सफलता की कहानी एक दिन में नहीं लिखी जाती. सफलता एक ऐसा पेड़ है जिसे लगाने वाले से ज़्यादा फायदा उसे दशकों तक सींचते रहने वालों को होता है. आज की ब्रांड स्टोरी में हम आपके सामने ला रहे हैं एक ऐसे ही सफलता के पेड़ की कहानी. इस ब्रांड का रोपण 1945 में किया और फिर दशकों तक इसे सींचने के बाद ये दुनिया भर में अपना नाम कमा चुका है.
हम यहां बात कर रहे हैं महिंद्रा एंड मोहम्मद कंपनी की. जी नहीं, ये कोई राइटिंग मिस्टेक नहीं है. हालांकि अब ये ब्रांड दुनिया भर में महिंद्रा एंड महिंद्रा के नाम से ही प्रसिद्ध है लेकिन इस कहानी की शुरुआत महिंद्रा एंड मोहम्मद से ही होती है.
आज आनंद महिंद्रा जैसे बिजनेस मैन की मेहनत की वजह से एमएंडएम ग्रुप सफलता की ऊंचाईयां छू रहा है लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था जब इस कंपनी के ऊपर बंटवारे की जबरदस्त मार पड़ी और इसके बंद होने के आसार नजर आने लगे थे. तो चलिए आज की ब्रांड सक्सेस स्टोरी में जानते हैं महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के इतिहास के बारे में:
दो भाई, जिनके ऊपर से उठ गया था पिता का साया
एम एंड एम ग्रुप की कहानी शुरू होती है 1892 से. इसी साल जगदीश चंद्र महिंद्रा का जन्म हुआ. और इसके दो साल बाद यानी 1894 में पैदा हुए कैलाश चंद्र महिंद्रा. जेसी और केसी महिंद्रा कुल 9 भाई बहन थे. छोटी सी उम्र में दोनों भाइयों के सिर से पिता का साया उठ गया. पिता के जाने के बाद मां और 8 भाई बहनों की जिम्मेदारी जेसी महिंद्रा के कंधों पर आ गई.
जेसी महिंद्रा की उम्र भले ही कम थी मगर उनके हौसले बुलंद और सोच दूरदर्शी थी. उन्होंने उस दौर में भी शिक्षा के महत्व को अच्छे से समझ लिया था. यही वजह थी कि उन्होंने अपने साथ साथ अपने भाई बहनों को भी उच्च शिक्षा दिलाने का पूरा प्रयास किया. उन्होंने अपने छोटे भाई केसी महिंद्रा को पढ़ने के लिए कैम्ब्रिज भेजा.
विदेश की नौकरी छोड़ कर शुरू की थी एमएंडएम कंपनी
पढ़ाई पूरी करने के बाद केसी ने अमेरिका में नौकरी की. इसके बाद 1942 में इन्हें यूएस में इंडियन परचेजिंग मिशन का हेड नियुक्त किया गया.
सन 1945 में केसी जब भारत लौटे तो उन्हें उच्च सरकारी पदों के साथ साथ कई निजी संस्थाओं में बड़ा पद ऑफर हुआ लेकिन उन्होंने अपने बड़े भाई जेसी महिंद्रा और मित्र मलिक गुलाम मुहम्मद के साथ मिल कर अपना नया बिजनेस शुरू करने का मन बनाया. इस तरह इन तीनों ने मिल कर सन 1945 में महिंद्रा एंड मुहम्मद कंपनी की नींव रखी.
देश के बंटवारे ने कंपनी को भी बांट दिया
आज भले ही महिंद्रा एंड महिंद्रा अपनी पॉवरफुल गाड़ियों के लिए जानी जाती हो लेकिन इसकी शुरुआत एक स्टील कंपनी के रूप में हुई थी. महिंद्रा भाइयों ने सोचा था कि वे मलिक गुलाम मुहम्मद के साथ मिलकर एमएंडएम को देश की बेहतरीन स्टील कंपनी बनाएंगे लेकिन देश के बंटवारे के बाद उनके इस सपने को बड़ा झटका लगा.
