हिमाचल प्रदेश के “अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव” ” (International Dussehra Festival) में मध्यरात्रि आग (fire) लगने की घटना पेश आई है। आग के तांडव ने उत्सव (Festival) में विराजमान देवी-देवताओं के अस्थायी शिविर ( temporary camps) को तबाह कर दिया है। शिविरों में देवी- देवता विराजमान और कारकून भी सोये थे। अचानक भड़कीं आग की लपटों से अफरा तफरी का माहौल पैदा हुआ। घटना में 12- 13 के करीब देवी-देवताओं के टैंट जले। प्रशासन की माने तो देवताओं के रथों को सुरक्षित निकाल लिया गया था।
आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। देवताओं के साथ अन्य देवलुओं के सोने के टेंट भी जलने की सूचना है। इसके अलावा देवी देवताओं की चांदी, लकड़ी की अर्लगलाएं, दानपात्र, ढोल, नगाड़े, नरसिंगे, ट्रंक सहित अन्य सामान जलकर राख हो गया है, घटना में एक कार भी जल गई है। कारकूनों और पुलिस जवानों ने देवी देवताओं के देव रथों को कड़ी मशक्कत के साथ टेंट से बाहर निकाल लिया। देव रथ आग से बच गए हैं।
इसके अलावा अन्य सामान जलकर राख हो गए हैं। सोने, चांदी के देव आभूषण भी देवताओं को बाहर निकालते समय घटना में खो जाने की सूचना है। जिन देवी देवताओं (Gods and Goddesses) के टेंट में आग लगी उन देवी देवताओं को न्यायालय पार्किंग व कुछ देवी देवताओं को अन्य देवताओं के अस्थाई शिविरों में रखा गया है। यही नहीं आराध्य देवताओं को बचाते हुए दो-तीन लोग झुलस भी गए। पुलिसकर्मियों (police) को भी आग बुझाते समय चोटें आई है। एक व्यक्ति को अस्पताल में चोटें आने पर उपचार के लिए भर्ती किया गया है। वहीं जूता मार्केट और प्लास्टिक बर्तनों की मार्केट में भी करीब 4 दुकानें जल गई है।
उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग और एसपी कुल्लू साक्षी वर्मा भी मौके पर पहुंचे और घटना का जायजा लिया। आग लगने के कारणों की जांच जारी है। आगजनी में कुछ लोग, पुलिस जवानों को चोटें आई है। लेकिन जानी नुकसान नहीं हुआ है। उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग ने कहा कि आगजनी की इस घटना में नुकसान काफी हुआ है।