हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) एक ऐसा नाम है, जिसकी समूचे देश में पहचान है। मगर निचले स्तर की अफसरशाही निगम की शान पर ‘धब्बा’ लगाने को आतुर है। यही नहीं, लापरवाही बरत कर यात्रियों के अनमोल जीवन को भी ताक पर रख दिया जाता है।
पुख्ता जानकारी के मुताबिक सोलन से रोहडू रूट पर निगम की बस (HP64-6867) को भेजने के आदेश हुए। इसी बीच चालक ने अड्डा प्रबंधन को आगाह किया कि बस की ब्रेक में तकनीकी खराबी है।
सूत्रों का कहना है कि चालक के बार-बार कहने के बावजूद बस को रवाना कर दिया गया। वीरवार को कोटखाई से खड़ा पत्थर की चढ़ाई चढ़ने के बाद बस की ब्रेक में खराबी आ गई। चूंकि चालक पहले से ही ब्रेक को लेकर सचेत था, लिहाजा बस को सीधे निजी वर्कशॉप में पहुंचाया। मरम्मत के बाद जैसे-तैसे बस रोहडू पहुंच गई।
शुक्रवार देर दोपहर वापसी में खड़ा पत्थर का बाजार पार करते ही बस की ब्रेक फेल हो गई। बस में मौजूद सवारियों की मानें तो चालक ने जैसे-तैसे हैंडब्रेक का इस्तेमाल करते हुए बस को रोका। हैंडब्रेक के इस्तेमाल के बावजूद बस को रुकने में समय लगा। अगर आपने खड़ा पत्थर से कोटखाई की तरफ सफर किया है तो आप अंदाजा लगा सकता है कि खाई में गिरने की सूरत में हादसा कितना भयावक हो सकता था।
बता दें कि चालक की सूझबूझ ने 30 से 40 यात्रियों को सुरक्षित बचा लिया। बस को पहाड़ की तरफ टकराने के दौरान दो कारें भी क्षतिग्रस्त हुई। यात्रियों के मुताबिक ब्रेक फेल होने के बाद चालक द्वारा सोलन बस स्टैंड के अड्डा प्रभारी को भी संपर्क किया गया, लेकिन फोन बंद था। इसके बाद ट्रैफिक मैनेजर को घटना के बारे में सूचना दी गई। क्षेत्रीय प्रबंधक छुट्टी पर बताए गए।
हैरान कर देने वाली बात ये भी है कि शनिवार सुबह तक सोलन डिपो ने ब्रेकडाउन बस को वापस लाने के पुख्ता कदम नहीं उठाए। रोहडू डिपो से पहुंचे मैकेनिक भी ये देखकर दंग रह गए कि बस की प्रेशर पाइप में 6 ज्वाइंट लगाए गए हैं।
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एमबीएम न्यूज ने बस की तकनीकी जानकारी जुटाने पर पाया कि बस की फिटनेस अगस्त 2023 तक की है। इंश्योरेंस की व्यवस्था निगम नहीं प्रदान करता है। प्रदूषण प्रमाण पत्र भी नहीं है। साफ तौर पर जाहिर हो रहा है कि बस खटारा हो चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि बस को पहाड़ी इलाकों में लंबे रुट पर क्यों भेजा गया था।
सूत्रों की मानें तो निगम के बस अड्डों पर चालक व परिचालकों को प्रभारी बना दिया जाताहै। प्रशासनिक कार्यकुशलता का अनुभव न होने के कारण यात्रियों के जीवन को खतरे में डाल दिया जाता है। सवाल ये भी है कि निगम द्वारा खटारा बसों को कब सड़कों से हटाया जाएगा। ये तो गनीमत इस बात की थी कि चालक को पहले से ही ब्रेक की तकनीकी खामियों का इल्म था। अचानक ही ब्रेक फेल होने की स्थिति में शनिवार के समाचार पत्रों में मुख्य पृष्ठ पर लीड़ खबर हो सकती थी।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर ने कहा कि वो मामले की सीरियसनेस को समझ गए हैं। जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि घटना को लेकर एमबीएम न्यूज द्वारा सोलन बस अड्डा प्रभारी व जेटीओ को संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन कॉल रिसीव नहीं की गई।