जय श्री राम! नायाब शजर पत्थर से बना हूबहू राम मंदिर, रानी विक्टोरिया भी थीं अनमोल पत्थर की दीवानी

2024 में अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर पूरे विश्व में उत्साह का माहौल है। देश में भी गांव-गांव और हर घर में राम मंदिर बनने की खुशी दिखाई पड़ रही है। ऐसे में यूपी के बांदा जनपद के रहने वाले हस्तशिल्पी द्वारिका प्रसाद सोनी ने कड़ी मेहनत के बाद केन नदी में पाए जाने वाले शजर पत्थर से अद्भुत राम मंदिर बनाया है। इस मंदिर में रामलला को भी विराजमान किया है। शनिवार को बनाए गए इस मंदिर को रामलीला मैदान में लोगों को अलोकनार्थ रखा गया। जिसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह गया।

केवल केन नदी में पाया जाता है शजर
जिले के केन नदी में पाए जाने वाला शजर पत्थर यूपी में ओडीओपी प्रोडक्ट में शामिल है। यह ए ग्रेड श्रेणी का सबसे मजबूत और महंगा पत्थर है। इसमें पेड़ पौधों और प्राकृतिक छटाओं की सुंदर छवि स्वतः अंकित हो जाती है। नदी में शजर की पहचान कर उसे काटने और तरासने की लंबी प्रक्रिया है। इसके बाद शजर की असली तस्वीर सामने आती है और तभी इसकी कीमत भी तय होती है।

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दो दशक पहले इसे तरासने वाले 70- 80 कारखाने थे। अब इनकी संख्या बहुत कम रह गई है। यहां के शजर से बनी ज्वेलरी और बेस कीमती उपहार विदेश तक भेजे जाते थे। शजर की अनोखी और बेहतरीन कारीगरी के लिए यहां के शिल्पकारों को कई बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जा चुका है।

कई कलाकृतियां बना चुके हैं द्वारिका प्रसाद सोनी
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त द्वारिका प्रसाद सोनी भी अपने हुनर से अनेक कलाकृतियां बना चुके हैं। उनके द्वारा ताजमहल, कालिंजर दुर्ग के अलावा अनेक सजावटी कलाकृतियां बनाई गई हैं। जिसकी विदेश में भी प्रशंसा हुई है। शजर की मांग मुस्लिम देशों में ज्यादा है क्योंकि मुस्लिम इस पत्थर को बहुत शुभ मानते हैं।

रामलीला ग्राउंड में अलोकनार्थ रखा गया
शनिवार रामलीला ग्राउंड में अपने बनाए गए मंदिर के साथ मौजूद द्वारिका प्रसाद सोनी ने बताया कि जब मुझे राम मंदिर निर्माण जल्दी होने की जानकारी मिली। तभी मेरे मन में शजर पत्थर से राम मंदिर बनाने का विचार आया। इसके बाद मैंने चुन चुन के पत्थर तरासने शुरू किया और मंदिर बनाना भी शुरू किया, करीब डेढ़ साल की कड़ी मेहनत के बाद अंततः राम मंदिर को बनाने में कामयाबी मिल गई।

उनके मुताबिक इस मंदिर में शजर के कई पत्थरों का समागम है। उनका सपना है कि वह अपने हाथों से इस मंदिर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपें, इसके लिए उनका प्रयास जारी है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सानिध्य में यह मंदिर प्रधानमंत्री जी को सौंपने की इच्छा है।

प्रधानमंत्री मोदी शजर की कलाकृतियों की कर चुके हैं सराहना
बतातें चले कि जी-7 सम्मेलन में भाग लेने जर्मनी गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को शजर पत्थर का कफलिंक (कोट में लगाने वाली बटन) दिया था। इसके पहले ब्रिटेन के मंत्री को सौंपी थी कफलिंक। 2022 में ब्रिटेन के मंत्री भारत दौरे पर आए थे। लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी अगवानी की थी और उन्हें कफलिंक भेंट किया था। तीन जून 2022 को लखनऊ में ब्रेकिंग सेरेमनी कार्यक्रम में देश भर से उद्योगपति आए थे। तब प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में नक्काशी कर तैयार की गईं शजर की कलाकृतियों की सराहना की थी।

रानी विक्टोरिया को भा गया था शजर पत्थर
द्वारिका सोनी बताते हैं, 1911 में लंदन में शजर प्रदर्शनी लगी थी। उसमें बांदा के हस्त शिल्पी मोती भार्गव गए थे। प्रदर्शनी में रानी विक्टोरिया ने नायाब शजर पत्थर के नगीने को अपने गले का हार बनाया। वह इसे अपने साथ ले गई थीं। विदेश में आज भी शजर की मांग है।