15 अगस्त 1947 को देश के बंटवारे के साथ ही महिंद्रा बंधुओं के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई. इधर देश धर्मों के आधार पर दो भागों में बंट गया और उधर कंपनी के हिंदू-मुसलमान दोस्त बंट गए. पाकिस्तान बनने के साथ ही मलिक गुलाम मुहम्मद ने पाकिस्तान जाने का फैसला कर लिया. वह अब एमएंडएम से अलग होना चाहते थे.
मुश्किल हालात में भी दोनों भाइयों ने हिम्मत नहीं हारी
आखिरकार मलिक ने हिंदुस्तान छोड़ दिया और पाकिस्तान जा कर वहां के पहले वित्त मंत्री और फिर पाकिस्तान के तीसरे गवर्नर जनरल बने.
इधर मलिक के जाने से महिंद्रा बंधुओं को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा. इसकी वजह ये थी कि एमएंडएम कंपनी में मलिक की हिस्सेदारी काफी ज़्यादा थी. कुछ समय के लिए लगा कि शायद महिंद्रा बंधु कंपनी को मलिक के बिना ना चला पाएं और इसे बंद कर दें लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दोनों ने अपनी हिम्मत बनाए रखी और कंपनी को आगे बढ़ाने का फैसला किया.
इस तरह महिंद्रा एंड मोहम्मद बनी महिंद्रा एंड महिंद्रा
मलिक गुलाम मोहम्मद के अलग होने के बाद महिंद्रा बंधुओं ने कंपनी का नाम बदलने का फैसला किया मगर समस्या ये थी कि कंपनी एमएंडएम नाम से पहले ही रजिस्टर्ड थी. नाम को बदलने में कोई समस्या नहीं थी लेकिन कंपनी की स्टेशनरी बेकार हो रही थी.
कंपनी को एम एंड एम नाम ही चाहिए था. ऐसी स्थिति में कंपनी को मोहम्मद की जगह महिंद्रा नाम दिया गया और कंपनी का नाम महिंद्रा एंड मोहम्मद से महिंद्रा एंड महिंद्रा हो गया. महिंद्रा बंधु अब अपनी इस कंपनी के साथ कुछ नया करना चाहते थे. ऐसे में केसी महिंद्रा का विदेश अनुभव काम आया.
उन्होंने अमेरिकी कंपनी में काम करते हुए जीप देखी थी. उन्हें इस जीप का कन्सेप्ट पसंद आया था और तभी उन्होंने भारत में जीप के निर्माण का सपना देखा. अब उनके पास अपनी कंपनी के माध्यम से इस सपने को पूरा करने का पूरा मौका था.
कंपनी ने भारत में जीप का प्रोडक्शन शुरू कर दिया. इसी के साथ स्टील कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने ऑटो इंडस्ट्री में कदम रखा. जीप बनाने के कुछ समय बाद ही एमएंडएम कंपनी लाइट कॉमर्शियल व्हीकल और ट्रैक्टर की मैन्यूफैक्चरिंग भी करने लगी. इसी तरह ये कंपनी आगे बढ़ती रही.
सन 1991 एमएंडएम ग्रुप के लिए बहुत बड़ा साल साबित हुआ. यही वो साल था जब भारतीय अर्थव्यवस्था में उछाल आया और एम एंड एम ग्रुप ने इसी साल बड़ी छलांग लगाई. इसी साल आनंद महिंद्रा इस ग्रुप के डिप्टी डायरेक्टर भी बने. आज महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप की कुल संपत्ति 22 बिलियन है.
ये कंपनी SUVs, मल्टी यूटिलिटी व्हीकल्स, पिकउपस,लाइटवेट कमर्शियल व्हीकल्स, हैवीवेट कमर्शियल व्हीकल्स, दो पहिया मोटरसाइकिल और ट्रैक्टर्स आदि जैसे कई वाहनों की निर्माता है. इस ग्रुप का कारोबार आज 100 देशों में फैला हुआ है 150 कंपनियों के साथ महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप ने 2.5 लाख से ज़्यादा लोगों को रोजगार दिया है.