डिग्री कॉलेज चायल-कोटी में डिकोडिंग राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर कार्यशाला संपन्न

शिमला, 23 दिसंबर : राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर राजकीय महाविद्यालय चायल-कोटी में बीते सात दिनों से चल रही कार्यशाला शनिवार को संपन्न हुई है। कार्यशाला का आयोजन महाविद्यालय की आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन सेल (आईक्यूएसी) समिति द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में डिकोडिंग राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर गहनता से चर्चा की गई। समापन कार्यक्रम पर कॉलेज की प्राचार्या डाॅ मनीषा कोहली ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।

बता दें कि देश की सबसे महत्वपूर्ण इकाई शिक्षा की सबसे नवीन नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 पर आधारित यह कार्यशाला डिकोडिंग राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर केंद्रित रही। डाॅ. कोहली ने बताया कि निकट भविष्य में यह शिक्षा नीति पूरे भारत में लागू होने जा रही है और इसका प्रत्यक्ष संबंध शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों से है। इसलिए इसी उद्देश्य को मद्देनजर रखते हुए दोनों के लाभार्थ हेतु इस कार्यशाला का आयोजन करवाया गया।

उन्होने बताया कि प्रत्येक दिन अलग-अलग विषयों जैसे भाषा, कॉमर्स, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, शारीरिक शिक्षा, इतिहास, राजनीति, संगीत, गणित आदि को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के संदर्भों के साथ जोड़कर इस नीति के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। प्रत्येक दिन विद्यार्थियों के साथ चर्चा-परिचर्चा स्थापित करना इस कार्यशाला की बड़ी उपलब्धि रही। किसी एक विद्यार्थी द्वारा गत दिन की रिपोर्ट प्रस्तुत करके ही सातों दिन का आरंभ होता रहा।

आईक्यूएसी. के समन्वयक डॉ. अजय कुमार एवं इस समिति के अन्य सभी सदस्यों ने कार्यशाला को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. देवेंद्र शर्मा द्वारा प्रत्येक विषय से जुड़े अनेक महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को स्पर्श करते हुए, प्रत्येक वक्ता को उसके विषय से जुड़ी जानकारी पृष्ठभूमि के तौर पर प्रदान करते हुए मंच का कार्यभार सफलतापूर्वक संभाला गया। देश में शिक्षा की भूख है, क्या इस शिक्षा नीति के माध्यम से वह भूख मिट सकेगी या नहीं! क्या हमारी सरकार देश की जीडीपी का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने के लिए तैयार है।

क्या यह नीति समाज को एक नई दिशा देने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगी। क्षेत्रीय भाषा शिक्षा का माध्यम बनेगी। इन तमाम सवालों पर विचार-विमर्श किया गया। प्रो विशाल रांगटा द्वारा इन सात दिनों में हुए वार्तालाप के निष्कर्ष बड़ी ही सूक्ष्मता एवं सहजता के साथ व्यक्त किए गए।