याज छूट दी जाती है। उन्होंने कहा कि कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी, मशीनरी, अनुसंधान व उन्नत बीज का समावेश कर किसानों को लाभान्वित करने में वांछित सफलता हासिल की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के कृषि क्षेत्र में पूंजीगत निवेश की अपार संभावनाएं हैं। यहां पर कोल्ड स्टोर, प्रोसेसिंग प्लांट्स, सॉर्टिंग व ग्रेडिंग यूनिट्स, पैकेजिंग यूनिट्स, वेयरहाउस और सप्लाई चेन सम्बन्धी अधोसंरचना आदि क्षेत्रों में निवेश कर लाभ अर्जित किया जा सकता है। इससे प्रदेश में रोजगार एवं स्वरोजगार के हजारों अवसर भी सृजित होंगे।

उन्होंने कहा कि कृषि अवसंरचना कोष के तहत परियोजनाओं के लिए प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता में बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है ताकि इसके व्यावहारिक लाभ लोगों को मिल सके। उन्होंने प्रदेश में सिंचाई अवसंरचना के निर्माण पर भी बल दिया और कहा कि एक मजबूत और आधुनिक सिंचाई व्यवस्था के विकास से ही कृषि क्षेत्र में सम्पन्नता लायी जा सकती है। कृषि मंत्री ने कहा की राज्य सरकार प्रदेश के किसानों के उत्थान के लिए हर संभव प्रयास कर रही है ताकि उनका संपन्न एवं सुनहरा भविष्य सुनिश्चित हो।

इस अवसर पर निदेशक, कृषि अवसंरचना कोष, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के.आर. मीणा ने राज्य सरकार का इस आयोजन के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ वर्ष, 2020 में इस योजना की शुरुआत की गयी थी। इस योजना के तहत प्रदान किये जा रहे लाभों को केंद्र और राज्य सरकारों की उपदान या सबवेंशन की योजनाओं के साथ जोड़ा जा सकता है।