सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में मंत्रिमंडल (Cabinet) विस्तार किया है। नवनियुक्त मंत्रियों को अभी पोर्टफोलियो मिलने का इंतजार है। कल से धर्मशाला में विधानसभा (HP Assembly) का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है। ऐसे में दोनों मंत्रियों को विभाग अलॉट हो सकते हैं।
नए बने दोनों कैबिनेट मंत्री उच्च तकनीकी शिक्षा (higher technical education) से लैस हैं। सीएम दोनों मंत्रियों की योग्यता को प्रदेश के विकास के लिए सामने रख उनके शैक्षणिक अनुभव का फायदा लेना चाहते हैं। धर्मांणी ने एनआईटी हमीरपुर (NIT Hamirpur) से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक (B.Tech) की है। साथ ही इग्नू से एमबीए (MBA) की डिग्री हासिल की है। वहीं, यादवेंद्र गोमा ने बीटेक मैकेनिकल के साथ एमबीए जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त की है।
इस समय ऊर्जा व वन विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास हैं। वहीं, खाद्य एवं आपूर्ति जैसा महत्वपूर्ण विभाग भी सीएम संभाल रहे हैं। ये तीनों मंत्रालय सीधे जनता से जुड़े हैं। चर्चाएं ये भी हैं कि कुछ नॉन परफार्मेंस मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी किया जा सकता है। वहीं, योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष का पद भी खाली पड़ा है। ताजपोशी की इंतजार में कई विधायक व कांग्रेस के हारे हुए दिग्गज इस पद के लिए लॉबिंग में जुटे हैं।
मुख्यमंत्री लोकसभा चुनाव से पहले कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां कर सकते हैं। नाहन से सुक्खू के खासमखास कांग्रेसी विधायक अजय सोलंकी को भी कहीं न कहीं पद मिलने की आस है। अभी विधानसभा में सचेतक व मुख्य सचेतक की नियुक्ति भी की जानी है। ज्वालामुखी से संजय रतन, कांगड़ा जिला से ही भवानी पठानिया व केवल सिंह पठानिया भी सरकार में कोई महत्वपूर्ण ओहदा संभालने की बाट जोह रहे हैं।
कांगड़ा की किलेबंदी करने के लिए मुख्यमंत्री सुक्खू बड़े धैर्य से रणनीति बनाने में जुटे हैं। वहीं, एक अन्य बड़े जिले शिमला को तीन मंत्रियों के अलावा कई ओहदेदार सरकार में शामिल हैं। कांगड़ा की किलेबंदी को लेकर मुख्यमंत्री फूंक -फूंक कर कदम रख रहे हैं। अब देखना है कि किसका भाग्य उदय होता है।
वहीं, मंत्रिमंडल में सीएम ने एक पद खाली रखा हुआ है। मंडी से कांग्रेस के जीते एकमात्र विधायक चंद्रशेखर को भी सरकार में एडजस्ट करने की कांग्रेस सरकार की मजबूरी है। यदि, मंत्रिमंडल में मंत्रियों के विभागों में फेरबदल होता है तो सीएम को नए सिरे से माथापच्ची करनी पडे़गी। फिलहाल, विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले मुख्यमंत्री कोई बड़ा फेरबदल कर सकते हैं। साथ ही दोनों नवनियुक्त मंत्रियों को भी पोर्टफोलियो मिलने की संभावना है।