भीख मांग कर अपना पेट पालने वाले भिखारियों का जीवन बेहद कठिन दिखता है. इनका ना कोई घर होता है और ना खाने-पीने की कोई गारंटी. अगर कहीं से भीख ना मिले तो इन्हें भूखे भी सोना पड़ता है. हालांकि कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां भिखारियों के पास से लाखों का कैश मिला है, जो उन्होंने भीख मांग मांग कर जमा किया थे. निश्चित ही जिसके पास पैसे होंगे वो भूख से नहीं मरेगा लेकिन गुजरात के एक भिखारी ने कुछ ऐसा किया जिसके बारे में जान कर कोई हैरान है.
जेब में 1.14 लाख फिर भी भूख से मर गया भिखारी
गुजरात के वलसाड के एक 50 वर्षीय व्यक्ति की भूख की वजह से मौत हो गई. ये व्यक्ति भीख मांगता था. आज के दौर में जहां बहुत से लोगों के पास जरूरत से ज्यादा है, वहां, किसी का भूख से मर जाना बेहद दुखद है. लेकिन यही खबर उस समय हैरान कर देती है जब आप जानते हैं कि इस भूख की वजह से मारे भिखारी के पास 1 लाख से ज्यादा रुपये थे. जी हां, इस व्यक्ति को जब रविवार को वलसाड सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उसके पास से 1.14 लाख रुपये का कैश मिला. भर्ती होने के कुछ ही देर बाद ही उसकी मौत हो गई. बाद में जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई तो पता चला कि उसकी मौत का कारण भूख थी.
कई दिनों से सड़क किनारे पड़ा था
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों द्वारा मामले की गहनता से जांच की जा रही है. वलसाड पुलिस के मुताबिक, इमरजेंसी नंबर 108 पर रविवार को एक दुकानदार ने पुलिस को फोनकर बताया कि, एक भिखारी गांधी पुस्तकालय के पास सड़क किनारे उसी स्थान पर पिछले कुछ दिनों से पड़ा हुआ था. दुकानदार के अनुसार व्यक्ति की तबीयत बिगड़ती दिख रही थी.
इसके बाद आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन भावेश पटेल और उनकी टीम मौके पर पहुंची और बुजुर्ग व्यक्ति से बात की. प्राथमिक जांच के बाद उसे इलाज के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया. भावेश पटेल ने बताया कि, ‘वह गुजराती बोल रहे थे. उन्होंने बताया कि वह वलसाड के धोबी तलाव इलाके में रहते हैं. दुकानदार ने हमें बताया कि वह पिछले कुछ दिनों से कोई हलचल नहीं दिखा रहे थे.’
पुलिस को सौंप दिया गया कैश
भावेश पटेल ने आगे जानकारी दी कि, ‘जब उसे सिविल अस्पताल ले गए तो उसके पास से 1.14 लाख रुपये कैश मिले. इसमें 500 रुपये के 38 नोट, 200 रुपये के 83 नोट, 100 रुपये के 537 नोट और 20 और 10 रुपये के अन्य नोट शामिल हैं. इन सभी नोटों को इकट्ठा किया गया था और छोटे प्लास्टिक बैग में उसके स्वेटर की जेब में लपेटा गया था. चिकित्सा अधिकारी के सामने वलसाड शहर पुलिस को यह नकदी सौंप दी गई.’
वलसाड सिविल अस्पताल के डॉ. कृष्णा पटेल ने बताया कि, ‘जब मरीज को उनके पास लाया गया, तो उसने चाय मांगी. उन्हें लगा कि वह भूखा है और उसका ब्लड शुगर लेवल कम हो गया है. उन्होंने सलाइन डाली और इलाज शुरू किया. एक घंटे बाद उसकी मौत हो गयी.’ डॉ. कृष्णा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था. अभी भिखारी की पहचान नहीं हो पाई है.